कोवैक्सीन को लेकर इतना अविश्वास क्यों है ?

अपनी कोवैक्सीन दूसरों की तरह ही प्रभावी है बल्कि कुछ मामलों में यह विशिष्ट भी। यह संसार में सबसे सुरक्षित और कोविड-19 की एकमात्र और पहली वैक्सीन है जो सभी वैरिएंट पर असरदार है, लेकिन इन दावों को गंभीरता से लेने की बजाय इसके बारे में ऐसी धारणायें फैलाई जा रही हैं कि ‘आत्म-निर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’अभियान को बढ़ावा देने के चक्कर में, सरकारी दबाव के चलते इसकी निर्माण प्रक्त्रिया प्रभावित हुई है। वैक्सीन जगत में इसकी स्थिति इतनी विवादास्पद क्यों हो गई? इसके लिये कौन जिम्मेदार है? इस हफ्ते कोवैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल के तीसरे चरण का डाटा जारी होने वाला है कोवैक्सीन के भविष्य निर्धारण के लिये यह बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन क्या यह इन विवादों से उसे वैश्विक स्तर पर निजात दिला पायेगा? ब्राज़ील के दवा नियंत्रक अन्वीसा ने 30 मार्च, 2021 को अपनी वेबसाइट पर कोवैक्सीन के बारे में एक रिपोर्ट प्रकाशित की। बताया कि वैक्सीन में प्रयुक्त वायरस को पूरी तरह से निष्क्रिय नहीं किया गया है और यह मानव शरीर में ढेर सारे वायरस पैदा कर बीमारी से बचाने की बजाय बीमारी फैला सकती है। इस रिपोर्ट के आधार पर उन्होंने कोवैक्सीन की दो करोड़ डोज़ कैंसिल कर दीं। भारत बायोटेक कंपनी ने कहा कि ब्राज़ील का आरोप आधारहीन है। अपनी प्रखर राष्ट्रवादिता के चलते वह भारतीय वैक्सीन को अपने देश में घुसने नहीं देना चाहता। यह सब घटने तक देश में तकरीबन 9 करोड़ भारतीयों को सुरक्षित तौर पर यह वैक्सीन दी जा चुकी थी। इस पर भी सवाल उठे थे कि बिना तीसरे दौर के परीक्षण के नतीजे जाने मनुष्यों पर इसका इस्तेमाल कैसे कर दिया गया। महीने भर पहले यह खबर आयी कि जिन्होंने कोवैक्सीन लगवाई है, वे विदेश यात्रा नहीं कर सकते क्योंकि कोवैक्सीन विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक वैक्सीन्स की सूची में नहीं है।विगत दिनों अमरीका ने अपने वहां घोषणा की कि  विमान यात्रा के लिए कोवैक्सीन लगवा रखने के बावजूद अमरीका में उपलब्ध कोई भी दूसरी वैक्सीन लगवानी आवश्यक होगी। हाल में जब अमरीका ने अपने यहां इसको आपातकाल इस्तेमाल की अनुमति देने से मना कर दिया तो भ्रामक धारणाओं को और भी बल मिला। किसी ने यह नहीं सोचा कि अमरीका में तो कोविशील्ड को भी अनुमति नहीं मिली है। अब संपूर्ण स्वदेशी वैक्सीन के बारे में फैलाई जा रही ऐसी तमाम भ्रामक धारणाओं का निवारण हो जायेगा। कोवैक्सीन को लेकर अमरीका की शंका दूर हो जायेगी और ब्राज़ील को भी समुचित उत्तर मिल जायेगा। यह बात आधिकारिक तौर पर सामने आयेगी कि कोवैक्सीन कोविड-19 वायरस के संक्रमण के प्रति वास्तव में कितना प्रभावी और कोरोना से बचाव में कितना सुरक्षित और कारगर है। दूसरे चरण के परीक्षण के बाद ही कोवैक्सीन लगवाने वाले करोड़ों लोगों को यह पता चलेगा कि जो वैक्सीन उन्होंने लगवाई थी वह कितनी प्रभावी है। ड्रग जनरल कंट्रोलर ऑफ  इंडिया ने कहा है कि यह वैक्सीन 110 प्रतिशत सुरक्षित है। नीति आयोग के सदस्य वी.के. पॉल ने इसे पूर्ण निरापद और भारत बायोटेक ने इसे कोविड-19 की एकमात्र और संसार की सबसे सुरक्षित वैक्सीन बताया। इस वैक्सीन में एक ऐसे एड्जुवेंट, दवा या साल्ट अलजेल-आईएमडीजी का इस्तेमाल हो रहा है जो इससे पहले कभी किसी वैक्सीन में नहीं हुआ। भारत बायोटेक को 2 जुलाई, 2020 को आईएसएमआर के निदेशक जनरल बलराम भार्गव का एक पत्र मिला। उसकी भाषा और सामग्री को पढ़कर वैज्ञानिक चौंक गये। आशय था कि सरकारी संकेत हैं कि वैक्सीन को डेढ़ महीने के भीतर 15 अगस्त से पहले तैयार कर लिया जाये ताकि प्रधानमंत्री देश के नाम अपने संबोधन में ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ अभियानों के अंतर्गत इसकी सहर्ष घोषणा कर सकें। संकेत यह भी था कि इसके लिये जो भी करना पड़े, करें। 

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