इन्फ्लूएंजा से डरें नहीं, बचाव ही उपचार है

देश कोरोना महामारी से अभी पूरी तरह उभरा भी नहीं है कि इन्फ्लूएंजा वायरस (फ्लू ) ने लोगों को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद का कहना है कि देश में कोरोना वायरस के मामले तो कम हो रहे हैं, लेकिन सर्दी-खांसी और बुखार के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं। इसके अलावा बदनदर्द, गले में खराश और डायरिया की शिकायत हो सकती है। यह लक्षण एक हफ्ते तक रहते हैं। यह इन्फ्लूएंजा वायरस की वजह से हो रहा है। बीते दो-तीन महीनों से इन्फ्लूएंजा वायरस के ए सब-टाइप एच3एन2 के कारण बुखार और सर्दी-खांसी के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 2 लोग इस नए रोग के शिकार हो चुके है। 
भारत सरकार ने एक एडवाइज़री जारी कर राज्य सरकारों को इन्फ्लूएंजा वायरस से सचेत करते हुए इस पर सतत निगरानी रखने को कहा है। भारत सरकार स्थिति से निपटने के लिए राज्यों के साथ काम कर रही है और सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों में सहयोग दे रही है। देश में अब तक इसके तीन हज़ार से अधिक मामले सामने आये हैं। स्वास्थ्य  मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार इन्फ्लूएंजा के जनवरी में 1,245 मामले, फरवरी में 1,307 और 9 मार्च तक 486 मामले सामने आए हैं, वहीं गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी के भर्ती मामलों का संबंधित डेटा जनवरी में 7,041 मामले, फरवरी में 6,919 और मार्च के पहले नौ दिनों में 1,866 मामले रहे। इस साल 28 फरवरी तक 955 एच1एन1 के मामले सामने आ चुके हैं। एच1एन1 के अधिकांश मामले तमिलनाडु में 545 रिपोर्ट किए गए। महाराष्ट्र में 170 मामले, गुजरात में 74, केरल में 42 और पंजाब में 28 मामले दर्ज किए गए। 
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार एच3एन2 वायरस से संक्रमित रोगियों के लक्षण कोरोना से काफी मेल खाते हैं।  इस कारण लोग कई बार घबरा जाते हैं।  एच3एन2 वायरस को ‘हांगकांग फ्लू’ के नाम से भी जाना जाता है। मौसम बदल रहा हो तो ये मामले सामने आ रहे हैं। मौसमी इन्फ्लूएंजा के ज्यादातर मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत नहीं पड़ रही।  बुखार, सर्दी-खांसी और शरीर में दर्द इसके लक्षण हैं। ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत अस्पताल जाकर इलाज करना चाहिए। आमतौर पर 7 से 10 दिनों में मरीज़ पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। बच्चों और बुजुर्गों को इससे बचाव और उपचार पर विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि अभी मौसमी बुखार फैल रहा है जो पांच से सात दिन तक रहता है। बुखार तो तीन दिन में चला जाता है, लेकिन सर्दी-खांसी तीन हफ्तों तक रहती है। इससे घबराने की ज़रुरत नहीं है। कोविड काल की मास्क और हाथ धोने जैसी सावधानियां रखी जानी चाहिए।  डॉक्टरों का कहना है कि फेस मास्क पहनें और भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। हाथों को नियमित रूप से पानी और साबुन से धोते रहें। नाक और मुंह छूने से बचें। खांसते या छींकते समय नाक और मुंह को अच्छी तरह ढंक लें। खुद को हाइड्रेट रखें, पानी के अलावा फलों का जूस या अन्य पेय पदार्थ लेते रहें। बुखार आने की स्थिति में पैरासिटामोल लें।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक मौसमी इन्फ्लूएंजा वायरस चार टाइप—ए,बी,सी और डी का होता है। इनमें ए और बी टाइप से मौसमी फ्लू फैलता है। हालांकि, इनमें इन्फ्लूएंजा टाइप ए को महामारी का कारण माना जाता है। इन्फ्लूएंजा टाइप ए के दो सब-टाइप होते हैं। एक होता है एच3एन2 और दूसरा एच1एन1। वहीं, इन्फ्लूएंजा टाइप बी के सब टाइप नहीं होते, लेकिन इसके लाइनेज हो सकते हैं। टाइप सी को बेहद हल्का माना जाता है और खतरनाक नहीं होता। जबकि टाइप डी मवेशियों में फैलता है।-मो. 89495-19406