शर्मिला टैगोर ने 13 वर्ष की आयु में की थी करियर की शुरुआत

 

फिल्म ‘गुलमोहर’ के साथ शर्मिला टैगोर ने 12 वर्ष के लम्बे अंतराल के बाद पर्दे पर वापसी की है। इस फिल्म में वह कुसुम के किरदार में हैं, जो उनके लिए इस लिहाज़ से आदर्श है कि उनके व्यक्तिगत स्वभाव से काफी मिलता जुलता है। वह दिल्ली के एक रईस परिवार की शालीन, इंटेलीजेंट व विद्रोही कुलमाता की भूमिका में हैं। ‘गुलमोहर’ उनके दो-मंज़िला मकान का नाम है जो अब बिकने की कगार पर है। जो अब जा रहा है, वह केवल मकान नहीं है बल्कि जीवन व्यतीत करने का तरीका है। पैकर्स के आने से पहले परिवार की आखिरी मीटिंग होती है जिसमें कुसुम घोषणा करती हैं कि उन्होंने पुदुच्चेरी में एक मकान खरीदा है, जहां वह अकेले रहने का इरादा रखती हैं। इस घोषणा से परिवार में तीन पीढ़ियों का तनाव और पुराने ज़ख्म उभर आते हैं।
बहरहाल, काफी उतार चढ़ाव व टकराव के बाद उन्हें यह समझ में आ जाता है कि ईंट व सीमेंट से कहीं अधिक महत्व परिवार का होता है। कुसुम के रूप में शर्मिला टैगोर संतुलित हैं। वह सुरुचिपूर्ण व सुंदर हैं और उनकी गरिमा में विद्रोही स्वभाव निहित है। एक बार वह अपने गोपनीय अतीत के बारे में बोलती हैं, जिसके बारे में परिवार का कोई सदस्य जानता नहीं था। अंत में उनका पुदुच्चेरी फैसला चमत्कारपूर्ण व आकर्षक तर्क साबित होता है। कुसुम सीनियर सिटीजन अवश्य हैं, लेकिन फिर भी उन्होंने अपना विद्रोही स्वभाव नहीं छोड़ा है। इसलिए यह आश्चर्य नहीं है कि इस भूमिका के लिए शर्मिला टैगोर एकदम सही फिट होती हैं। अपना अधिकतर जीवन मुंबई की चकाचौंध में गुज़ारने के बाद शर्मिला टैगोर अब दिल्ली के निकट पटौदी पैलेस में रहती हैं, जहां उनके पति मंसूर अली खान पटौदी उर्फ टाइगर दफन हैं। पटौदी में रहने का कारण, उनके अनुसार यह है, ‘मैं टाइगर से दूर रहना नहीं चाहती।’ वह अपने तीनों बच्चों सैफ, सोहा व सबा  और उनके बच्चों इब्राहिम, सारा, तैमूर, जहांगीर व इनाया के लिए कुलमाता हैं।
शर्मिला टैगोर ने मात्र 13 वर्ष की आयु में सत्यजीत रे की फिल्म ‘अपूर संसार’ से काम करना शुरू किया था। उनके एक्टिंग करियर से उनकी प्रधानाचार्या इतनी अधिक नाराज़ हो गईं थीं कि शर्मिला टैगोर को दूसरे स्कूल में प्रवेश लेना पड़ा था। जब वह 17 साल की हुईं तो अकेले होटल में रहते हुए अपने चयन किये गये करियर को आगे बढ़ा रही थीं। 22 साल की उम्र में वह एक फिल्म पत्रिका (फिल्मफेयर) के लिए बिकनी में पोज़ करने वाली पहली भारतीय अभिनेत्री बनीं। इस तस्वीर ने इतनी सनसनी मचायी कि इस पर संसद तक में प्रश्न मालूम किये गये थे। हालांकि उन्हें क्रिकेटर एम.एल. जयसिम्हा पर क्रश था, लेकिन एक दूसरे क्रिकेटर नवाब मंसूर अली खान पटौदी को अपना दिल दे बैठीं और वह भी इस हद तक कि अपनी फिल्म शूटिंग के बाद एयरपोर्ट पर टाइगर को सी-ऑफ करने के लिए गईं जो विदेशी दौरे पर जा रहे थे, टाइगर ने उनसे मजाक में साथ चलने के लिए कहा और वह बिना किसी सामान के उनके साथ चल पड़ीं। यात्रा के दौरान उन्हें टाइगर के शोर्ट्स पहनने पड़े थे। शर्मिला टैगोर के अनुसार, ‘टाइगर को जोक्स सुनाने का शौक था, लेकिन उनका ब्रिटिश एक्सेंट मेरी समझ में नहीं आता था, इसलिए टाइगर खुद ही अपने जोक्स पर हंसते थे।’
इस सिलसिले में दो अन्य किस्से भी दिलचस्प हैं। शर्मिला टैगोर जिस समय टाइगर की ज़िंदगी में आयीं तो वह सिमी ग्रेवाल को डेट कर रहे थे। अब टाइगर ने फैसला कर लिया था कि वह पेरिस में शर्मिला टैगोर के समक्ष घुटने पर जाकर विवाह प्रस्ताव रखेंगे, इसलिए सिमी ग्रेवाल से ब्रेक-अप ज़रूरी था। वह सिमी ग्रेवाल के घर पहुंचे और उनसे जाकर राहें अलग-अलग होने की बात कही, उस समय बाहर उनकी कार में शर्मिला टैगोर बैठी हुईं थीं, यानी वह एक प्रेमिका से ब्रेकअप करने के लिए दूसरी प्रेमिका को साथ लेकर गये थे। 24 साल की आयु में शर्मिला टैगोर ने टाइगर से शादी कर ली, जब वह अपने फिल्मी करियर की बुलंदियों पर थीं। हर किसी का यही मानना था कि यह शादी नहीं चलेगी और शर्मिला टैगोर का फिल्मी करियर समाप्त हो जायेगा। वैसे भी उस दौर में विवाहित लड़की को कोई निर्माता अपनी फिल्म में हीरोइन बनाना पसंद नहीं करता था। लेकिन शर्मिला टैगोर ने इन अटकलों को गलत साबित किया। उनकी शादीशुदा ज़िंदगी बहुत सफल रही, वह अब भी टाइगर की कब्र के निकट ही रहती हैं और 1970 में सैफ को जन्म देने के बाद वह फिल्मों में सफलतापूर्वक फिर लौटीं, अभिनय के नये कीर्तिमान स्थापित करते हुए।
शर्मिला टैगोर ने रे के साथ पांच फिल्में कीं, जो उनका सर्वश्रेष्ठ कार्य कहा जा सकता है, लेकिन ‘अराधना’ (1969) की ‘मेरे सपनों की रानी’ को कौन भूल सकता है, जिसका ‘रूप तेरा मस्ताना’ था।
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