स्वास्थ्य एवं फसली विभिन्नता हेतु सदाबहार फलदार पौधे लगाने का उचित समय

बाग तथा बगीचियां लगाने का अब उचित समय है। इस मौसम में पौधे अच्छी तरह स्थापित हो जाते हैं। सदाबहार फलदार पौधे इन दिनों में ही लगाए जाने चाहिएं। वे अच्छी तरह बढ़ेंगे। कृषि में फसली विभिन्नता लाने तथा स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए फलों का लगाना बड़ा महत्व रखता है। स्वास्थय के लिए इनका महत्व औषधि के रूप में भी माना जाता है। भारत में सिर्फ 60 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिदिन फलों की खपत की जा रही है। 
नैशनल इन्स्टीच्यूट ऑफ न्यूट्रीशन हैदराबाद के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को इससे कहीं अधिक फल खाने चाहिएं, जिनकी मात्रा 100 ग्राम से कम नहीं होनी चाहिए। विकसित देशों में तो फलों की खपत प्रति दिन 250-450 ग्राम तक है। भारत में फलों की खपत की मात्रा बढ़ाना बहुत ज़रूरी है। बागबानी विभाग के पूर्व (सेवानिवृत्त) डिप्टी डायरैक्टर (फलों के विशेषज्ञ) डा. स्वर्ण सिंह मान कहते हैं कि अच्छा हो यदि लोग अपने स्तर पर आर्गेनिक फल और सब्ज़ियां पैदा करके खाएं। इसलिए घरेलू बगीचियां में तथा ट्यूबवैलों पर फलों के पौधे लगाने चाहिएं, ताकि आर्गेनिक फल और सब्ज़ियां पैदा किये जा सकें। घरेलू बगीची में कार्य करके लोग विटामिन ‘डी’ भी प्राप्त कर सकते हैं, क्योंकि यह तत्व सुबह आधा घंटा धूप में काम करते ही प्राप्त हो जाता है। आर्थिक तौर पर भी फल और सब्ज़ियां बगीची में उगाना लाभदायक है। ज़हर-रहित फल और सब्ज़ियां खाने से अनेक गम्भीर बीमारियों से भी बचा जा सकता है। डा. मान कहते  हैं कि घरेलू बगीचियों में फलदार पौधे लगाने से जहां पौष्टिक तत्व प्राप्त होते हैं, वहीं आर्थिक एवं शारीरिक तौर पर व्यक्ति खुशहाल एवं स्वस्थ रहता है। डा. मान कहते हैं कि फलदार पौधे बागबानी विभाग या पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना की नर्सरियों से ही खरीदे जाने चाहिएं, साइकिलों व टोकरियों में बेचने वालों से नहीं। यदि ऐसा न हो सके तो नैशनल बागबानी बोर्ड की प्रमाणित नर्सरियों से भी स्वस्थ फलदार पौधे खरीदे जा सकते हैं। बाग में लगाते समय अमरूद, नींबू, किन्नू के पौधों में दूरी 6*3 मीटर तथा आम, नाशपाती व लीची में दूरी 6*6 मीटर होनी चाहिए। 
फलों से स्वास्थ्य को बड़ा लाभ होता है। आम तथा पपीता में विटामिन ‘ए’ बहुत होता है, जो आंखों की रोशनी के लिए बड़ा लाभदायक है। अमरूद में फाइबर होता है, जो कब्ज़ की समस्या को दूर करता है। इस फल के खाने से विटानि ‘सी’ की प्राप्ति होती है, जिसके कारण वायरल इंफैक्शन नहीं होती। यह फल रक्तचाप को कम करने में भी सहायक होता है। इसके खाने से त्वचा में चमक आती है और बुढ़ापा भी महसूस नहीं होता। शुगर के मरीज़ों के लिए यह फल बहुत लाभदायक है। अमरूद में कॉपर अधिक मात्रा में होता है जो थाइराइड कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसमें विटामिन बी-3 तथा विटामिन बी-6 मौजूद होने के कारण यह दिमाग को भी स्वस्थ रखता है। आंवला, नींबू जाति के फलों तथा बेर स्ट्राबेरी में विटामिन ‘सी’ अधिक मात्रा में होता है, जो दांतों के लिए लाभदायक होता है और ज़ख्मों को जल्द ठीक करने में सहायक होता है। अंगूर, अनार में एथोसायनिन तथा एंटीआक्सीडैंट की मात्रा काफी होती है, जिस कारण ये फल एलर्जी, सोज़िश तथा कैंसर की रोकथाम में सहायक होते हैं। ग्रेप फ्रूट तथा बेल स्वस्थ त्वचा के लिए सहायक होते हैं और भूख बढ़ाते हैं। लुकाट में क्लोरोजैनिक एसिड होता है, जिससे ब्लड शुगर बढ़ने में कमी आती है। किन्नू में लिमोनिन की मात्रा (विशेषकर जूस में) अधिक होने के कारण कलेस्ट्रोल तथा कैंसर जैसे रोगों को कम करने की समर्था रखता है। अंजीर, लाइम, लैमन तथा आंवला में कैल्शियम की काफी मात्रा होती है, जिस कारण दांत व हड्डियां मज़बूत रहती हैं। बेर, आड़ू, फालसा आदि फलों में पोटाशियम काफी मात्रा में होता है। इसलिए दमे तथा श्वास संबंधी तकलीफों को दूर करने में ये फल सहायक होते हैं और रक्तचाप को सही रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। 
डा. मान कहते हैं कि अमरूद में बहुत विटामिन होते हैं और इसकी काश्त पंजाब में 11 प्रतिशत से अधिक रकबे पर होती है। यह एकमात्र फल है जो वर्ष में दो बार होता है। इसकी संभाल भी आसान है। खपतकारों तथा बागबानों को इस फल की सफल किस्में जो पीएयू द्वारा विकसित की गई हैं, ही इस्तेमाल करनी चाहिएं। काश्त करने के लिए हिसार सफेदा, पंजाब पिंक, पंजाब किरण, पंजाब सफेदा तथा इलाहाबादी सफेदा अमरूद की अच्छी तथा सफल किस्में मानी जाती हैं।