दर्द में कौन सी सिंकाई बेहतर

दर्द पर सिंकाई करना राहत दिलाता है। सिंकाई भी दो तरह की होती है ठंडी और गर्म। दोनों के अपने अपने लाभ होते हैं। दोनों को विभिन्न दर्द के लिए प्रयोग किया जाता है। ताजी लगी चोट के कारण दर्द हो रहा हो तो उसके लिए ठंडी सिंकाई करें। चोट लगने के दो-तीन दिन बाद भी दर्द बना रहे तो गर्म सिंकाई कर सकते हैं। कोई भी सिंकाई 10 मिनट से कम न करें। 15 मिनट तक सिंकाई की जा सकती है।
चोट लगने पर प्रभावित क्षेत्र अगर लाल है और सूजा हुआ है तो बर्फ की सिंकाई लाभप्रद है। अगर चोट वाले स्थान पर अकड़न है तो गर्म पानी की सिंकाई करें। सिंकाई आप वॉटर बॉटल, टॉवल, हॉट पैक से करें। बिजली से चलने वाले हॉट पैक का प्रयोग न करें इससे त्वचा जलने का डर रहता है।  ठंडी सिंकाई के लिए बाज़ार में पैक मिलता है जिसे फ्रिजर में रखकर ठंडा कर प्रभावित स्थान पर रखें। इसी प्रकार टॉवल को बर्फ के पानी में रखकर निचोड़कर सिंकाई कर सकते हैं। प्लास्टिक बैग में आईस डालकर उससे भी सिंकाई कर सकते हैं।प्रारंभ में दो तीन दिन बर्फ की सिंकाई कर सकते हैं। इससे अंदरूनी या बाहरी सूजन कम होती है। अगर दर्द पुराना है और सूजन नहीं है तो गर्म पानी से सिंकाई करें।
एड़ी में चोट लगने पर- कभी पैर मुड़ जाए और सूजन आ जाए तो आइस टकोर करें। खून आने पर भी आइस टकोर करें। चोट लगने पर या मुड़ने पर बर्फ की टकोर से वह स्थान सुन्न हो जाता है जिससे दर्द कम होता है।
व्यायाम के दौरान होने वाले दर्द में -अगर आप जिम में या कोई भी व्यायाम कर रहे हैं और दर्द निकल आए तो ठंडी सिंकाई लाभप्रद होती है। गर्म सिंकाई से बचें। इससे मसल्स और फैलेंगी और दर्द बढ़ेगा।
आर्थराइटिस वाली दर्द में- आर्थराइटिस से होने वाली दर्द में ठंडी गर्म दोनों सिंकाई बारी बारी करें। गर्म सिंकाई से मसल्स रिलैक्स होती हैं, ठंडी सिंकाई से सूजन और दर्द पर आपको अंदाजा लग पाएगा कि आपके लिए कौन सी सिंकाई फायदेमंद है और क्या दोनों करने से आराम मिल रहा है।
घुटने के दर्द में - घुटने का दर्द ताजा है तो बर्फ की सिंकाई लाभप्रद है। अगर दर्द पुराना है और सूजन नहीं है तो गर्म सिंकाई करें।
वैसे डाक्टर के परामर्श अनुसार सिंकाई करें तो बेहतर होगा।

(स्वास्थ्य दर्पण)