तख्ता-पलट से भले बच गये हों पुतिन, पर ़खतरा टला नहीं 

गत 24 जून की सुबह रूसियों को आंख खोलते ही यह सनसनीखेज खबर मिली थी कि निजी सैन्य कम्पनी वैगनर ने विद्रोह कर दिया है और वह अपने पूरे लाव-लश्कर के साथ मास्को की ओर बढ़ रही है। उसने अपने इस विद्रोह को ‘न्याय मार्च’ का नाम दिया। वैगनर के प्रमुख येवगेनी प्रिगोझिन ने स्पष्ट किया था कि उनका एक्शन रूस के रक्षा मंत्रालय के विरुद्ध है न कि देश के राजनीतिक नेतृत्व के खिलाफ।  प्रिगोझिन का लम्बे समय से रक्षामंत्री सर्गेई शोइगु और उनके डिप्टी व चीफ  ऑफ जनरल स्टाफ वलेरी गेरासिमोव से 36 का आंकड़ा है। इस टकराव का वास्तविक कारण तो अस्पष्ट है, लेकिन वर्तमान में ऐसा प्रतीत होता है कि प्रिगोझिन का गुस्सा यूक्रेन में बुरी तरह से जारी युद्ध के कारण था, जिसमें अनावश्यक भूमि व सैनिकों का नुकसान हुआ है। इसलिए प्रिगोझिन की मांग यह थी कि शोइगु व गेरासिमोव को उनके सुपुर्द किया जाये। 
बहरहाल, 36 घंटे का यह नाटकीय घटनाक्रम ऐसे मोड़ पर खत्म हुआ जिसकी उम्मीद नहीं थी। प्रिगोझिन के वर्षों पुराने ‘मित्र’ बेलारूस के राष्ट्रपति एलेग्जेंडर लूकाशेंको ने मास्को और वैगनर प्रमुख के बीच समझौता करा दिया, जिसकी विस्तृत जानकारी तो उपलब्ध नहीं है, लेकिन जो बातें सामने आईं, उनके तहत वैगनर लड़ाके सुरक्षा की गारंटी के साथ अपने बेस में लौट गये, प्रिगोझिन बेलारूस चले जायेंगे और शोइगु को संभवत: रक्षा मंत्रालय से हटा दिया जायेगा। गौरतलब है कि शोइगु राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के गिने चुने करीबी दोस्तों में से हैं। फिलहाल पुतिन ने विद्रोह को टाल दिया है या नियंत्रित कर लिया है, लेकिन इस विद्रोह से यह संकेत मिलता है कि पुतिन की अपने दो दशक पुराने शासन पर अब पहली जैसी पकड़ नहीं रही है। 
ज्ञात रहे कि प्रिगोझिन ने ‘न्याय मार्च’ को उस समय रोका जब वैगनर लश्कर मास्को से मात्र 201 किलोमीटर की दूरी पर था। यह बात अपने में उल्लेखनीय है कि ‘न्याय मार्च’ दक्षिणी शहर रोस्टोव-ऑन-डॉन से कई सौ कि.मी. बिना किसी प्रतिरोध के निकलता रहा। रोस्टोव-ऑन-डॉन दक्षिण रूस का सबसे बड़ा शहर है और यह दक्षिण सैन्य मुख्यालय का बेस है, जहां से यूक्रेन के विरुद्ध हमले किये जाते हैं। वैगनर ने दावा किया है कि सैन्य मुख्यालय सहित उसका इस शहर पर नियंत्रण है। ‘न्याय मार्च’ पर रूसी वायु सेना के कुछ हवाई जहाज़ों ने हमला किया, जिसके जवाब में हुई कार्यवाही में वायु सेना ने अपने छह हेलीकॉप्टरों और एक सर्विलांस एयरक्राफ्ट को गंवाया। इतना नुकसान तो रूस का यूक्रेन से वर्तमान युद्ध में भी नहीं हुआ। बहरहाल, मास्को की तरफ इससे आगे बिना खून-खराबे के नहीं बढ़ा जा सकता था क्योंकि मास्को को सुरक्षित रखने वाली कंतेमिर व तमान सैन्य डिवीज़नों को पूरू तरह युद्ध अलर्ट कर दिया गया था। 
