सी.बी.एस.ई. बोर्ड और क्षेत्रीय भाषाएं

देश में 12वीं की परीक्षा रद्द किये जाने के बाद सी.बी.एस.ई. ने 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों का परिणाम तैयार करने के लिए 30:30:40 का फार्मूला तैयार किया था। इसका अर्थ यह था कि 12वीं के विद्यार्थियों का परिणाम तैयार करने के लिए उनके द्वारा पहले पास की गई 10वीं की परीक्षा के 30 अंक रखे जाएंगे और इस तरह 11वीं की परीक्षा के 30 अंक रखे जाएंगे और 40 अंक 12वीं के विद्यार्थियों के यूनिट टैस्टों, छिमाही टैस्टों और प्री-बोर्ड परीक्षा के आधार पर रखे जाएंगे। इसके अतिरिक्त सी.बी.एस.ई. बोर्ड के वैब पोर्टल और सी.बी.एस.ई. से संबंधित स्कूलों द्वारा विद्यार्थियों के डाले गए प्रैक्टिकल अंकों और स्कूलों द्वारा भेजी गई एसेस्मैंट को मिला कर 12वीं के प्रत्येक विद्यार्थी का परिणाम तैयार किया जाएगा। सी.बी.एस.ई. ने अपने इस फार्मूले की सुप्रीम कोर्ट से भी स्वीकृति हासिल कर ली थी। इसके साथ ही यह बात भी सामने आई थी कि 10वीं कक्षा में किसी विद्यार्थी ने जिन तीन विषयों में सबसे अधिक अंक प्राप्त किये होंगे, उन्हें उसकी औसत निकालने के लिए आधार बनाया जाएगा। यह बात भी सामने आई थी कि इस फार्मूले में पंजाबी विषय में प्राप्त किये गये अंकों को आधार नहीं बनाया गया था। सी.बी.एस.ई. बोर्ड ने पंजाब के स्कूलों को यह कहा था कि वे 10वीं कक्षा के औसत अंक तैयार करने के लिए विद्यार्थियों द्वारा हिन्दी में प्राप्त किये गए अंकों को ही आधार बना लें। इस पर पंजाबी के शिक्षा शास्त्रियों और पंजाबी प्रेमियों द्वारा आपत्ति की गई थी कि पंजाबी पंजाब के नौजवानों की मातृ-भाषा है। इसलिए पंजाबी विषय में प्राकृतिक तौर पर विद्यार्थी हिन्दी के मुकाबले अधिक अंक प्राप्त करते हैं। यदि उनके पंजाबी के अंक 10वीं के अंकों की औसत बनाने के लिए गिने नहीं जाएंगे तो उनके साथ बहुत बड़ा अन्याय होगा और उनके औसत अंक 10वीं में कम बनेंगे तथा इसका प्रभाव उनके 12वीं के कुल अंकों पर भी पड़ेगा। इसलिए सी.बी.एस.ई. बोर्ड से यह मांग की जा रही है कि वह साफ्टवेयर में ज़रूरी बदलाव करे, जिससे कि 10वीं के विद्यार्थियों के पंजाबी में प्राप्त किये गये अंकों को शामिल करके उनका 10वीं का औसत परिणाम तैयार करके स्कूल बोर्ड को भेज सकें। अब यह समाचार सामने आया है कि सी.बी.एस.ई. बोर्ड ने साफ्टवेयर में वांछित बदलाव कर लिया है और अब 12वीं का परिणाम तैयार करने के लिए पंजाब के विद्यार्थियों द्वारा 10वीं में पंजाबी में जो अंक प्राप्त किये गये थे, उनको भी आधार बनाया जाएगा। इस तरह पंजाब के विद्यार्थियों के 12वीं की परीक्षा में औसतन अंकों में वृद्धि होने की संभावना बन गई है और उनके साथ जो अन्नाय होने जा रहा था, वह फिलहाल टल गया नज़र आता है। परन्तु साफ्टवेयर में किया गया इस तरह के बदलाव बारे सी.बी.एस.ई. बोर्ड ने कोई प्रैसनोट या बयान जारी करके सभी शैक्षणिक संस्थाओं और राज्य के लोगों को बाकायदा जानकारी नहीं दी। इस संबंध में हम सी.बी.एस.ई. बोर्ड को यह सुझाव देना चाहते हैं कि वह तुरंत बाकायदा पै्रसनोट जारी करके पंजाब के अपने साथ संबंधित सभी स्कूलों को यह जानकारी दे कि बोर्ड के साफ्टवेयर में वांछित बदलाव कर दिया गया है और अब विद्यार्थियों द्वारा 10वीं में पंजाबी में प्राप्त किये गये अंकों को भी 12वीं का परिणाम तैयार करने के लिए एक विषय के तौर पर आधार बनाया जाएगा और सी.बी.एस.ई. से संबंधित स्कूल इस संबंधी साफ्टवेयर के माध्यम से सी.बी.एस.ई. बोर्ड को प्रस्तावित परिणाम भेज सकते हैं। इसके साथ ही हम यह भी कहना चाहते हैं कि जिस तरह पंजाब द्वारा मांग उठाने के कारण पंजाबी विषय को दृष्टिगत रख कर सी.बी.एस.ई. बोर्ड ने अपने साफ्टवेयर में बदलाव किया है, ऐसी ही व्यवस्था देश की सभी अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के लिए भी करनी चाहिए, क्योंकि यह आम माना जाने वाला तथ्य है कि भारत एक बहु-भाषी देश है और इस देश के अधिकतर भिन्न-भिन्न राज्यों की अपनी क्षेत्रीय भाषाएं हैं। चाहे भारत के भिन्न-भिन्न राज्यों के विद्यार्थी अंग्रेज़ी, हिन्दी और अन्य कई भाषाएं पढ़ते हैं परन्तु स्वाभाविक तौर पर विद्यार्थियों के अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में से दूसरी भाषाओं के मुकाबले अधिक अंक आते हैं। इसलिए 12वीं का परिणाम तैयार करने के लिए देश के सभी विद्यार्थियों द्वारा 10वीं में क्षेत्रीय भाषाओं में प्राप्त किये गये अंकों को लाज़िमी तौर पर आधार बनाया जाना चाहिए और इस संबंध में बाकायदा पै्रसनोट या बयान जारी करके सी.बी.एस.ई. बोर्ड को अपने साथ संबंधित सभी शैक्षणिक संस्थाओं और आम लोगों को जानकारी भी देनी चाहिए ताकि इस संबंधी कोई गलतफहमी पैदा न हो और न ही अपनी क्षेत्रीय भाषा में अधिक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के साथ किसी भी तरह का अन्याय हो सके। हम तो यह भी कहना चाहेंगे कि भविष्य में भी सी.बी.एस.ई. बोर्ड को भिन्न-भिन्न राज्यों में 10वीं की परीक्षा लेते समय क्षेत्रीय भाषाओं को एक लाज़िमी विषय मानना चाहिए और उसके अंक लाज़िमी तौर पर विद्यार्थी की 10वीं की अंक सूची में शामिल करने चाहिएं।