शिक्षक प्रतिभाओं को निखारें

चाहे संगीत और काव्य का आनंद हो या वस्तु और चित्रफल अथवा शिक्षण का आनंद हो परन्तु यह सच है कि सृजन का आनंद स्वयं के साथ-साथ दूसरों को भी आनन्दित करता है। सच्ची शिक्षा यही है जो इन्सान में सृजनात्मक को भी जगा दे। शिक्षक अपनी वाणी से ज्ञान का ऐसा तीर चलाये जिसमें छात्र की अज्ञानता नष्ट हो जाए।

—सुभाष पुरी ‘राही’