पंजाब के गांवों में भी पैदा हो सकते हैं विश्व चैम्पियन

लगभग 15 वर्ष पूर्व लुधियाना ज़िले के गांव चक्कर के कुछ सूझवान गणमान्यों ने अपने गांव में अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी पैदा करने का सपना देखा था जिसे, पूरा करने के लिए विदेश में रह रहे प्रवासी पंजाबी भी आगे आए और गांव में मुक्केबाज उच्च स्तरीय प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित कर दिया। लगभग दस वर्ष बाद इस गांव में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मुक्केबाज पैदा होने लगे। इसके बाद चक्कर वालों ने ओलम्पियन बनने का सपना लेना शुरू कर दिया, जिसे इसी अकादमी से मुक्केबाजी का सफर शुरू करने वाली सिमरनजीत कौर ने टोक्यो ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई करके पूरा कर दिया है। अब सिमरनजीत कौर ने बैलग्रेड में हुए विश्व कप में स्वर्ण पदक जीत कर चक्कर गांव का नाम विश्व में रोशन कर दिया है। गांव चक्कर में जन्मे प्रिं. बलवंत सिंह संधू ने 14 नवन्बर, 2005 को बाल दिवस के अवसर पर सपना लिया था कि उनके गांव में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी पैदा हों। प्रिं. संधू ने गांव में मुक्केबाजी की गतिविधियां शुरू कर दीं। अमरीका में रह रहे रछपाल सिंह सिद्धू, भजन सिंह संधू अमरीका और मा. शिंगारा सिंह ने खेल संस्कृति की उत्पन्न हो रही इस ज्योति को रोशन करने में सहायता की, जिस कारण गांववासियों ने 125 के लगभग लड़के-लड़कियों को खेल मैदान में भेजने का विश्वास दिखाया। इस गतिविधियों को देखते हुए, कैनेडा में रह रहे इस गांव के स्व. अजमेर सिंह सिद्धू ने विधिवत् प्रशिक्षण देने के लिए प्रिं. बलवंत सिंह सिद्धू की देखरेख में शेर-ए-पंजाब मुक्केबाजी अकादमी चक्कर में स्थापित कर दी, जिस से तहत स्व. सिद्धू के प्रयासों से पूर्व मुक्केबाज और एस.पी. दविन्द्र सिंह, द्रोणाचार्य गुरबख्श सिंह संधू और ओलम्पियन विजेन्द्र सिंह जैसी हस्तियां समय-समय पर खिलाड़ियों को उत्साहित करने और मुक्केबाजी के गुर बताने के लिए चक्कर में आने लगे। इसी लहर के तहत गांव चक्कर के स्व. कमलजीत सिंह बाठ और राजपाल कौर के घर जन्मे चार भाई-बहनों में से एक सिमरनजीत कौर ने स्व. अजमेर सिंह सिद्धू की अकादमी में 2010 में पहली बार मुक्केबाजी रिंग में पांव रखा था। साधारण किसान परिवार से संबंधित सिमरनजीत कौर ने पहली बार देश के लिए 2013 में विश्व यूथ मुक्केबाजी चैम्पियन में कांस्य पदक जीत कर चक्कर गांव का नाम सुर्खियों में ला दिया। फिर उसने जूनियर वर्ग और सीनियर वर्ग में राष्ट्रीय चैन्पियन बन कर विश्व स्तरीय मुकाबलों के लिए दावेदारी पेश की। देश की सर्वोत्तम मुक्केबाज की खिताब विजेता सिमरनजीत कौर ने 2018 में दिल्ली में हुई विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता। फिर एशियन चैम्पियन में भी रजत पदक जीता। एशियाई-ओशीनिया ओलम्पिक क्लालीफाइंग में शानदार प्रदर्शन करते हुए 60 किलो भार वर्ग में सिमरनजीत कौर ने विश्व दर्जाबंदी में दूसरा स्थान रखने वाली मंगोलिया की नमोनखोर को हारकर टोक्यो ओलम्पिक की टिकट कटवाई। यह गौरव प्राप्त करने वाली पंजाब की वह पहली मुक्केबाज है। हाल ही में सिमरनजीत कौर ने बैलग्रेड में हुए विश्व कप में स्वर्ण पदक (60 किलो) जीता। पब्लिक कालेज समाना में पूर्व अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाज और कोच राम सिंह से प्रशिक्षण लेते समय सिमरनजीत सीनियर वर्ग में राष्ट्रीय चैम्पियन बनी। 

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