गरीब कल्याण अन्न योजना पुन: लागू करने से पहले सर्वेक्षण ज़रूरी

भारत के प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में एक सार्वजनिक बैठक को संबोधित करते हुए यह घोषणा कर दी है कि मुफ्त राशन योजना अर्थात प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को पांच और वर्षों के लिए बढ़ाया जाएगा। प्रधानमंत्री की इस घोषणा से देश के अस्सी करोड़ से ज्यादा लोगों को लाभ होगा। याद रखना होगा कि इस योजना का प्रारंभ कोविड महामारी के दौरान किया गया था। 31 दिसम्बर, 2023 को इस योजना का समय पूरा होने वाला था और अब एक जनवरी, 2024 से यही मुफ्त अन्न योजना 81 करोड़ लोगों के लिए प्रारंभ कर दी जाएगी। सार्वजनिक सभा में श्री मोदी ने कहा कि उन्होंने तय किया है कि भाजपा की सरकार अब देश के अस्सी करोड़ से ज्यादा गरीबों को मुफ्त राशन देने की योजना को अगले पांच वर्ष तक बढ़ाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि जनता का प्यार और आशीर्वाद उनको सदैव पवित्र निर्णय लेने की शक्ति देता है।
आश्चर्य तो यह है कि श्री मोदी ने 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव और 30 नवम्बर, 2023 को तेलंगाना में विधानसभा के चुनाव के आखिरी दौर से पहले यह निर्णय किया है। आश्चर्य होता है कि जो देश विश्व की पांचवीं अर्थव्यवस्था बन चुका है और भी आगे बढ़ने की तैयारी है, उस देश के 140 करोड़ लोगों में से 81 करोड़ लोग अति गरीब हैं। इसी कारण तो उन्हें मुफ्त अन्न दिया जा रहा है। कोविड के कारण बहुत से लोगों की रोज़ी-रोटी, रोजगार, परिवार संकट में पड़ गए थे। उद्योग, व्यापार, दुकानें सब बंद थे। उन दिनों तो जो लोग बेकार हो गए थे, उन्हें राशन देना बहुत ज़रूरी था। यह कहिए कि राष्ट्रीय कर्त्तव्य था, लेकिन अब अगले पांच वर्ष के लिए इसको बढ़ा देने का कारण कोई राजनीतिक है या राजनेताओं की सहृदयता है, यह चिंतनीय है।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत मेरी जानकारी के अनुसार ये परिवार लाभार्थी हैं—गरीबी रेखा के नीचे जो परिवार हैं अर्थात जिनकी मासिक आमदनी पांच हज़ार रुपये या वार्षिक साठ हज़ार रुपये से ज्यादा नहीं है, वे इस योजना का लाभ ले सकते हैं, जिसके लिए सरकार कार्ड बनाती है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के अंतर्गत निशुल्क रसोई गैस का लाभ प्राप्त करने वाले परिवार तथा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत कवर किए गए परिवार भी इस योजना में मुफ्त राशन का लाभ उठा रहे हैं। बड़ी बात तो यह है कि जो नीले कार्ड धारक हैं, वास्तव में वही लोग और वही परिवार इस योजना का लाभ ले रहे हैं।
अब हमारे सामने और देश के सामने दो प्रश्न हैं—प्रथम तो यह कि क्या सभी गरीबी रेखा से नीचे के परिवार इस योजना का कार्ड प्राप्त कर चुके हैं? देश के कुछ लोगों को ही मुफ्त गैस कनेक्शन का लाभ मिला है। सबको नहीं मिला। सच तो यह भी है कि जो अपने-अपने क्षेत्र के सत्ता पक्ष के राजनेताओं के कृपापात्र होते हैं, ऐसी योजनाओं का अधिकतर लाभ उन्हें ही मिलता है। ऐसे बहुत-से गरीब हैं जहां पांच सदस्यों से भी ज्यादा का परिवार किराए के मकान में रहने वाले, जिनके घर में कठिनाई से एक पंखा हवा देने के लिए और एक बल्ब रोशनी देने के लिए है, वे भी इस लाभ से वंचित हैं। अगर उन सबका लेखा-जोखा किया जाए तब तो सौ करोड़ लोग ही गरीब और अति गरीब सरकारी आंकड़ों के अनुसार मान लिए जाएंगे। कौन नहीं जानता कि नीले कार्ड भी गरीबी रेखा से नीचे होने के साथ ही उन लोगों के भी बन गए जो राजनीतिक परिचय में ऊपर की रेखा में थे। ऐसे बहुत-से लोग आम समाज में मिलते हैं, जो गाड़ी, स्कूटर, अपना मकान आदि रखते हैं, फिर भी वे सस्ते राशन का लाभ ले रहे हैं।
भारत की जागरूक जनता यह जानना चाहती है कि जिन लोगों को प्रधानमंत्री योजना से सस्ता राशन मिल रहा है, क्या वे सभी अति गरीब हैं? क्या ऐसे बहुत-से लोग नहीं हैं जो अति गरीब हैं, ठेके की, दिहाड़ी की कच्ची नौकरी करते हैं, वेतन बहुत कम है, छुट्टी वेतन सहित क्या होती है, वे जानते ही नहीं, परन्तु उन लोगों को नीले कार्ड समेत किसी भी योजना का प्रमाण पत्र नहीं मिला जिसके आधार पर वे मुफ्त राशन सरकार से प्राप्त कर सकें।
यह जानकारी सरकारी सूत्रों से मिली है कि सरकार अगले कुछ महीनों में पुन: सर्वेक्षण करवा रही है और जो लोग इस योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने के योग्य हैं, उन्हें वे सभी लाभ दिए जाएं जो प्रधानमंत्री की मुफ्त अन्न योजना के द्वारा मिलते हैं। सीधा प्रश्न यह है कि जो व्यक्ति बहुत गरीब है, परन्तु अपनी सारी कमाई शराब में उड़ा देता है, उसे जनता की कमाई से इकट्ठे किये गये टैक्सों से मुफ्त राशन क्यों दिया जाए? 
ऐसे लोग आलसी हो जाते हैं। परिवार के लिए मुफ्त राशन मिल गया, गैस कनेक्शन भी उज्ज्वला योजना से मिल गए, आयुष्मान कार्ड भी बन गया। अब उन्हें परिवारों की चिंता नहीं रहती, लेकिन शराब के कारण वे परिवार के लिए चिंता का कारण बन जाते हैं। 
भारत सरकार से यह निवेदन है कि भारत देश के जो लोग ठेके की नौकरी पर थोड़ा वेतन लेकर ज्यादा काम करते हैं, जिन्हें उपचार के लिए भी सरकारी सहायता नहीं मिलती, सरकारी अस्पतालों में परेशान होकर वापस आ जाते हैं, आयुष्मान कार्ड बहुत-से अस्पताल स्वीकार नहीं करते, क्योंकि उन्हें समय पर वह पैसा नहीं मिलता जो उन्होंने मरीज़ों के उपचार पर खर्च किया है। ऐसे सब लोगों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का लाभ मिलना चाहिए और जो लोग इस योजना के लिए योग्य पात्र नहीं हैं, सिफारिश या  कथित रिश्वत से इस सूची में शामिल हो गए, उन्हें बाहर निकाल देना चाहिए।