निखारें, बोलने का स्टाइल

बोलचाल अपने आकर्षक व्यक्तित्व को प्रदर्शित करने का एक उत्तम तरीका है। अपनी मधुर, शिष्ट एवं रोचक बातों के दम पर किसी को भी आकर्षित किया जा सकता है। एक सफल वक्ता वही होता है जो यह जानता है कि कैसे अपनी बोल-चाल से लोगों को मंत्र-मुग्ध किया जा सकता है। बोलचाल रोजमर्रा की जिंदगी को किस प्रकार प्रभावित करता है, इसे परखने के लिए कुछ बातों पर गौर करना आवश्यक है :
कई बार साक्षात्कार में लोग इसलिए असफल होते है क्योंकि वे या तो बोल पाने में हिचकिचाते (घबराते) हैं या फिर उसे जानते हुए भी सही अंदाज में बोलकर परीक्षक को समझा नहीं पाते। कुछ लोग जल्दी-जल्दी बोलने के आदी होते हैं जो हड़बड़ाहट या ओवर कांफिडेंस का लक्षण हैं। वहीं कुछ लोग रूक-रूक कर बोलते हैं जो घबराहट या आत्मविश्वास में कमी को उजागर करता है। बेहतर है इन दोनों चीजों से परहेज किया जाए। कई बार लोग तुतलाने, हकलाने या साफ आवाज न निकाल पाने इत्यादि बीमारियों से ग्रसित होने के कारण हीन भावना के शिकार होते हैं। यदि आपके साथ भी यह समस्या है तो भी चिंता न करें। इसे सकारात्मक लें। बोलने की एक विशिष्ट शैली बनायें जो आपको अलग पहचान देगी।  उतना ही बोलें, जितना जरूरी है। ज्यादा बोलना जहां लोगों को बोर करता है, वहीं अधूरी बातें गले नहीं उतरती। किस बात को कब और किसके सामने बोल रहे हैं, इसका ख्याल रखें। जैसे बड़े या सीनियर से बात करते समय शिष्टाचार का पालन एवं अभिवादन के साथ आप, जी सर इत्यादि का प्रयोग करें, वहीं छोटे या जूनियर से बात करते समय अपनी बातों के लहजे में उसी के अनुकूल भाव प्रदर्शित करें।
मुस्कराहट की बातचीत में एक विशेष भूमिका होती है परंतु जहां सरल-स्वाभाविक मुस्कराहट हृदय की निर्मलता को उजागर करती है, वहीं कुटिलतापूर्ण मुस्कान छल-कपट के भाव दर्शाती है।
 फिर आज से ही बातचीत का स्टाइल निखारना प्रारंभ कर दें। फिर देखें कि कैसे आप जहां भी जाते हैं, जिससे भी बात करते हैं, वे आपके दीवाने बन जाते हैं। (स्वास्थ्य दर्पण)