क्या साल में बोर्ड की दो बार परीक्षा से तनाव कम होगा ?

 

स्कूली शिक्षा में सुधार की आवश्यकता है। अनेक कारणों से इस तथ्य से इन्कार करना असंभव है। रटने का नियम, जो सीखने के लिए पर्याप्त नहीं है, से लेकर शिक्षण शास्त्र जो छात्रों, विशेषकर लड़कियों में गणित का भय उत्पन्न करने तक, सब में सुधार की गुंजाइश है। लेकिन सुधारों पर विचार करते हुए शिक्षा नीति निर्माताओं को पिछले अनुभवों से मिले सबक को ज़रूर याद रखना चाहिए। सीसीई (नियमित व विस्तृत मूल्यांकन) तो याद होगा जिसे 2009 में तारीफों के पुल बांधकर लाया गया था, लेकिन 2017 में बाहर निकाल दिया गया। इसमें की गई मेहनत का अंत में परिणाम शून्य ही निकला।
अब स्कूल शिक्षा-2023 के लिए ड्राफ्ट राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा (एनसीएफ) में स्कूलिंग के विभिन्न स्तरों पर मूल्यांकन में महत्वपूर्ण परिवर्तनों की सिफारिश की गई है। छात्रों, अध्यापकों व स्कूल प्रशासकों के लिए इसका अर्थ है कि वह मार्च 2020 से जिस अनुकूलक (एडेप्टिव) ट्रेडमिल पर सवार हैं वह आगे आने वाले वर्षों में अधिक गति पकड़ेगी। इसलिए यह उचित हुआ है कि दस्तावेज़ के स्वरूप को जल्द सार्वजनिक कार्यक्षेत्र में लाया गया है। इससे अनुचित आशंकाओं से बचना सुनिश्चित किया जा सकेगा और साथ ही हित धारकों को प्रोत्साहित किया जा सकेगा कि वह सुधार प्रस्तावों पर सकारात्मक व रचनात्मक रुख अपनाएं। एनसीएफ  के मुख्य प्रस्तावों में शामिल हैं छात्रों का आर्ट्स, कॉमर्स व साइंस में अधिक स्वतंत्रता के साथ इधर से उधर जाना, आत्म-मूल्यांकन में वृद्धि और साल में कम से कम दो बार बोर्ड परीक्षाओं का आयोजन। ये अच्छे लक्ष्य प्रतीत होते हैं, लेकिन कारगर तभी होंगे जब इनका विवरण दुरुस्त हो और छात्रों व अध्यापकों को साथ लेकर चला जाये।
वर्तमान में छात्र हाई स्कूल के बाद आर्ट्स, कॉमर्स या साइंस में से किसी एक स्ट्रीम का चयन करता है। ड्राफ्ट एनसीएफ  इस परम्परा को तोड़ता है और कक्षा 9-10 व 11-12 के लिए आठ पाठ्यक्रम क्षेत्रों की सिफारिश करता है। कक्षा 11-12 में छात्र आठ पाठ्यक्रम क्षेत्रों में से 16 चयन-आधारित कोर्सेज़ का विकल्प ले सकता है, जिन्हें चार सेमेस्टर्स में कवर किया जायेगा। प्रत्येक चयन-आधारित कोर्स एक सेमेस्टर में कवर होगा, लेकिन कक्षा 9-10 के लिए वार्षिक शेड्यूल का पालन होगा क्योंकि सभी छात्रों को समान कोर्सेज़ करने होंगे। कक्षा 10 व 12 की बोर्ड परीक्षाओं में अंकों की गणना संचयी प्रदर्शन (क्यूमिलेटिव परफॉरमेंस) के आधार पर की जायेगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 से प्रेरित ड्राफ्ट एनसीएफ ने वर्ष के अंत में एक परीक्षा की जगह मोडुलर परीक्षाओं की सिफारिश की है। 6 अप्रैल को फीडबैक के लिए सार्वजिनक किये गये ड्राफ्ट में साल में दो बार बोर्ड परीक्षाएं आयोजित करने का प्रस्ताव है और फाइनल सर्टिफिकेशन प्रत्येक परीक्षा के संचयी परिणाम पर आधारित होगा। 
कक्षा 9 व 10 के लिए आठ पाठ्यक्रम क्षेत्र हैं- ह्यूमैनिटीज़, गणित व कम्प्यूटिंग, वोकेशनल एजुकेशन, फिजिकल एजुकेशन, आर्ट्स एजुकेशन, सोशल साइंस, साइंस और इंटरडिस्सिप्लिनरी एरियाज़। कक्षा 11 व 12 के लिए भी यही आठ पाठ्यक्रम क्षेत्र हैं, केवल इस अंतर के साथ कि फिजिकल एजुकेशन की जगह स्पोर्ट्स है। बहरहाल, कक्षा 11 व 12 में छात्र अपने कोर्सेज़ स्वयं चुन सकते हैं। इसे इस तरह से समझें कि अगर छात्र साइंस (पाठ्यक्रम क्षेत्र) का चयन करता है और फिजिक्स चयन-आधारित विषय के तौर पर लेता है तो वह दूसरा पाठ्यक्रम क्षेत्र आर्ट्स ले सकता है, संगीत को चयन-आधारित विषय के साथ। तीसरा पाठ्यक्रम क्षेत्र गणित हो सकता है और चौथा चयन-आधारित विषय किसी भी पाठ्यक्रम क्षेत्र से हो सकता है, जो पहले लिया हुआ भी हो सकता है या पूर्णत: अलग भी हो सकता है। हर पाठ्यक्रम क्षेत्र में चार कोर्सेज़ होंगे ताकि छात्र को उसकी गहन जानकारी हो जाये। हर कोर्स की अवधि एक सेमेस्टर की होगी। चयन-आधारित विषयों का अर्थ यह नहीं है कि छात्रों ने उससे जुड़े विषयों का भी चयन कर लिया है। 
इसके विपरीत अगर छात्र सोशल साइंसेज को पाठ्यक्रम क्षेत्र के रूप में चुनता है और उसमें इतिहास चयन-आधारित विषय है तो वह ह्यूमैनिटीज़ को दूसरे पाठ्यक्रम क्षेत्र के रूप में ले सकता है और दर्शन में चार कोर्स कर सकता है। गणित तीसरा पाठ्यक्रम क्षेत्र हो सकता है, कम्प्यूटर साइंस में चार कोर्सेज़ के साथ जो उसका हिस्सा है। चौथा विषय किसी भी किसी भी पाठ्यक्रम क्षेत्र से हो सकता है, जो पहले लिया हुआ भी हो सकता है या पूर्णत: अलग भी हो सकता है। बहरहाल, ड्राफ्ट एनसीएफ  के समर्थन में सबसे बड़ी दलील यह दी जा रही है कि इससे बोर्ड परीक्षा के तनाव में कमी आयेगी।