स्वास्थ्य रक्षक फल आंवला

स्वास्थ्य की रक्षा का मुख्य आधार है पोषक तत्व युक्त आहार लेना और उचित विहार करना। पोषक आहार से शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति कायम रहती है जिससे स्वास्थ्य की रक्षा होती है। पेश है एक पौष्टिक फल आंवला के बारे में उपयोगी विवरण।आंवला एक जाना पहचाना फल है। आंवले की दो जातियां होती हैं-कलमी और जंगली। कलमी आंवला कम रेशे का, आकार में बड़ा और अधिक गूदे का रहता है और जंगली आंवला के फल छोटे व कम गूदेदार होते हैं। दोनों प्रकार के आंवले समान रूप से उपयोगी और गुणकारी होते हैं। आंवला उत्तरी भारत में शीतकाल में व दक्षिणी भारत में वर्ष भर पाया जाता है।
उपयोग : आंवले का उपयोग आहार से लेकर औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। आंवले में अन्य फलों की अपेक्षा विटामिन-सी-अधिक मात्रा में पाया जाता है। आंवले के फल-फूल, पत्ते, जड़ और छाल सभी भाग किसी न किसी काम में आते हैं।आंवला सेवन करने से पाचन शक्ति, बल व स्फूर्ति आती है। इससे त्रिफला चूर्ण बनता है जो पाचन शक्ति व आंखों के रोगों को ठीक करने के काम आता है। आंवला महिलाओं के केश तेल व अन्य सौन्दर्य प्रसाधनों के काम आता है। आंवला, शिकाकाई व रीठों का महीन चूर्ण बनाकर, इनका पेस्ट बनाकर बालों को धोया जाये तो बाल चमकदार, लंबे व काले हो जाते हैं। 
आंवला का मुरब्बा : आंवले का मुरब्बा तृषा व दाह को शान्त करता है। पाचन शक्ति बढ़ाकर बल प्रदान करता है एवं खून के विकारों को शुद्ध करता है। इसके नियमित सेवन से मनुष्य निरोग रहता है एवं दीर्घायु प्राप्त करता है। इन्हीं गुणों के कारण आंवले को अमृतफल कहा गया है।

(स्वास्थ्य दर्पण)