शायद इस वजह से भी प्रिगोझिन समझौता करने के लिए तैयार हो गये। यह विद्रोह असफल अवश्य रहा, लेकिन इसने इस तथ्य को एकदम स्पष्ट कर दिया है कि पुतिन के अल्पाधिकारी शासन मॉडल ने रूस को कमज़ोर कर दिया है। बेलारूस के राष्ट्रपति के हस्तक्षेप से हुए यू-टर्न से पहले प्रिगोझिन के लड़ाके विश्वास से मास्को की तरफ  बढ़ रहे थे और वह रोस्टोव-ऑन-डॉन में सैन्य ठिकानों को आसानी से अपने कब्ज़े में कर चुके थे। पुतिन के आपात टीवी संबोधन में 1917 को याद किया गया- ‘रूसी ही रूसियों को मार रहे हैं, भाई-भाई की हत्या कर रहा है।’ प्रिगोझिन और उनकी वैगनर फोर्स पुतिन के ही बनाये हुए भस्मासुर हैं। प्रिगोझिन एक समय में ‘पुतिन के शेफ’ के नाम से विख्यात थे। इस साल मई में रूस ने बखमुत पर कब्जा किया, जो वास्तव में प्रिगोझिन की वैगनर सेना की जीत थी। युद्ध के इस सबसे लम्बे टकराव ने प्रिगोझिन और रूसी रक्षा मंत्रालय के बीच लम्बे समय से चल रहे तनाव को भी सार्वजनिक कर दिया। फलस्वरूप, अब पाकिस्तान की तरह ही रूस में भी राज्य का संरक्षण प्राप्त नॉन-स्टेट मिलिशिया ही राज्य के लिए खतरा बनता जा रहा है या बन गया है। 
मैक्स वेबर की आधुनिक राज्य की थ्योरी के तहत हिंसा पर राज्य एकाधिकार से अव्यवस्था में व्यवस्था आ जाती है। हालांकि इस विचार का भी दुरुपयोग हो सकता है, लेकिन जो भी राज्य अपनी प्रॉक्सी को हिंसा करने की ढील दे देता है, वह आवश्यक रूप से अव्यवस्था उत्पन्न करता है और अपने नागरिकों के हितों को नुकसान पहुंचाता है। जो राज्य ऐसा करने के लिए दूसरे राज्यों का समर्थन करते हैं, उन्हें भी इसके परिणाम भुगतने पड़ते हैं। जब चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान स्थित आतंकियों का बचाव करता रहता है तो वह केवल भारत के 26/11 के ज़ख्मों को ही हरा नहीं करता है बल्कि अपने नागरिकों के लिए भी खतरा उत्पन्न करता है। पाकिस्तान में आतंकवाद के चीनी पीड़ितों की सूची निरन्तर लम्बी होती जा रही है। अफगानिस्तान में तालिबान को सत्ता दिलाने के बावजूद पाकिस्तान आज आराम व शांति में नहीं है। इसी तरह वैगनर ने पुतिन का मकसद पूरा किया कि 2014 में क्रीमिया पर कब्जा करने के बाद 2023 में बखमुत पर कब्जा किया, लेकिन अब वैगनर ही पुतिन व रूसी हितों को नुकसान पहुंचा रहा है। मास्को की ओर असफल ‘न्याय मार्च’ से रूस की असल सेना पर ही नहीं बल्कि पुतिन की छवि को भी गहरा नुकसान पहुंचा है। 
इसके अतिरिक्त सोशल मीडिया पोस्ट्स से मालूम होता है कि प्रिगोझिन रूसियों के बीच हीरो बनकर उभरे हैं। पुतिन के लिए अब भयावह सपना यह है कि वह यूक्रेन के विरुद्ध युद्ध में फंसे हैं, पश्चिम के विरुद्ध बयानबाज़ी के युद्ध में फंसे हैं और उनके सिर पर गृह युद्ध का खतरा मंडरा रहा है। राज्य द्वारा सशस्त्र भस्मासुर पैदा करने के राज्य को ही गम्भीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं। यह हम पाकिस्तान में देख चुके हैं और रूस में देख रहे हैं। गौरतलब है कि जिस तरह 2021 में अमरीका की इंटेलिजेंस एजेंसियों को पहले से ही यह मालूम था कि पुतिन यूक्रेन पर हमला करने जा रहे हैं, वैसे ही ‘न्याय मार्च’ से तीन दिन पहले ही अमरीका को इसके बारे में पुख्ता सूचना थी और वह खुद पर आरोप लगने से बचने के लिए खामोश रहा या कोई और बात भी हो सकती है, जिसका खुलासा होना शेष है।
     
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर