अब बढ़ सकती है विपक्षी नेताओं की धरपकड़ 

 

आम धारणा के विपरीत कि मोदी अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ  पुलिस, ईडी और सीबीआई के इस्तेमाल पर रोक लगायेंगे, उनका कर्नाटक पुलिस प्रमुख प्रवीण सूद को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का अगला निदेशक चुनना एक स्पष्ट संदेश देता है कि वह विपक्ष विशेषकर कांग्रेस नेताओं को किसी भी तरह से चुप कराने को तैयार है।
सूद वर्तमान निदेशक सुबोध कुमार जायसवाल का स्थान लेंगे, जिनका कार्यकाल 25 मई को समाप्त हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी की एक उच्च स्तरीय समिति की बैठक में सूद के नाम को मंजूरी दी गयी थी। कांग्रेस नेता चौधरी ने कथित तौर पर अगले सीबीआई निदेशक के रूप में सूद के चयन पर एक असहमति नोट दिया था। हालांकि, उनके विरोध को मोदी सरकार ने खारिज कर दिया, जिसने अंतत: सूद को चुना। अन्य दो दावेदार सुधीर सक्सेना (डीजीपी मध्य प्रदेश) और ताज हसन थे। ताज वर्तमान में दिल्ली के विशेष पुलिस आयुक्त (यातायात) के रूप में कार्यरत हैं। वह अपने जन पक्षधर होने के कारण कभी भी दिल्ली की शासक वर्ग के पसंदीदा नहीं रहे हैं। वह दिल्ली पुलिस के मुख्य प्रवक्ता भी रह चुके हैं, जो अपनी तरह का पहला पद है। हसन दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त (अपराध) भी रह चुके हैं।
सूद इस साल मार्च में तब सुर्खियों में आये थे जब कर्नाटक कांग्रेस के प्रमुख डी.के. शिवकुमार ने उन पर राज्य में भाजपा सरकार को बचाने का आरोप लगाया था। शिवकुमार ने राज्य के पुलिस महानिदेशक की गिरफ्तारी की मांग करते हुए दावा किया था कि वह कांग्रेस नेताओं के खिलाफ  मामले दर्ज कर रहे हैं। सूद हमेशा भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से निकटता के लिए विवादों में रहे हैं। उन्हें पहले उस समय विवाद का सामना करना पड़ा था जब उन्हें बेंगलुरू शहर के पुलिस आयुक्त के रूप में उनके पद से स्थानांतरित कर दिया गया था। स्थानांतरण कथित तौर पर तत्कालीन कांग्रेस मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा प्राप्त सूद के खिलाफ  कई शिकायतों के कारण हुआ था।
छह साल बाद इस साल मार्च में सूद को कांग्रेस कर्नाटक के अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार की आलोचना का सामना करना पड़ा, जिन्होंने उन पर भाजपा नेताओं की गतिविधियओं को अनदेखा करते हुए कांग्रेस कार्यकर्ताओं को गलत तरीके से निशाना बनाने का आरोप लगाया। शिवकुमार ने चेतावनी दी थी कि अगर कांग्रेस पार्टी सत्ता में लौटी, तो वह सूद के खिलाफ  कार्रवाई करेगी।।  शिवकुमार ने आगाह किया था कि सही तरीके से अपना कर्त्तव्य नहीं निभाने के लिए उनके खिलाफ  मामला दर्ज किया जाना चाहिए। शिवकुमार ने आरोप लगाया था कि सूद कांग्रेस नेताओं के खिलाफ  लगभग 25 मामले दर्ज किये और राज्य में भाजपा नेताओं के खिलाफ  एक भी मामला दर्ज नहीं किया। उन्होंने कहा था कि सूक के बारे में हमने चुनाव आयोग को भी लिखा था।
यह भी आरोप लगाया जाता है कि सूद ने भाजपा कार्यकर्ताओं को मांड्या में वोक्कालिगा सरदारों उरीगौड़ा और नन्जेगौड़ा का सम्मान करते हुए एक विवादास्पद मेहराब बनाने से नहीं रोका था। मेहराब का निर्माण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मांड्या यात्रा से पहले किया गया था। सूद को स्थानांतरित करने में मोदी सरकार द्वारा दिखायी गयी जल्दबाजी इस विश्वास को पुष्ट करती है कि उन्हें मुख्य रूप से दो कारणों से दिल्ली स्थानांतरित किया गया था। सबसे पहले, उन्हें नई कांग्रेस सरकार द्वारा परेशान होने से बचाने के लिए जो एक सप्ताह के भीतर सत्ता में आयेगी। शिवकुमार पहले ही कह चुके हैं कि सूद को उनकी भाजपा समर्थक गतिविधियों के लिए गिरफ्तार किया जायेगा। सीबीआई वर्तमान में शिवकुमार के खिलाफ  आय से अधिक सम्पत्ति के मामले की जांच कर रही है और दिसम्बर में कांग्रेस नेता की सम्पत्तियों के साथ-साथ उनके परिवार द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थानों की तलाशी ली। यह मामला उस समय के आरोपों से जुड़ा है जब शिवकुमार कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार में मंत्री थे।
पिछले महीने कर्नाटक उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने सीबीआई जांच के खिलाफ  शिवकुमार की अपील को खारिज कर दिया था। भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के प्रावधानों के तहत दर्ज की गई प्रथम सूचना रिपोर्ट को चुनौती देने वाली शिवकुमार की एक अन्य अपील पर 30 मई को सुनवाई होगी। अगर कांग्रेस नेताओं के प्रकोप से उन्हें बचाना ही एकमात्र कारण होता तो जल्द ही उन्हें कोई और ज़िम्मेदारी सौंपी जा सकती थी। लेकिन उन्हें लोकसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले सीबीआई निदेशक बनाना मोदी के असली इरादों को उजागर करता है।
आशंका व्यक्त की जा रही है कि सीबीआई की कार्रवाई का सामना कर रहे कांग्रेस और विपक्षी नेताओं के खिलाफ  नये सिरे से कार्रवाई शुरू की जा सकती है। सूद को यह सुनिश्चित करना होगा कि ये नेता सज़ा से बचें नहीं। बेशक भाजपा के नेता इसे बदले की कार्रवाई के रूप में नहीं मानते हैं, जिसका उद्देश्य मोदी की आहत भावनाओं को शांत करना तथा कांग्रेस और विपक्षी नेताओं को विपक्षी एकता में सक्रिय भूमिका निभाने से रोकना है। यह  ज़रूरी हो गया है क्योंकि लोगों ने यह मानना शुरू कर दिया है कि मोदी की लहर खत्म हो चुकी है और राहुल लहर आ रही है। कर्नाटक चुनाव परिणाम घोषित होने के एक दिन बाद संयोग से शिवसेना (यूबीटी)के नेता संजय राउत ने कहा था कि मोदी लहर समाप्त हो रही है जबकि विपक्ष की लहर पूरे देश में आ रही है। (संवाद)