कामेडी का मसीहा चार्ली चैपलिन

चार्ली चैपलिन का नाम आज भी दुनिया के उन प्रसिद्ध हास्य कलाकारों की सूची में सबसे अव्वल नंबर पर आता है जिन्होंने अपनी जुबान से बिना एक अक्षर भी बोले सारा जीवन दुनियां को वो हंसी-खुशी और आनंद दिया है जिसके बारे में आसानी से सोचा भी नहीं जा सकता। इस महान कलाकार ने जहां अपनी कामेडी कला की बदौलत चुप रह कर भी अपने जीते जी तो हर किसी को हंसाया ही, वहीं आज उनके इस दुनिया से जाने के बरसों बाद भी हर पीढ़ी के लोग उनकी हास्य की इस जादूगरी को सलाम करते हैं।
16 अप्रैल 1889 को इंग्लैंड में जन्मे इस महान कलाकार की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि लोग न सिर्फ उनके हंसने पर उनके साथ हंसते थे बल्कि उनके चलने पर, उनके रोने पर, उनके गिरने पर, उनके पहनावे को देख कर दिल खोल कर खिलखिलाते थे। अगर इस बात को यूं भी कहा जाये कि उनकी हर अदा में कामेडी थी और जमाना उनकी हर अदा का दीवाना था तो गलत न होगा। 
पांच-छह साल की छोटी उम्र में जब बच्चे सिर्फ खेलने कूदने में मस्त होते हैं, इस महान कलाकार ने उस समय कामेडी करके अपनी अनोखी अदाओं से दर्शकों को लोटपोट करना शुरू कर दिया था। चार्ली चैप्लिन ने अपने घर को ही अपनी कामेडी की पाठशाला और अपने माता-पिता को ही अपना गुरू बनाया। इनके माता-पिता दोनों ही अपने जमाने के अच्छे गायक और स्टेज के प्रसिद्ध कलाकार थे।
एक दिन अचानक एक कार्यक्र म में इनकी मां की तबीयत खराब होने की वजह से उनकी आवाज चली गई। थियेटर में बैठे दर्शकों द्वारा फेंकी गई कुछ वस्तुओं से वो बुरी तरह घायल हो गई। उस समय बिना एक पल की देरी किये इस नन्हे बालक ने थोड़ा घबराते हुए लेकिन मन में दृढ़ विश्वास लिये अकेले ही मंच पर जाकर अपनी कामेडी के दम पर सारे शो को संभाल लिया। उसके बाद चार्ली चैपलिन ने जीवन में कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा।  सर चार्ली चैपलिन एक सफल हास्य अभिनेता होने के साथ-साथ फिल्म निर्देशक और अमेरिकी सिनेमा के निर्माता और संगीतज्ञ भी थे। चार्ली चैपलिन ने बचपन से लेकर 88 वर्ष की आयु तक अभिनय, निर्देशक, पटकथा, निर्माण और संगीत की सभी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया।
बिना शब्दों और कहानियों की हालीवुड में बनी फिल्मों में चार्ली चैपलिन ने हास्य की अपनी खास शैली से यह साबित कर दिया कि केवल पढ़-लिख लेने से ही कोई विद्धान नहीं होता। महानता तो कलाकार की कला से पहचानी जाती है और बिना बोले भी आप गुणवान बन सकते हैं।
यह अपने युग के सबसे रचनात्मक और प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक थे। इन्होंनें सारी उम्र सादगी को अपनाते हुए कामेडी को ऐसी बुलंदियों तक पहुंचा दिया जिसे आज तक कोई दूसरा कलाकार छू भी नहीं पाया। इनके सारे जीवन को यदि करीब से देखा जाये तो एक बात खुलकर सामने आती है कि इस कलाकार ने कामेडी करते समय कभी फूहड़ता का सहारा नहीं लिया। इसीलिये शायद दुनियां के हर देश में स्टेज और फिल्मी कलाकारों ने कभी इनकी चाल-ढाल से लेकर कपड़ों तक और कभी इनकी खास स्टाइल वाली मूछों की नकल करके दर्शकों को खुश करने की कोशिश की है।  हर किसी को मुस्कुराहट और खिलखिलाहट देने वाले मूक सिनेमा के आईकॉन माने जाने वाले इस कलाकार के मन में सदैव यही सोच रहती थी कि अपनी तारीफ खुद की तो क्या किया। मजा तो तभी है कि दूसरे लोग आपके काम की तारीफ करें। चार्ली चैपलिन की कामयाबी का सबसे बड़ा रहस्य यही था कि इन्होंने जीवन को ही एक नाटक समझ कर उसकी पूजा की जिस की वजह से यह खुद भी प्रसन्न रहते थे और दूसरों को भी सदा प्रसन्न रखते थे। 
इनके बारे में आज तक यही कहा जाता है कि इनके अलावा कोई भी ऐसा कलाकार नहीं हुआ जिस किसी एक व्यक्ति ने अकेले सारी दुनियां के लोगाें को इतना मनोरंजन, सुख और खुशी दी हो।  जो कोई सच्ची लगन से किसी कार्य को करते हैं उनके विचाराें, वाणी एवं कर्मों पर पूर्ण आत्मविश्वास की छाप लग जाती है। कामेडी के मसीहा चार्ली चैपलिन ने इस बात को सच साबित कर दिखाया कि कोई किसी भी पेशे से जुड़ा हो, वो चुप रह कर भी अपने पेशे की सही सेवा करने के साथ हर किसी को खुशियां दे सकता है।

(युवराज)