बोझ नहीं, हमारा गर्व हैं बेटियां

23 मई 2023 को देश की सर्वाधिक प्रतिष्ठित परीक्षा भारतीय प्रशासनिक सेवा के परिणामों की घोषणा हुई। इस बार एक बार फिर बेटियों ने यूपीएससी की परीक्षा में बाजी मारी है। टॉप-10 में से 6 स्थानों पर लड़कियां हैं। इस खबर से पूरे देश में खुशी का माहौल छा गया। हर ओर बेटियों की प्रतिभा, लगन और मेहनत के किस्से सुनाये जाने लगे। यूपीएससी ही नहीं, पिछले कई वर्षों की भांति इस वर्ष भी 10वीं, 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं व अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के नतीजों में भी बेटियों ने प्रथम पंक्ति में अपना नाम दर्ज करवाया है। बेटियां जीवन के हर क्षेत्र में सफलता के नये कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं। यूपीएससी के नतीजों की घोषणा के ठीक पांच दिन बाद यानी 28 मई को उत्तर प्रदेश के पीलीभीत ज़िले में एक प्यारी सी बच्ची का जन्म हुआ। लेकिन वो बच्ची उतनी खुशनसीब नहीं थी कि वो अच्छे से पढ़-लिखकर किसी प्रतिष्ठित परीक्षा में उच्च स्थान प्राप्त करती और अपने घर-परिवार, राज्य और देश का नाम रोशन कर पाती। दरसअल, अब वो प्यारी सी बच्ची इस दुनिया में नहीं है। उस प्यारी सी बच्ची को उसके पिता ने ही मार डाला। 
मामला उत्तर प्रदेश के पीलीभीत ज़िले के पूरनपुर थाना क्षेत्र का है। जहां एक पिता ने तीसरी बार बेटी पैदा होने पर उसकी निर्मम हत्या कर दी। खानका मोहल्ले की रहने वाली शब्बो की शादी 8 साल पहले सिरसा गांव के रहने वाले फरहान के साथ हुई थी। शादी के बाद शब्बो ने दो बेटियों को जन्म दिया। इसके बाद वह फिर से गर्भवती हुई। 
प्रसव पीड़ा होने पर मायके वाले शब्बो को ससुराल से लेकर एक नर्सिंग होम पहुंचे। यहां 28 मई को उसकी डिलीवरी हुई। उसने एक प्यारी-सी बच्ची को जन्म दिया। अगले दिन देर शाम फरहान अपनी पत्नी और बच्चे को देखने वहां पहुंचा। फरहान ने बच्ची को गोद में लेते हुए जैसे ही देखा कि वह बेटी है, उसे जमीन पर पटक दिया। जिससे बच्ची की मौत हो गई। असल में फरहान दो बेटियों के बाद बेटा चाहता था, लेकिन बेटी होने पर उसने ऐसा कदम उठा लिया। 31 मई 2023 को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद ज़िले के हिंडन विहार कालोनी में रहने वाली तबस्सुम ने थाना नंद ग्राम में अपनी ससुराल वालों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि बेटी होने पर विवाहिता के घर वालों से 10 लाख रुपये की मांग की गई। जब वह मांग पूरी नहीं हुई तो उसे तीन तलाक बोलकर घर से निकाल दिया गया। 
छत्तीसगढ़ राज्य के सूरजपुर ज़िले में पोते की चाह में दादी ने अपनी 15 दिन की नवजात पोती को मौत के घाट उतार दिया। पुलिस जांच में आरोपी दादी मिताली विश्वास ने बताया कि वो पोता चाहती थी, जबकि बहू को पोती हुई, जिससे वो काफी नाराज़ थी। 1 अप्रैल 2023 को जब घर के सभी लोग दोपहर में सो रहे थे, तो उसने मां के पास सो रही बच्ची को चुपचाप उठा लिया। इसके बाद बाड़ी में स्थित कुएं में बच्ची को फेंक दिया। जिससे नवजात की मौत हो गई।
बेटियों को गर्भ में ही मार देने का बढ़ता क्रम रोकने के लिए न जाने कितने प्रयत्न किए गए। सरकार से लेकर समाजसेवी लोगों ने अनेक तरह से जागरूकता फैलाई गई। इसका असर भी देखने को मिला लेकिन पिछले कुछ समय से जिस तरह लोग बेटी पैदा होने पर खुशी मना रहे हैं, उसे देख लग रहा है कि बेटियों को लेकर समाज की सोच में बदलाव आना शुरू हो चुका है। 6 मार्च 2022 को बिहार के बेतिया ज़िले के मैनाटां प्रखंड के चपरिया गांव के रहने वाले शेषनाथ कुमार ने अपनी दूसरी बेटी के जन्म का जश्न अनोखे अंदाज में मनाया। शेषनाथ कुमार हेल्थ सेन्टर से फूलों और गुब्बारों से सजी कार में अपनी नवजात बेटी को घर लेकर आए। अक्तूबर 2022 को मध्य प्रदेश के ज़िले बुरहानपुर के नेपानगर के बुधवारा मार्किट में रहने वाले चौकसे परिवार में नन्ही परी ने जन्म लिया। वो हुई तो महाराष्ट्र में अपने नाना के घर। तीन महीने की होने पर मा उसे लेकर दादा दादी यानि अपने ससुराल आयी। पहली बार कन्या के घर आने की खुशी में बेटी के ताऊ ने घर फूलों से सजा दिया। बैंड बाजा बुलवाए गए। पटाखे फोड़े और आतिशबाजी की गई। ऐसा करके परिवार ने बेटा-बेटी एक समान होने का संदेश दिया है। हरियाणा में जहां बाल लिंगानुपात बेहद कम है, उसी हरियाणा में दिसम्बर 2015 को जींद ज़िले के जैजैवंती गांव निवासी संदीप ने बेटी के जन्म पर खुशियां मनाईं और जश्न में 5 गांवों के लोगों को भोज कराया। जनवरी 2023 को हरियाणा के भिवानी ज़िला के गांव सुई में जसवंत सिंह गहलौत ने अपनी बेटी के जन्म पर पूरे घर को फूलों से सजाया तथा ढ़ोल-नंगाड़ों की थाम पर थिरक कर बेटी के जन्म की खुशियां मनाई। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा के रहने वाले प्रशांत उईके जय बजरंगबली मंगोड़े के नाम से दुकान चलाते हैं। दिसम्बर 2022 के घर बेटी ने जन्म लिया। बेटी के जन्म की खुशी पर प्रशांत ने अपने ग्राहकों को फ्री में मंगोड़े खिलाए। आसपास के लोग भी प्रशांत की इस खुशी में शामिल हुए। 
आज के बदलते दौर में देखा जाए तो असल में, बेटियां अब बोझ नहीं रही, अब वह भी लड़कों की तरह बराबर खड़ी है। वे हर कदम व परिस्थिति पर माता-पिता और परिवार के मान-सम्मान का ध्यान रखती है। शास्त्रों में भी नारी का सम्मान करने के बारे में लिखा है। उसे पूजनीय व देवी माना गया है। एक औरत से ही घर का वंश आगे बढ़ता है। ऐसे में उसे मारने या सम्मान न देने की गलती न करें।