नशे की तस्करी का फैलता जाल

पंजाब में नशे के प्रसार और नशीले पदार्थों की तस्करी में भारी वृद्धि का मुद्दा एक बार फिर प्रदेश की फिज़ाओं में है। विगत दिवस करोड़ों रुपये के नशीले पदार्थों के साथ, करोड़ों रुपये की ड्रग-मनी की बरामदगी ने स्थितियों को अधिक गम्भीर एवं भयावह बनाया है। हाल ही की घटनाओं से यह भी पता चलता है कि इस स्याह कारोबार का विस्तार प्रदेश की सीमाओं के पार अन्य राज्यों में भी हुआ है, और कि पंजाब इस कारोबार का जंक्शन केन्द्र बनता जा रहा है। नशे के इस कारोबार के तार दिल्ली, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर से भी जुड़े पाये गये हैं। इसका पता पंजाब और जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा एक सांझे आप्रेशन के ज़रिये 4 करोड़, 95 लाख रुपये की ड्रग-मनी बरामद किये जाने से चलता है। इस संयुक्त अभियान के तहत लुधियाना के निकट मुल्लांपुर दाखा से नशीले पदार्थों की बड़ी खेप के साथ अवैध हथियार भी बरामद किये गये हैं। एक विशेष बरामदगी जो आश्चर्यजनक रूप से चौंकाती है, वह है नोटों को गिनने में प्रयुक्त होने वाली मशीन। यह भी पता चला है कि इस नशा तस्कर गिरोह के संबंध अन्तर्राष्ट्रीय नशा तस्करों से भी पाये गये हैं। 
पंजाब में नशे की तस्करी और इसके सेवन की समस्या काफी पुरानी है हालांकि विगत दो वर्षों में नशे का जिन्न बेलगाम दौड़ा है। शहरों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी नशे की समस्या समान रूप से गम्भीर हुई है। नशे का मात्रा से अधिक सेवन करने के कारण होने वाली मौतों की संख्या भी बड़ी तेज़ी से बढ़ी है। नि:संदेह इस अवैध कारोबार को पुलिस प्रशासन और राजनीति का संरक्षण सदैव प्राप्त रहा है। इसकी पुष्टि राज्यपाल श्री बनवारी लाल पुरोहित द्वारा पुलिस अधिकारियों को नशे के तस्करों के पक्ष में राजनीतिक धरातल पर की जा रही सिफारिशों को न मानने हेतु दी गई नसीहत से भी होती है। विगत दो वर्षों में नशीले पदार्थों की तस्करी एवं बरामदगी में वृद्धि और ऐसे तत्वों को सत्ता-पक्ष का समर्थन होने संबंधी राज्यपाल का दावा स्थितियों की दुरावस्था को ही सामने लाता है। पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय की ओर से भी कई बार इस संबंध में पुलिस प्रशासन को चेतावनियां जारी की गई हैं। हाल ही में उच्च अदालत ने प्रदेश के पुलिस अधिकारियों को जिन कठोर शब्दों में फटकार लगाई है, वह सरकार को आईना दिखाते हुए प्रतीत होती है। उच्च अदालत में पंजाब पुलिस के महा-निदेशक और गृह सचिव द्वारा सार्वजनिक माफी मांगे जाने और अदालत द्वारा पुलिस की नशा-तस्करों के साथ मिलीभुगत संबंधी कठोर टिप्पणी प्रदेश के भावी हालात को ब्यां करने के लिए काफी है। यह भी उल्लेखनीय है कि आम आदमी पार्टी के नेताओं ने चुनाव-पूर्व घोषणाओं में दावा किया था कि उनकी सरकार बनने के चार मास के भीतर पंजाब से नशे को समाप्त कर दिया जाएगा, किन्तु समस्या निरन्तर ढाक के तीन पात जैसी बनी रही है। 
सीमांत क्षेत्रों में ड्रोनों के ज़रिये भेजी गई नशीले पदार्थों की भारी-भरकम खेप बरामद होने से नि:संदेह इस बात की पुष्टि होती है कि नशे के कारोबार में सीमा-पार से पाकिस्तान का हाथ हो सकता है, किन्तु सीमा के इस पार इन खेपों और ड्रोनों की उड़ानों पर रोक लगाने का ज़िम्मा तो पंजाब की सरकार और स्थानीय प्रशासन के सिर पर ही है न! पुलिस प्रशासन सदैव से राजनीतिक दबाव के समक्ष विवश होता आया है, और राजनीतिक नेतृत्व वोटों के गणित को भांप कर अक्सर ऐसे अराजक तत्वों को संरक्षण देता रहता है। अदालत द्वारा उच्च पुलिस अधिकारियों को निजी तौर पर पेशी हेतु तलब किया जाना इसी तथ्य का प्रमाण है।
हम समझते हैं कि नि:संदेह पंजाब में नशे का प्रसार एक बार फिर अनियंत्रित हुआ है। पुलिस और नागरिक प्रशासन भी स्थितियों के समक्ष असहाय-सा हुआ दिखाई दे रहा है। प्रदेश के युवाओं की ज़िन्दगी और उनका भविष्य दोनों दांव पर लगे हैं। नशे का प्रसार प्रदेश की कृषि और कृषक वर्ग पर भी पड़ रहा है। कभी समय था जब प्रदेश के गांवों के युवा रंग-बिरंगे माहौल में दरांती से फसल काटते थे, अथवा बन्दूक लेकर सीमाओं की रक्षा हेतु सन्नद होते थे, किन्तु आज पंजाबी युवा नशे की ओवर-डोज़ से अकारण मृत्यु का शिकार हो रहे हैं। हम समझते हैं कि प्रदेश में नशे के जिन्न को बोतल में बंद करने के लिए दृढ़ इच्छा-शक्ति के साथ कड़ी कार्रवाई किये जाने की बड़ी आवश्यकता है। प्रदेश की सरकार को इस हेतु पड़ोसी राज्यों की सरकारों खास तौर पर जम्मू-कश्मीर के प्रशासन से भी सहयोग एवं मदद लेनी चाहिए। प्रदेश के नारकोटिक्स विभाग को नि:संदेह इस पूरे प्रकरण को गम्भीरता से लेना होगा अन्यथा प्रदेश की भावी पीढ़ियां भविष्य में मौजूदा दौर के राजनीतिज्ञों और सरकार की ओर सदैव उंगली उठाती रहेंगी।