अमरबेल कैसे जीवित रहती है?

बच्चो, आपने पीले रंग के धागों को वृक्षों से लिपटे हुए देखा होगा। इसको ‘अमरबेल’ कहा जाता है। अमरबेल एक परजीवी पौधा है जिसकी जड़ें नहीं होतीं और यह भोजन के लिए दूसरे वृक्षों पर निर्भर रहता है। इस पौधे का कोई बीज़ भी नहीं, बल्कि यह किसी मनुष्य, जीव आदि द्वारा इसके टुकड़े किसी दूसरे वृक्ष पर ले जाने के साथ यह उस वृक्ष पर बढ़ने फूलने लगती है और उस वृक्ष को अपनी चपेट में ले लेती है। इसकी वृद्धि बहुत तेज़ी से होने लगती है। इसके बहुत तेज़ी से बढ़ने फूलने और इसके द्वारा पौधे का नुकसान करने के कारण समाज में तेज़ी के साथ फैलने वाली कुरीतियों की अमरबेल के साथ तुलना की जाती है या इसका नाम दिया जाता है। बेशक अमरबेल की जड़ें नहीं होतीं, लेकिन यह जिस पौधे पर होती है, उस पौधे के साथ चिपक कर उससे अपनी खुराक लेने लगती है। ऐसा होने के कारण इस पौधे का नाम ‘अमरबेल’ पड़ा माना जाता है, क्योंकि यह बिना पत्तों, जड़ों के जीवित रहती और बढ़ती रहती है। प्रकाश संश्लेषण की क्रिया इसकी पतली सी शाखाओं द्वारा की जाती है। इस पर कोई फल, फूल नहीं लगता। इसका धरती के साथ सीधा संबंध न होने के कारण इसको ‘आकाश बेल’ और पीले रंग के कारण ‘स्वर्ण बेल’ नाम से भी जाना जाता है। वृक्षों के लिए अमरबेल काफी घातक सिद्ध होती है। जिस वृक्ष पर यह पनपती है, धीरे-धीरे उस वृक्ष को सुखा देती है या उसका विकास बुरी तरह प्रभावित होता है।
जहां अमरबेल वृक्षों के लिए काफी घातक और नुकसान पहुंचाने वाली है, दूसरी तरफ अमरबेल को बहुत सारी शारीरिक समस्याओं से निजात दिलाने के लिए गुणकारी माना जाता है और इसको दवाई के रूप में भी उपयोग किया जाता है। 

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