मैडीकल क्षेत्र में बढ़ रही है  टेक्नीशियनों व हेल्थकेयर प्रबंधकों की मांग

अनेक कॉलेज विशिष्ट मैडीकल टेक्नोलॉजी और हेल्थकेयर प्रबंधन सेक्टर में शॉर्ट-टाइम व ग्रेजुएशन पाठ्यक्रम आरंभ कर रहे हैं या करने जा रहे हैं। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि पैथोलॉजी लैब्स, अस्पताल प्रबंधन व अन्य तकनीकी विभागों में इस क्षेत्र के प्रशिक्षित व्यक्तियों की मांग निरंतर बढ़ती जा रही है। इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) बंगलौर ने एक वर्ष का हॉस्पिटल मैनेजमेंट पाठ्यक्रम शुरू किया है जो केस स्टडीज व उद्योग इनसाइट्स पर फोकस करता है ताकि छात्रों की कोर प्रबंधन स्किल्स को निखारा जा सके, जिससे उन्हें हाई इम्पैक्ट अस्पताल सेवाओं को डिज़ाइन व डिलीवर करने में मदद मिलेगी।
आईआईएम-बंगलौर प्रवक्ता का कहना है, ‘मैडीकल क्षेत्र में जो टैलेंट का अभाव है, उसे भरना आवश्यक है, नियमित व प्रासंगिक ट्रेनिंग मैडीकल प्रोफेशनल्स उपलब्ध कराकर। उन्हें हैल्थकेयर सेक्टर की गुणात्मक प्रबंधन शिक्षा में स्किल्ड, अपस्किल्ड होना ज़रूरी है, साथ ही उनका पब्लिक पॉलिसी, पब्लिक सिस्टम्स व पब्लिक हेल्थ में ठोस हस्तक्षेप के लायक होना चाहिए। प्रवक्ता के अनुसार यह कोर्स मॉडयूल मैडीकल क्षेत्र की आवश्यकता के अनुरूप है। उसने कहा, ‘भारत में, 80 प्रतिशत से अधिक हेल्थकेयर मेट्रो शहरों की कॉर्पोरेट चेन से नहीं बल्कि 30-बेड व 50-बेड के टियर-2 व टियर-3 शहरों के नर्सिंग होम्स डिलीवर करते हैं। हमारे कोर्स से हाई क्वालिटी ट्रेनिंग सुनिश्चित होती है। हमारा कोर्स मॉडयूल हेल्थकेयर विषयों को विस्तृत व्यापार संभावनाओं से जोड़ता है, जिसकी शिक्षा आईआईएम की विख्यात फैकल्टी प्रदान करती है। ऑनलाइन क्लासिज के अतिरिक्त वर्कशॉप्स, हैंड्स-ऑन प्रोजैक्ट्स, उद्योग विशेषज्ञों द्वारा टॉक्स आदि भी इस पाठ्यक्रम का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।’
कोर्स को पूर्ण करने के अंतिम चरण में छात्रों को कैपस्टोन प्रोजैक्ट पर काम करना होगा जोकि सभी टॉपिक्स से मिले ज्ञान का संयुक्त मूल्यांकन है और उसे पास भी करना होगा। प्रवक्ता के अनुसार, ‘इस पाठ्यक्रम की ज़रूरत हेल्थकेयर उद्योग के सम्पूर्ण विकास के लिए भी है। नर्सिंग होम्स चलाने वाले डाक्टरों को हेल्थकेयर सेवाओं के प्रबंधन व प्रशासन में गंभीर मदद की ज़रूरत होती है।’ डेल्ही स्किल एंड इंटरप्रेन्योरशिप यूनिवर्सिटी (डीएसईयू), दिल्ली ने इस साल पांच नये पैरामैडीकल कोर्स जोड़े हैं। इनसे छात्रों को हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग दी जाती है। ये कोर्स उद्योग खिलाड़ियों के सहयोग से चल रहे हैं। इन पाठ्यक्रमों में शामिल हैं मैडीकल लेबोरेटरी टेक्नोलॉजी, इमरजेंसी मैडीकल टेक्नोलॉजी और डायलिसिस टेक्नोलॉजी में बीएससी। ओप्टोमेट्री व हॉस्पिटल मैनेजमेंट में बीबीए जोकि एक वर्ष की इंटर्नशिप सहित चार वर्ष के कोर्स हैं। यह कोर्स छात्रों को इमर्जिंग हेल्थकेयर टेक्नोलॉजी के साथ ही उपकरण हैंडल करने की ट्रेनिंग भी देंगे। उद्देश्य आने वाले वर्षों में उच्च स्किल्ड कार्यबल उत्पन्न करना है।
वीईएस कॉलेज ऑफ आर्ट्स, साइंस एंड कॉमर्स (वीईएसएएससी) मुंबई  ने मैडीकल लेबोरेटरी टेक्नोलॉजी में शॉर्ट-टर्म डिप्लोमा शुरू किया है जो छात्रों को पैथोलॉजी या मैडीकल लेबोरेटरी में रोज़गार करने योग्य बनायेगा। इमर्जिंग मैडीकल टेक्नोलॉजी व डायलिसिस टेक्नोलॉजी में बीएससी कोर्स का गठन उद्योग विशेषज्ञों से विचार-विमर्श करने के बाद अपोलो मेडस्किल्स लिमिटेड की पार्टनरशिप में शुरू किया गया है। 15 माह के इस कोर्स में 3 माह की आवश्यक इंटर्नशिप भी है जोकि डीएनबी/एमडी पैथोलोजिस्टस या पैथोलॉजी लैब्स के साथ करनी होगी। छात्रों को मैडीकल लैब्स में विशिष्ट उपकरणों के साथ ट्रेनिंग दिलायी जाती है ताकि वह रोग की पहचान करने में माहिर हो जायें। इससे वह उपकरण हैंडल करना और डाटा जनरेट करना या पढ़ना सीख जाते हैं।
भारत में अगर प्राइमरी आई केयर मिल जाये तो 80 प्रतिशत अंधेपन व दृष्टि-संबंधी समस्याओं को रोका जा सकता है। यही कारण है कि स्किल्ड ओप्टोमेटरिस्टस की मांग बढ़ती जा रही है। ओप्टोमेट्री में बीबीए का महत्व इसी वजह से है। यह कोर्स डीएसईयू लेंसकार्ट के सहयोग से चल रहा है। कोर्स पूरा करने के बाद छात्रों के लिए यह ज़रूरी है कि वे देशभर में फैले लेंसकार्ट स्टोर्स में एक वर्ष की इंटर्नशिप करें। हॉस्पिटल मैनेजमेंट महत्वपूर्ण विषय है जिसे स्किल्ड टीम हैंडल करती है। लेकिन अधिकतर अस्पतालों में वरिष्ठ डाक्टरों पर प्रबंधन का भी बोझ डाल दिया जाता है।  हॉस्पिटल मैनेजमेंट में बीबीए इस समस्या का समाधान है। यह कोर्स टेक्नोलॉजी से लेकर प्रबंधन ज्ञान तक सब चीज़ों को कवर करता है। इससे छात्र सभी विभागों का चार्ज संभाल सकते हैं- मसलन जनरल एडमिनिस्ट्रेशन, हेल्थकेयर,फाइनेंस मैनेजमेंट, क्वालिटी कंट्रोल आदि। -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर