दिशाहीनता का आलम

डेढ़ वर्ष की अवधि भर में ही प्रदेश सरकार इस सीमा तक बिखर गई प्रतीत होती है जिसे आगामी समय में सम्भाल पाना बेहद मुश्किल दिखाई दे रहा है। ‘रंगला पंजाब’ बनाने के नाम पर सत्ता में आई सरकार द्वारा किये गये वायदे पूरी तरह धूमिल हो गये प्रतीत होते हैं। हर तरफ तथा हर वर्ग में बेचैनी दिखाई दे रही है। प्रदेश में भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में बड़ी संख्या में ठेका कर्मचारी काम कर रहे हैं। ‘आप’ के नेताओं द्वारा उनके साथ किये गये वायदे हवा में ही गुम हो गये हैं। उनके सपने चूर-चूर हो गये हैं। स्थान-स्थान पर वे अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन करते दिखाई दे रहे हैं। उनके नेताओं का कहना है कि मौजूदा ‘आप’ सरकार आऊट सोर्सिंग कर्मचारियों के साथ वायदा करके सत्ता में आई थी कि इन सभी कर्मचारियों को विभागों में नियमित किया जायेगा तथा पंजाब को पूरी तरह धरना मुक्त किया जायेगा।
परन्तु इन वायदों के बावजूद पंजाब धरना-मुक्त नहीं हुआ, अपितु इस सरकार के इतने-से कार्यकाल ने धरनों का रिकार्ड तोड़ दिया है। इसी तरह नई सरकार से उम्मीद लगाये बैठे बेरोज़गार मल्टीपर्पज़ हैल्थ वर्कर, बेरोज़गार आर्ट एंड क्राफ्ट कार्यकर्ता तथा लैक्चरार कम्बीनेशन यूनियन की ओर से लगातार धरने तथा प्रदर्शन जारी हैं। इसी तरह नशों के कारोबार को नकेल डालने के लिए सरकार के वायदे भी पूरी तरह ठुस्स हो गये दिखाई देते हैं। विगत अवधि में प्रदेश में नशों का कारोबार और भी फला-फूला है जिसने प्रदेश के युवाओं को ़खतरनाक मोड़ पर ला खड़ा किया है। प्रतिदिन बढ़ते अपराधों की सूची भी लम्बी होती जा रही है। अब तो इस संबंध में बड़े पुलिस अधिकारियों ने भी बोलना छोड़ दिया है।
सरकार द्वारा भ्रष्टाचारियों को काबू करने के लिए व्यापक स्तर पर प्रचार किया जाता रहा है। करोड़ों रुपये ऐसी विज्ञापनबाज़ी पर खर्च कर दिये गये हैं, परन्तु इस मोर्चे पर भी सरकार लगातार विफल होती गई है। उसने शुरुआत तो पी.सी.एस. अधिकारियों से की थी तथा इसी जोश में कुछ आई.ए.एस. अधिकारियों पर भी हाथ डाला गया था परन्तु उनकी एसोसिएशनों द्वारा सरकारी अधिकारियों के विरुद्ध उक्त कार्रवाई का तीव्र विरोध हुआ था, जिस पर मुख्यमंत्री ने तुरंत घुटने टेक दिये थे। उनके संबंध में वह भ्रष्टाचार विरोधी अभियान को भूल गये थे। इसी जून मास में पंजाब विजीलैंस ब्यूरो द्वारा लगभग चार दर्जन तहसीलदारों तथा नायब-तहसीलदारों द्वारा किये गये भ्रष्टाचार की तैयार की गई सूची सामने आ गई थी। सरकार ने इस संबंध में कड़ा फैसला लेने की घोषणा भी की थी परन्तु उस समय राजस्व विभाग के अधिकारियों के प्रदेश भर में छुट्टी पर चले जाने के बाद उन्हें विश्वास दिलाया गया था कि उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं होगी। इसके बाद यह सूची सरकारी फाइलों का शृंगार बन गई थी। अब फिर ऐसा ही मामला बड़ी चर्चा में है। पिछले दिनों से राजस्व विभाग के कर्मचारियों के अलावा प्रदेश भर के ज़िलाधीशों के कार्यालयों के कर्मचारी भी हड़ताल पर हैं। यह ममला एक विधायक द्वारा एक ज़िले के तहसीलदार, क्लर्क तथा अन्य कर्मचारियों को ज़लील किये जाने के बाद भड़का था। राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा तथा ज़िलाधीश कार्यालयों के कर्मचारियों द्वारा हड़ताल पर जाने के कारण प्रदेश का प्रशासनिक कामकाज पूरी तरह ठप्प हो गया है। सरकार की इस मामले पर भी हवा निकलती दिखाई दे रही है।
आदर्शों की बात करने तथा उन्हें क्रियात्मक रूप देने में भारी अन्तर होता है। हमारे ज्यादातर राजनीतिज्ञों की भांति हकीकत को जाने बिना बढ़-चढ़ कर की गई बयानबाज़ी अंत में बेनतीजा साबित होती है, जिससे लोगों की जगाई गई उम्मीदों पर पानी फिर जाता है तथा आशा निराशा में बदल जाती है। आज इसी कारण सरकार की नित्य-प्रति की कारगुज़ारी दिशाहीनता के आलम में भटकती दिखाई दे रही है। पैदा हुये ऐसे हालात प्रदेश के लिए अच्छा सन्देश नहीं कहे जा सकते। 

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द