बंद मुट्ठियों की दास्तां 

(क्रम जोड़ने के लिए पिछला रविवारीय अंक देखें)

आहिस्ता आहिस्ता वह लड़का मेरे लिए कीमती तथा खूबसूरत तोहफे लाने लग पड़ा। मेरे ना करने के बावजूद भी वह कोई ना कोई कीमती गिफ्ट ले आता। बात यहां तक चली गई कि मैं उसके साथ बाज़ार शापिंग करने के लिए भी चली जाती। हमारी कुछ दिनों में ही गहरी दोस्ती हो गई।
उस लड़के ने मुझे बताया कि वह निर्दोश है तथा उसे निजी दुश्मनी के कारण फंसाया गया है। उस लड़के के बताए कई प्रमाणों से मुझे पक्का यकीन हो गया कि उसको नाजायज़डा फंसाया गया है।
वह लड़का बहुत खूबसूरत हष्ट पुष्ट दिलदार, निर्भीक, हिम्मती तथा दिलों जान देने वाला था। मेरे साथ वह दिल से मुहोब्बत करने लगा। मैं भी उसे दिल दे चुकी थी। मैं तथा वह कभी-कभी छुट्टी वाले दिन उच्च पहाड़ी क्षेत्रों में भ्रमण करने के लिए चले जाते। उसने मेरे ऊपर बहुत धन पानी की तरह बहाया। उसने मुझे कभी भी शारीरिक सबंधों के लिए नहीं कहा था। उसकी यह आदत मुझे सबसे अच्छी लगी। उसके पास बढ़िया कीमती गाड़ी थी। मैं जिस शहर के बारे में जाने के लिए कहती वह मुझे उसी शहर में घूमाने के लिए ले जाता था। मेरी प्रत्येक खवाहिशों का वह तकल्लुफ से ख्याल रखता। मुझे उससे सच्चे दिल से महोब्बत हो गई थी। मैंने इस तरह का दलेर, निडर, भरोसेमंद तथा दिलदार, निस्वार्थ प्यार करने वाला लड़का अपनी जिंदगी में नहीं देखा था।
उसने मेरे साथ शादी करने का वादा किया। मैं भी उसको इन्कार न कर सकी।
उस लड़के ने मुझे कहा, अगर आप मुझे केस से बरी करवा दो तो मैं तुम्हारे साथ शादी कर लूंगा। मैं उस लड़के से सहमत हो गई। रातों के सुनहरी सपनों में शादी के दृश्य देखने लगी। वह लड़का दरअसल मुझे दिल से बेहद प्यार करता था। वह मुझे कहा करता था कि हमारी दुश्मनी बहुत है। जिसकी वजह से तरह-तरह के झूठे केस पुलिस डाल देती है। शादी के बाद मैं अपनी कृषि का काम संभाल लूंगा। और भी जायदाद बहुत है दूसरे शहरों में भी बहुत कारोबार, जायदाद है। उसने कहा कि हम आराम से जीवन व्यतीत कर सकते हैं। वह इतने सुन्दर सुपने बुनता था कि जिंदगी खूबसूरत जन्नत जैसी प्रतीत होने लगती।
एक दिन जज साहिब अपने कमरे में बैठे अकेले चाय पी रहे थे। मैं उनके पास चली गई। मैंने संकोच करते हुए विनम्रता तथा करूणा भरे लहजे में कहा, सर एक्सक्यूज मी, सर, मैं आप से एक ज़रूरी बात करना चाहती हूँ। जज ने मुझे कुर्सी पर बैठने का ईशारा किया तथा मैं धन्यवाद कह कर कुर्सी पर सिमट कर बैठ गई। मैंने जज से हिम्मत तथा धैर्य बांध कर कहा, सर मेरे साथ एक वादा करो कि आप मुझे इन्कार नहीं करेंगे। वह जज मुझे बेटी की तरह ही समझते थे। एक बेटी की तरह ही प्यार सत्कार देते थे।
जज ने जिज्ञासा से कहा, बेटी आप बात तो बताओ, अगर मानने वाली होगी तो ज़रूर मानेंगे। अगर मेरे अख्तियार में हुई तो ज़रूर मान लूंगा। मेरे अख्तियार में होनी चाहिए। मैंने कुर्सी से थोड़ा आगे सिरकते हुए खुद को संभाल कर कहा, सर जिस लड़के पर स्मगलिंग का केस चल रहा है उसको बरी कर दीजिए। मैं उस लड़के से बहुत प्यार करती हूं तथा वह भी मुझे बहुत प्यार करता है। मुझे दिल से चाहता है। हम कई-कई दिन इक्कठे भी घूम लेते हैं। वह समझदार, प्रतिष्ठित तथा कुलीन परिवार घराने से सबंध रखता है। पड़ा लिखा है। उस पर स्मगलिंग का झूठा केस डाला गया है। उसने मेरे साथ वायदा किया है कि वह बरी (बहाल) हो गया तो मेरे साथ शादी कर लेगा परंतु सर, हम प्यार में बहुत आगे निकल चुके हैं, सर मेरी हाथ जोड़कर बिनती है कि प्लीज इस लड़के को बरी कर दो सर।
जज यह सब कुछ सुन कर एक आश्चर्य में पड़ गये तथा उसने बहुत सोच विचार के पश्चात् जबाब देते हुए कहा, बेटी सुनो, तस्कर (स्मगलर) लोग किसी के भी सगे नहीं होते। इनको अपने आप पर विश्वास नहीं होता कि इनके साथ अगले पल क्या होने वाला है? इनको खुद पता नहीं होता। यह लोग पुलिस के साथ उतनी देर ही आंख मचोली खेलते हैं जब तक यह गिरफ्तार नहीं हो जाते। इनका भविष्य एक ऐसी गुफा है जिससे निकलने का कोई रास्ता ही नहीं होता। इनको आखिर हथियार फैंकने पड़ते हैं। इन लोगों में प्यार, विश्वास, संस्कार, इकरार नाम की कोई चीज़ नहीं होती। यह तो मौत का धागा बांध कर इस तरह के कार्य करते हैं। आज बरी (बहाल) हो जाएगा तो फिर किसी न किसी दिन शिकंजे में फंस जाएगा। यह लोग तो अपने घर वालों के साथ भी धोखा करते हैं। प्यार की परिभाषा क्या है? इनसे कोसों मील दूर है। दरअसल इनके प्यार के ऊपर वाले हिस्से में शहद तथा नीचे वाले हिस्से में खतरनाक जहर होता है सांप की भांति। आर्थिक तौर पर तथा निजी कमाई करने वाले बच्चे अपने आप को ज्यादा समझदार कहलाने के लिए घर वालों की इच्छाएं, उनके कहने को उनके मश्विरों को, हालातों को नज़र अंदाज़ कर देते हैं। देखो, माता-पिता पेरेंटस की अनुमति के बगैर कभी भी शादी नहीं करनी चाहिए। अपनी मिट्ठी के परम्परावादी संस्कारों से जुड़े रहना सभ्याचारक इंसानियत होती है। 
(क्रमश:)