खतरनाक भी हो सकता है डायरिया

अनेक ऐसी छोटी-छोटी बातें होती हैं जिन पर ध्यान न देने से डायरिया का संक्र मण हो जाता है। इस रोग का प्रमुख कारण है ‘गंदगी’। घर के आसपास की गंदगी, शौचालय खुले रहने से, वायु तथा जल के प्रदूषित हो जाने से इसके रोगाणु पनपने लगते हैं। मक्खियों के माध्यम से भी यह रोग एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचता है। डायरिया के संक्र मण होते ही रोगी में प्रमुख रूप से निम्नांकित लक्षण प्रकट होने लगते हैं।
* रोगी को कमजोरी एवं प्यास लगने लगती है तथा निरन्तर जीभ सूखने लगती है। उसे उल्टी व पेटदर्द भी होना शुरू हो जाता है।
* पेट में मरोड़ उठने लगते हैं, बेहोशी के झटके आने लगते हैं और रोगी असहाय-सा महसूस करने लगता है।
* इस रोग का प्रारंभ सबसे पहले दस्तों से ही होता है। डायरिया में चावल के मांड के समान दस्त होता है और साथ में उल्टियां भी हो सकती हैं। उल्टी और दस्त के कारणों से ही शरीर का पानी बाहर निकलने लगता है।
डायरिया से बचाव :
घर के अन्दर तथा आसपास सफाई रखें, क्याेंकि मक्खी-मच्छर गन्दे स्थानों पर ही पनपते हैं।
* शारीरिक स्वच्छता से डायरिया के रोग को होने से रोका जा सकता है। नाखून न बढ़ने दें, साथ ही खान-पान पर विशेष रूप से ध्यान रखें। 
* भोजन आदि खाद्य पदार्थों को हमेशा ढककर ही रखें। ऐसा करने से उस पर मक्खी मच्छर नहीं बैठ पाएंगे, साथ ही सड़ा-गला, बासी खाना न खाएं, क्योंकि इसमें विषाणु उत्पन्न हो जाते हैं जो रोग को फैला देते हैं।
* शौचालय जाने के बाद, खाना-खाने से पहले, खाना बनाने से पहले अपने हाथों को साबुन से भली-भांति साफ कर लें। बाहर जाते समय साबुन या पेपर सोप अपने पास अवश्य रखें।
* पीने का पानी हमेशा ढककर ही रखें। अगर संभव हो तो पीने के पानी को उबालकर किसी बर्तन में ढक कर रख लें। हमेशा साफ पानी ही पिएं। दूषित पानी कदापि इस्तेमाल न करें।
चिकित्सक के समीप जाने से पूर्व निम्न बातों का ध्यान अवश्य रखिए।
* रोगी का पेट खाली न रखें। उसे सामान्य भोजन देते रहना चाहिए।
* रोगी के शरीर में पानी की कमी न होने पाये, इसके लिए उसे जीवन रक्षक घोल, शर्बत, लस्सी, शिकंजी, हल्की चाय, नारियल का पानी या चावल का मांड आदि पेय पदार्थ देते रहना चाहिए।
* रोगी को उल्टी आए, फिर भी उसे थोड़ी-थोड़ी देर में तरल पदार्थ देते रहना चाहिए। पानी भी भरपूर पिलाते रहना चाहिए। इससे रोगी के शरीर में पानी की कमी नहीं होने पाती है।
* डायरिया के होने न देने के लिए उससे बचाव के उपायों को अपनाते रहना चाहिए। उपचार से अच्छा है बचाव। सतर्क रहकर इस बीमारी से बचा जा सकता है।

(स्वास्थ्य दर्पण)