नौकरशाही : अनुराग के सवालों पर मुख्यमंत्री की मुहर के मायने 

प्रदेश में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की सरकार बनने के बाद नौकरशाही हमेशा चर्चा में रही है। प्रदेश के बदले राजनीतिक समीकरण के बाद जब अचानक जयराम ठाकुर सत्ता की कुर्सी पर विराजमान हुए तो नौकरशाही के सभी समीकरण गड़बड़ा गए। जयराम ठाकुर ने अपने पसंदीदा अधिकारियों की महत्वपूर्ण पदों पर ताजपोशी कर दी। इसके बाद सरकार पर नौकरशाही के हावी होने के आरोप लगते रहे। फि र जयराम सरकार में लगातार होते अधिकारियों के तबादलों के कारण भी नौकरशाही चर्चा में रही। सरकार के तीन साल पूरे होते-होते नौकरशाही पर काम न करने के आरोप भी लगने लगे। नौकरशाही पर पहला हमला हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के सांसद और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने देहरा के मंच से मुख्यमंत्री के साथ मंच सांझा करते हुए किया।  नौकरशाही पर हुए अनुराग के हमले से भाजपा की सियासत में हंगामा भी हुआ लेकिन बात सही साबित हुई। मुख्यमंत्री ने भी अनुराग को सलाह दे दी कि ऐसी बातें सार्वजनिक मंच से करना उचित नहीं। अनुराग के हमले को अभी दो माह भी नहीं हुए थे, कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने स्वयं नौकरशाही को कटघरे में खड़ा कर दिया। मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक मंच पर तो नहीं कहा लेकिन अकेले में कैमरे के सामने मीडिया में कह दिया। शायद मुख्यमंत्री को लगा हो कि मीडिया सार्वजनिक मंच नहीं है, लेकिन मीडिया के माध्यम से यह बात फैलनी थी सो फैल गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने काम न करने वाले अफ सरों की सूची तैयार की है, और जल्द ही ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। 
मिशन 2022 : अविनाश राय खन्ना ने संभाला मोर्चा 
भाजपा के सीनियर नेता अविनाश राय खन्ना ने हिमाचल प्रभारी बनने के बाद प्रदेश में सियासी मोर्चा संभाल लिया है। खन्ना मिशन रिपीट का संकल्प लेकर कार्यकर्ताओं के साथ मंथन में जुट गए हैं। अविनाश राय खन्ना पंजाब के सीनियर नेता हैं, जिससे वह हिमाचल की सियासत को समझते हैं। हिमाचल प्रभारी बनने के बाद पहले दौरे में ही खन्ना ने मोर्चा संभाल लिया है। खन्ना ने शिमला आकर प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, प्रदेशाध्यक्ष सुरेश कश्यप के साथ भाजपा के सभी नेताओं के साथ मंथन किया। खन्ना ने मंत्रियों और पार्टी पदाधिकारियों के साथ मीटिंग में सरकार के तीन साल के कामकाज की समीक्षा की और समझा कि सरकार ने तीन साल में क्या काम किया है। खन्ना ने शिमला में सत्ता और संगठन के नेताओं के साथ शहर के बुद्धिजीवियों से भी चर्चा कर के सरकार के बारे में फ ीडबैक लिया। इसके बाद खन्ना प्रदेश दौरे पर निकल पड़े। उन्होंने कांगड़ा जिला के देहरा में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर पंचायती राज चुनाव के बारे में भी रणनीति तैयार की। इससे साफ  है कि खन्ना प्रदेश में मिशन 2022 के लिए मोर्चा संभाल कर कार्य करने में जुट गए हैं। 
महत्वपूर्ण है पंचायती राज चुनाव की सियासत
प्रदेश में पंचायती राज चुनाव का बिगुल बज गया है। पंचायती राज चुनाव राजनीतिक पार्टियों के सिंबल पर नहीं हो रहे लेकिन पूरा चुनावी समीकरण भाजपा-कांग्रेस पार्टी के आधार पर बना है। पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव भाजपा और कांग्रेस दोनों प्रमुख पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। सरकार के तीन साल पूरे हो चुके हैं और अब दो साल बाद प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिससे अभी से विधानसभा चुनाव की सियासत भी शुरू हो गई है। पंचायती राज चुनावों के माध्यम से विधानसभा क्षेत्र के नेता गांव-गांव तक अपनी पहुंच बनाने में जुटे हैं। जिला परिषद के उम्मीदवार सीधे तौर पर पार्टी स्तर पर उतारे जा रहे हैं, लेकिन पंचायत समिति और ग्राम पंचायत के चुनाव में स्थानीय नेता अपनी सुविधा के अनुसार प्रत्याशी को समर्थन दे रहे हैं। पंचायती राज चुनावों में पंच से लेकर जिला परिषद तक अपने उम्मीदवारों को जिताने के लिए स्थानीय नेता जुटे हैं। जिसके समर्थक विजयी होंगे तो यह माना जाएगा कि विधानसभा चुनाव में उसकी स्थिति अपने क्षेत्र में मजबूत होगी। इसीलिए अपना जनाधार बनाने के लिए विधानसभा क्षेत्र के नेता चुनावों में डट गए हैं।
पौंग झील में प्रवासी पक्षियों की रहस्यमय मौत 
हिमाचल प्रदेश के प्रमुख पयर्टन गंतव्य पौंग झील में प्रवासी पक्षियों की रहस्यमयी मौत से हड़कंप मचा हुआ है। तीन दिन में झील में 1300 से अधिक प्रवासी पक्षियों की मौत ने वन महकमे को हिला कर रख दिया है। मौतों का यह सिलसिला रूकने का नाम नहीं ले रहा है। मृत पक्षी वन्य प्राणी विभाग नगरोटा सूरियां रेंज के क्षेत्र नगरोटा सूरियां, लुदरेट, बरियाल, नंदपुर, भटोली, गुगलाड़ा तथा धमेटा रेंज के सियाल व जगमोली क्षेत्र में पाए गए हैं। हालांकि वन्य प्राणी विभाग के अधिकारियों ने पौंग झील में डेरा जमाया हुआ है तथा मृत पक्षियों के सैंपलों को एकत्रित कर लैब भेजा है, लेकिन अभी तक विभाग के विशेषज्ञ इन मौतों के कारणों का पता नहीं लगा पाए हैं। हालांकि एहतियात के तौर पर पौंग झील को सैलानियों तथा मछलियां पकड़ने वालों के लिए बंद कर दिया गया है, लेकिन जब तक इनकी मौत के असल कारणों का पता नहीं चलता, तब तक स्थानीय मछुआरों व लोगों की चिंताएं बढ़ेगी, क्योंकि स्थानीय मछुआरों को अपने व्यवसाय की चिंता सताने लगी है। अंदेशा जताया जा रहा है कि यह परिंदे किसी फ्लू के कारण मर रहे हैं। ऐसे में मछली खाने के शौकीनों में भी इसका डर बना रहेगा। स्थानीय मछुआरों का कहना है कि झील के पानी में तथा खाली भूमि पर कई परिंदे मृत पाए गए हैं। इससे अब उनकी चिंताएं बढ़ने लगी है।