शिखर पर पहुंच कर अचानक गायब होने वाली  अर्चना जोगलेकर

‘संसार’ रेखा, राज बब्बर व अनुपम खेर की सफल फिल्म थी, जिसमें रजनी की भूमिका में अर्चना जोगलेकर ने सबसे अधिक प्रभावित किया था। अर्चना का किरदार एक विद्रोही ‘एंग्री यंग वुमन’ का था, जो अपने परिवार के विरुद्ध जाकर शादी करती है और अपने विचारों से किसी भी सूरत में समझौता करने के लिए तैयार नहीं होती। अपनी प्रभावी अदाकारी जितना ही अर्चना ने अपनी सुंदरता, लम्बे बाल, नशीली आंखों व नृत्य से सबका दिल जीत लिया था। वह अपने करियर के शिखर पर पहुंच गई थीं, लेकिन फिर अचानक कुछ ऐसा हुआ कि वह फिल्मी दुनिया से गायब हो गईं और पीछे रह गईं उनकी केवल यादें, फिल्में व टीवी सीरियल। 
इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि अर्चना 90 के दशक की सबसे सुंदर अभिनेत्रियों में से एक थीं। उनका नाम हिंदी ही नहीं बल्कि मराठी व ओड़िया फिल्मों से भी जुड़ा था। उन्होंने ‘मर्दानगी’, ‘आतंक ही आतंक’ व ‘आग से खेलेंगे’ जैसी फिल्मों में काम किया। मराठी फिल्मों ‘एका पेक्षा एक’ व ‘अनपेक्षित’ में उनके काम की बहुत तारीफ हुई थी। ‘चुनौती’, ‘कर्मभूमि’, ‘चाहत और नफरत’, ‘किस्सा शांति का’ आदि टीवी धारावाहिकों में भी अर्चना के काम को जमकर प्रशंसा मिली थी। अभिनय के अतिरिक्त अर्चना बहुत अच्छा कथक भी जानती थीं, जो उन्होंने अपनी मां आशा जोगलेकर से सीखा था बल्कि यह कहना अधिक उचित होगा कि नृत्य ही उनका पहला प्रेम था। इसलिए वह कथक डांसर के साथ कोरियोग्राफर भी थीं।
आशा जोगलेकर ने 60 के दशक में मुंबई में ‘अर्चना नृत्यालय’ नामक एक डांस स्कूल खोला था, जिसमें वह कथक की ट्रेनिंग देती थीं। एक मार्च 1965 को मराठी परिवार में जन्मीं अर्चना जब 3-4 वर्ष की हुईं तो अपने मां के स्कूल में कथक सीखने लगीं। वह पढ़ने में भी अच्छी थीं और कॉलेज में प्रवेश लेने पर वह नाटकों में भी हिस्सा लेने लगीं, हालांकि एक्टिंग को करियर बनाने के संदर्भ में वह कभी गंभीर नहीं रहीं। फिर एक दिन शिवाजी ऑडीटोरियम के नये टैलेंट की तलाश का विज्ञापन पढ़कर अर्चना के मन में भी अपनी ़िकस्मत आज़माने की इच्छा हुई। परिवार से अनुमति मिलने पर वह भी लगभग 500 प्रतिभागियों में शामिल हो गईं। फाइनल में पहुंचने पर उन्होंने देखा कि एक लड़की उसी मोनोलॉग की तैयारी कर रही है, जो उन्होंने याद किया हुआ था। अर्चना ने उससे मोनोलॉग बदलने के लिए कहा, लेकिन वह नहीं मानी। अर्चना ने पूरी रात जागकर नया मोनोलॉग तैयार किया और अगले दिन उन्होंने इतना अच्छा प्रदर्शन किया कि उन्हें पहला ईनाम मिला। उनकी अदायगी से इस शो के एक जज इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अर्चना को अपने नाटक में भूमिका दे दी। यह नाटक बहुत सफल रहा, इसने दो वर्ष तक मुंबई में धूम मचाई, फलस्वरूप अ़खबारों, पत्रिकाओं व घर-घर में अर्चना और उनकी सुंदरता व कला की चर्चा होने लगी। ऐसे में फिल्म निर्माताओं व निर्देशकों की नज़र उन पर पड़ना स्वाभाविक था और अर्चना जल्द ही बड़े पर्दे का हिस्सा बन गईं। उनकी पहली फिल्म ओड़िया भाषा की ‘सुना चढ़े’ थी।
इसके बाद अर्चना फिल्मों व टीवी पर धूम मचाने लगीं। तभी एक हादसा हुआ। वह ओड़िशा में एक-एक उड़िया फिल्म की शूटिंग कर रही थीं। एक उनका प्रशंसक उनके मेकअप रूम में ऑटोग्राफ लेने के बहाने से आया। उसने उनके साथ ज़बरदस्ती करने की कोशिश की। अर्चना बड़ी मुश्किल से उससे अपनी जान बचाकर कमरे से बाहर भागने में सफल हुईं। बाद में पुलिस में शिकायत करने पर संबंधित व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया और अदालत ने उसे 18 माह के लिए सलाखों के पीछे भी भेजा। लेकिन इस घटना के बाद अर्चना का फिल्मी करियर अचानक खत्म हो गया। वह दोनों बड़े व छोटे पर्दों से गायब हो गईं।
बहरहाल, फिल्मी दुनिया से अचानक अपने गायब होने की वजह अर्चना यह बताती हैं कि उन्हें जीवनसाथी के रूप में एक सही व्यक्ति मिल गया था, जो उनके नृत्य प्रेम का भी समर्थक था। इसलिए उन्होंने उससे शादी की और अमरीका में शिफ्ट हो गईं और 1999 में उन्होंने न्यूजर्सी में बच्चों को क्लासिकल डांस की ट्रेनिंग देने के लिए ‘अर्चना नृत्यालय’ खोला, जो अभी तक चल रहा है। अपनी जल्द शादी के बारे में उन्होंने एक बार कहा था, ‘मुझे सही इंसान मिल गया, जिसके साथ मैं अपना परिवार शुरू करना चाहती थी। उन्होंने बिना किसी शर्त के मेरे डांस का समर्थन किया। डांस मेरे लिए ऑक्सीजन है।’ इस ‘सही इंसान’ से भी अब अर्चना का तलाक हो चुका है। वह इन दिनों अपने बेटे ध्रुव के साथ अमरीका में ही रहती हैं, बच्चों को अपने डांस स्कूल में क्लासिकल नृत्य सिखाती हैं और बॉलीवुड से मीलों दूर होने के बावजूद अपने सिनेमाई सफर को याद करती रहती हैं।


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