संगठित अपराध के विरुद्ध एन.आई.ए. का सराहनीय प्रयास

उत्तर भारत के प्रमुख राज्य पंजाब के साथ हरियाणा और केन्द्र शासित क्षेत्र चंडीगढ़ के धरातल पर हाल के वर्षों में पनपे संगठित अपराध की जवां होती दुनिया ने नि:संदेह राष्ट्र का हित-चिन्तन करने वाले सभी वर्गों को चौंकाया है, किन्तु केन्द्र सरकार द्वारा हाल ही में देश की एक प्रमुख राष्ट्रीय जांच एजैंसी एन.आई.ए. के ज़रिये इस समस्या की कमर तोड़ने हेतु लिये गये फैसले से नि:संदेह इन प्रदेशों में एक सुखद एवं सार्थक अनुभूति का प्रसार होने की सम्भावनाएं बलवती होती हैं। इस संबंध में फैसला जुलाई मास में इन दोनों राज्यों और चंडीगढ़ के पुलिस निदेशकों की पंचकूला में सम्पन्न हुई एक अहम बैठक के दौरान लिया गया था। हालिया दशकों में देश की आबादी में निरन्तर वृद्धि से प्राय: सभी राज्यों में अपराध की दशा और दिशा में भी बड़ा परिवर्तन हुआ है, किन्तु इन तीनों क्षेत्रों में विगत कुछ वर्षों से अपराध की स्थिति ने जिस प्रकार का संगठित रूप धारण किया है, उसने सीमांत प्रदेश पंजाब को एक बेहद नाज़ुक चरण पर धकेल दिया है,। वहीं हरियाणा की सीमाएं देश की राजधानी दिल्ली से जुड़ी होने के कारण यह मुद्दा राष्ट्रीय चिन्ता का सरोकार भी बन जाता है। पंजाब में पिछली शताब्दी के अन्तिम दो दशकों में उपजे खाड़कूवाद के दौर ने अवश्य अपराध जगत के एक हिस्से को महिमा-मंडित किया था, परन्तु विगत कुछ वर्षों से यह स्थिति कुछ अधिक भयावह रूप लेकर सामने आई है। अपराध जगत को बाहुबलीवाद और राजनीति का संरक्षण भी हमेशा प्राप्त होता रहा है, किन्तु विगत कुछ वर्षों से पंजाब में अपराध की एक नई शाखा गैंगस्टरवाद की विष-बेल बड़ी तेज़ी से आगे बढ़ी है। इस विष-बेल पर उगे कांटों ने पंजाब एवं पंजाबियों के हृदयों को तो आहत किया ही है, पड़ोसी हरियाणा और कभी इन दोनों प्रदेशों का सक्रिय राजधानी क्षेत्र रहे चंडीगढ़ के हाथों-पांवों को भी रक्त-रंजित किया है। बेशक इस पूरे क्षेत्र की अशांत स्थिति का प्रभाव राजधानी दिल्ली को भी आलोड़ित करता है। इस कारण पंजाब में नशे का कारोबार भी अनियंत्रित तरीकों से फला-फूला है जो आज इतनी भीषण स्थिति में पहुंच गया है कि इसने देश की कानून-व्यवस्था की चूलें तक हिला दी हैं। 
पंजाब में विगत एक-दो वर्षों में अपराध जगत को गैंगस्टरवाद के इस प्रबल संरक्षण ने नि:संदेह एक गम्भीर स्थिति को जन्म दिया है। सीमा पार से मिलने वाले आतंकवादी समर्थन ने भी हालात को और  ़खतरनाक बनाया है। पंजाब में आज स्थिति यह हो गई है कि चहुं ओर आपराधिक तत्व सरेआम दनदनाते फिर रहे हैं। ़खतरनाक गैंगस्टर जेलों में बैठ कर अपने हुक्म का सिक्का चलाते हैं, तो सीमा पार से आतंकवादी उन्हें हथियारों और धन-बल की सप्लाई निरन्तर बनाये रखते हैं। नतीजतन पंजाब में गोलीबारी की घटनाएं सरेआम होने लगी हैं। लुटेरे आजकल सिर्फ लूटते नहीं, घरों में घुस कर मार-पीट और हत्याएं तक करने लगे हैं। गैंगस्टरों की आपसी लड़ाइयों और एक-दूसरे पर हमलों के बाद जेलों में मनाये गये जश्नों की वीडियोज़ ने पंजाब में अपराध जगत, गैंगस्टरवाद और आतंकवाद के बीच उपजे नापाक गठजोड़ की भयावहता को स्पष्ट रूप से उजागर किया है। तिस पर राजनीतिक संरक्षण ने इस विष-बेल को खाद-पानी देने का भी काम किया है। इसके परिणाम-स्वरूप पंजाब में इस धरातल पर स्थितियों के और गम्भीर होते जाने की प्रबल सम्भावना है। इसी कारण केन्द्र की सरकार ने एक बड़ी पहल करते हुए एक ओर जहां इस गठजोड़ को तोड़ने की कोशिश की है, वहीं हरियाणा और चंडीगढ़ तक इस सेंक को पहुंचने से रोकने का संकेत भी दिया है।
हम समझते हैं कि एन.आई.ए. के संयोजन में पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ पुलिस के महा-निदेशक स्तर के अधिकारियों की बैठक में जिस प्रकार का नेटवर्क तैयार किये जाने के संकेत मिले हैं, उससे नि:संदेह आशावाद की एक झलक उपजते दिखाई देती है, किन्तु इस सम्पूर्ण कवायद की सफलतापूर्वक सम्पन्नता इस बात पर भी निर्भर करती है कि पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ की सरकारें और इनके प्रशासन इस मामले में किस सीमा तक सहयोगपूर्ण रवैया धारण करते हैं। बैठक में हुए परामर्श के दौरान एक-दूसरे के बीच हुआ विचार-विमर्श और आपराधिक तत्वों वाली सूचियों का आदान-प्रदान किये जाने का मुद्दा भी बेहद सार्थक माना जा सकता है। पंजाब की जेलों में बंद गैंगस्टर और माफिया ग्रुपों के संरक्षण में, और आतंकवादियों के सहयोग से आपराधिक तत्व जिस प्रकार से सरकार के समानांतर अपना सिक्का चला रहे हैं, उसका मुकाबला भी एन.आई.ए. के संरक्षण में संचालित होने वाली किसी सामूहिक कार्रवाई से ही किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में, हम समझते हैं कि पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के आपराधिक धरातल पर उपजी गैंगस्टरवाद और आतंकवाद की इस विष-बेल की जड़ पर प्रहार कर इसे काटा जाना बहुत ज़रूरी हो गया था। एन.आई.ए. ने गैंगस्टरवाद, आतंकवाद, माफिया और अपराध जगत के इस दुर्दांत गठजोड़ को तोड़ने हेतु यह जो उपक्रम किया है, उसे सभी पक्षों से सक्रिय समर्थन मिलना बहुत लाज़िमी है। एन.आई.ए. के इन यत्नों की सफलता न केवल इन राज्यों की समृद्धि हेतु एक श्वास-तंत्र सिद्ध होगी, अपितु सम्पूर्ण देश के राष्ट्रीय हितों को भी मज़बूत करेगी।