बच्चें के लिए अमृत समान है मां का दूध

आम तौर पर महिलाओं के मन में बच्चे के जन्म से पहले ही  कई विचार आते हैं। जैसे कौन-सा दूध बच्चे के लिए ठीक है या स्तनपान कब-कब और कैसे करवाना है। इन सभी प्रश्नों के उत्तर के साथ स्तनपान सप्ताह 1 से 7 अगस्त तक नई बनी माताओं और उनके बच्चों को समर्पित है।
मां का दूध केवल पोषण ही नहीं, अपितु जीवन की धारा भी है। इसमें मां और बच्चे के स्वास्थ्य पर पूरा प्रभाव पड़ता है। बच्चे को पहले 6 महीने केवल स्तनपान पर ही निर्भर रखना चाहिए। शिशु मां का दूध आराम से पचा सकते हैं और यह पूरी तरह से सुरक्षित है। स्तनपान से शिशु की बौद्धिक क्षमता भी बढ़ती है क्योंकि स्तनपान कराने वाली मां और उसके बच्चे के बीच भावनात्मक रिश्ता बहुत मजबूत होता है। इसमें विटामिन डी होता है जो बच्चे की हड्डियों को मजबूत बनाता है और बच्चे को रिकेट्स जैसी बीमारी से बचाता है। इसमें कई तरह के मिनरल्स और एन्टीबॉडीज़ जैसे आई.जी.ए. जो शिशु को अनेक बीमारियों से बचाते हैं। 
मां को स्तनपान से होने वाले लाभ
स्तनपान सुविधाजनक है। माताओं द्वारा स्तनपान कराने से उन्हें गर्भावस्था के बाद होने वाले तनाव से मुक्ति मिल जाती है। 
मां और शिशु के बीच भावनात्मक संबंध 
मजबूत होते हैं।
स्तनपान एक प्राकृतिक गर्भ निरोधक है। 
स्तनपान कराने वाली महिलाओं में स्तन या गर्भाशय के कैंसर का ़खतरा कम होता है।
स्तनपान कब और कैसे करवाएं
जन्म के शीघ्र बाद स्तनपान शुरू कर देना चाहिए।
जन्म के तत्काल बाद नग्न शिशु को उसकी मां की छाती पर रख देना चाहिए इससे मां और शिशु के बीच भावनात्मक संबंध होता है और स्तनपान जल्दी आरम्भ होता है।
स्तनपान तत्काल शुरू करने से स्तनों में सूजन की शिकायत नहीं रहती।
सीजेरियन से हुए शिशु को 4-6 घंटे के बाद स्तनपान करवा सकते हैं।
 दोनों स्तनों से कम से कम 10-15 मिनट तक हर दो-तीन घंटे के बाद स्तनपान कराना चाहिए। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, दूध पिलाने की अवधि बढ़ती जाती है।
स्तनपान कराने से पहले स्तन को पानी से साफ करना चाहिए और हाथों को भी धोना चाहिए।
इन कुछ बातों का ध्यान रखकर हम बच्चों को बिना परेशानी के स्तनपान कराने में सफलता हासिल कर सकते हैं।
-गाइनीकोलोजिस्ट, घई अस्पताल, जालन्धर
-मो.94782-00755