नवम्बर का महीना और बागबानी, फूलों की कृषि


बागवानी के लिए नवम्बर का महीना बहुत अहम है। इस महीने में बेरों के बागों को पानी दे देना चाहिए। अगले महीनों में 34 सप्ताह बाद पानी देते रहना चाहिए। ज़मीन को खुश्क नहीं होने देना चाहिए। बेरों की गुणवत्ता सुधारने के लिए पोटाशियम नाइट्रेट का छिड़काव इसी महीने कर देना चाहिए। यदि बेरों के पत्तों पर काले निशान हों तो वृक्षों पर बोर्डो मिश्रण के घोल का छिड़काव ज़रूरी है। बेर के फल का केरा रोकने के लिए नैफथलीन एस्टिक एसिड (एन.ए.ए.) को 15 ग्राम प्रति 500 लीटर के हिसाब से प्रति एकड़ क्षेत्र पर छिड़काव ज़रूरी है। पानी में मिलाने से पहले नैफथलीन एस्टिक एसिड को थोड़े से अल्कोहल में घोल लेना चाहिए। इस महीने मालटा, मौसमी और अरली गोल्ड किस्मों को तोड़ना शुरू कर देना चाहिए। ताकि फलों का गुद्दा न सुखे। तोड़ते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि डंडी के साथ-साथ छिलका जख्मी न हो जाएं। बेहतर होगा यदि तोड़ते समय कल्लिपर का प्रयोग किया जाए। नवम्बर के अंत में हमेशा हरे रहने वाले छोटे पौधों पर विशेष तौर पर नए पौधों को ठंड से बचाने के लिए कुल्लियों का प्रबंध करना चाहिए। ये कुल्लियां दक्षिण-पश्चिम की तरफ खुली रखनी चाहिए ताकि पौधों को धूप लग सके। छोटे बागों में अंतर फसलें लगाने के लिए भी नवम्बर का महीना ही अच्छा है।
शरद ऋतु के मौसमी फूलों की पनीरी कियारियों और गमलों में इसी महीने लगती है। मौसमी फूलों के गमलों में पानी का खास ध्यान रखना चाहिए। फूलों की पनीरी यदि इस महीने लगाई गई हो तो फूल फरवरी-मार्च में पूरी तरह खिल जाएंगे। इसके साथ आस-पास सुंदर, रंगीन, मनमोहक और सुगंधी भरपूर हो जाएगा। बागबानी विभाग के पूर्व डिप्टी डायरैक्टर डा. स्वर्ण सिंह मान अनुसार फूलों की पनीरी ऊंचाई के हिसाब से तरतीब में लगानी ज़रूरी है। ऊंची पनीरी जैसे गुलदाऊंदी, कोर्न फलावर, स्वीट सुलतान, डेहलीया, लारकस्पर, अफ्रीकन गेंदा, एैंटराइनम, हैलीकराइसम, होलीहाक, कासमास, स्वीट पी, बिलज़ ऑफ आयरलैंड आदि हैं। मध्यम कद वाली पनीरी में एैकरोकलाइज़्म, एैस्टर, कारनेशन, स्वीट विलीयम, पटूनिया, कलारकीया, कैलेफोर्निया पोपी, नमेशिया, गजानीयां, सावलीया, वाल फलावर, जिपसोफिला, स्टेटिस, कोडीडफट, कलैंडुला, फ्लौकस, वरबीना, डाईमोरफोथिका. नशटरशीयम, सिनेनेरीया आदि आते हैं। छोटी कद वाली पनीरी में बरैचीकम, डेज़ी, पेज़ी, आइस प्लांट, स्वीट अलाईसम,  फ्रैंच मैरीगोल्ड आदि आते है। गमलों में लगाने के लिए एैस्टर, पटूनिया, गज़ानिया, सिनेरेरीया, सालवीया, नमेशिया बरैचीकम, पेज़ी, आईस प्लांट आदि योग्य हैं। डा. मान कहते हैं कि छाया वाले स्थानों पर सालवीया, सिनेरेरीया, पर्दा करने के लिए सज़ावटी मटर, हैलीहांक और सुखा कर रखने के लिए नाईजेला, बिल्ज़ ऑफ आयरलैड, स्टैटिस, हैलिकराइशम, एैकरोकलाइनम लगाने चाहिए।
खुशबूदार फूलों के लिए स्वीट सुलतान, स्वीट विलीयम, सजावटी मटर, स्वीट अलाइसम लगाये जा सकते हैं। गुलाब की कलमें बनाने और आंखें चढ़ाने के लिए भी नवम्बर का महीना बहुत बढ़िया है। देसी गुलाब और तेल वाले गुलाब के पौधे भी इसी महीने लगाए जाते हैं। गलैडीउलस और नर्गिस के गंडे भी इसी महीने बीज़े जाते हैं। डेल्लियां की जड़ों वाली कलमें गमलों या कयारियों में इसी महीने लगाई जाती हैं। अगेते बीजे गलैडीउलस के खेतों में से यदि दात्री के आकार के पत्तों वाले पौधे दिखाई दें तो उनको उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिए क्योंकि उनके ऊपर रोग का हमला हुआ होता है। अगस्त में लगाया गया गेंदा इस महीने ज्यादा फूल देने शुरू कर देता है। यदि बीज तैयार करना हो तो गेंदे के पक्के और सुखे फूलों को तोड़ कर संभालना जरूरी है। गुलदाऊदी की अगेती किस्मों के मुरझाए हुए फुलों को तोड़ते रहना चाहिए ताकि गमलों की खुबसुरती कायम रखी जा सके। पौधे के नीचे से सुखे पत्तों को लगातार तौड़ते रहना चाहिए। गुलदाऊदी के लिए भी गमले इसी महीने तैयार किए जाते हैं। छोटे बागों में फसलें बीजने के लिए समय बहुत अच्छा है।
गलैडीवैक्स और जाफरी के फूल घरेलू प्रयोग के लिए और व्यापारिक स्तर पर प्रयोग के लिए भी लगाए जा सकते हैं। इसके लिए बागबानी विभाग राष्ट्रीय बागबानी मिशन अधीन 25 से 40 प्रतिशत तक सब्सिडी उपलब्ध करवाता है। व्यापार की कृषि के लिए ज़िरबरा, देसी गुलाब और ग्राफटिड गुलाब आदि भी लगाए जा सकते हैं। फरवरी-मार्च के महीने में अगले साल सं: 2023 में फूलों के ज़िला स्तरीय और राज्यस्तरीय शो लगाए जाएंगे और पी.ए.यू. लुधियाना और चंडीगढ म्यूनिसिपल कार्पोरेशन द्वारा भी यह शो आयोजित किए जाएंगे। फूलों के उत्पादक इन शो में भाग लेकर ईनाम प्राप्त कर सकते हैं। जिसके साथ उनको मानसिक तौर पर खुशी प्राप्त होगी। क फूलों के बीजों के उत्पादक कई कम्पनियों के लिए बीज पैदा करके अच्छी कमाई कर रहे हैं और ये कम्पनियां बीज एक्सपोर्ट करके और घरेलू मंडियों में बेचकर बहुत लाभप्रद व्यापार कर रही हैं।