प्रधानमंत्री के चेहरे को लेकर ‘इंडिया’ गठबंधन में मतभेद बरकरार ?

‘इंडिया’ गठबंधन की चौथी बैठक में तब ज़बरदस्त ड्रामा देखने को मिला था, जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ ‘इंडिया’ गठबंधन के प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम प्रस्तावित किया था और अब इसी क्रम में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के सुप्रीमो शरद पवार ने एक टिप्पणी करते हुए कहा कि 1977 के लोकसभा चुनाव (आपात काल के बाद) के दौरान भी किसी प्रधानमंत्री पद का चेहरा पेश नहीं किया गया था। फिर 1977 के चुनाव के बाद मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री बनाया गया था। पवार की यह टिप्पणी उस समय आई, जब ‘इंडिया’ गठबंधन ने अभी तक 2024 के लिए प्रधानमंत्री पद के लिए कोई चेहरा पेश नहीं किया है। उन्होंने कहा कि यदि कोई चेहरा सामने पेश नहीं किया जाता तो इससे परिणाम पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। फिलहाल इस समय हमारा ध्यान सिर्फ चुनाव जीतने पर होना चाहिए। 
राम मंदिर पर बिखरा विपक्ष
इस माह के अंत में उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर को लेकर ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल पार्टियों के अलग-अलग विचार हैं कि 22 जनवरी को उन्होंने उद्घाटन समारोह में शामिल होना है या नहीं? सी.पी.आई. (एम.) ने यह कहते हुए निमंत्रण अस्वीकार कर दिया कि धर्म एक निजी पसंद है, जिसे राजनीतिक लाभ के साधन के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। इसलिए हम समारोह में शामिल नहीं होंगे। कांग्रेस ने इस बात पर ज़ोर दिया कि पार्टी आगे बढ़ सकती है और बाद में फैसला कर सकती है। वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि सोनिया गांधी इस मामले पर काफी सकारात्मक हैं। उनकी ओर से एक प्रतिनिधिमंडल भेजा जा सकता है। दूसरी ओर इसे लेकर केरल में कांग्रेस की सहयोगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आई.यू.एम.एल.) ने कांग्रेस को इस समारोह से दूरी बनाने का परामर्श दिया है। उधर शिव सेना सांसद संजय राऊत ने कहा कि उद्धव ठाकरे को निमंत्रण नहीं दिया गया, जिसका खमियाज़ा भाजपा को अब नहीं तो बाद में अवश्य भुगतना पड़ेगा। राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा उद्धव तथा मुख्यमंत्री एकनाथ छिंदे को निमंत्रण दिये जाने की संभावना है। समाजवादी पार्टी नेता डिम्पल यादव का कहना है कि चाहे भाजपा उन्हें निमंत्रण भेजे या नहीं, वह भगवान राम के दर्शन अवश्य करने जाएंगी। ममता बनर्जी को पहले ही कई व्यस्तताएं हैं। 
‘इंडिया’ गठबंधन और मायावती
बसपा का एक वर्ग चाहता था कि पार्टी ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल हो, परन्तु मायावती ‘इंडिया’ गठबंधन या राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल नहीं हो रहीं। कुछ बसपा सांसदों का कहना था कि पार्टी तब जीत सकती है, जब वह अपने पारम्परिक आधार जाटव दलित से बाहर मतदाताओं से जुड़ेगी और यह तब संभव होगा, जब पार्टी ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल होगी। बसपा के जौनपुर से सांसद श्याम सिंह यादव ने कहा, ‘मेरी निजी राय है कि बसपा सहित सभी पार्टियों को भाजपा के खिलाफ एकजुट होना चाहिए। हालांकि ‘बहन जी’ जो निर्णय लेंगी, हम उसका पालन करेंगे।’ बसपा नेताओं का कहना है कि विभाजित विपक्ष से भाजपा को लाभ होगा। बसपा के उत्तराधिकारी आकाश आनन्द मायावती को अकेले आम चुनाव लड़ने के लिए मना कर सकते हैं। ऐसा उस समय हो रहा है, जब बड़ी संख्या में गैर-जाटवों ने भाजपा का दामन थाम लिया है। मायावती की धीमी राजनीतिक गतिविधियों ने लाखों समर्थकों को अलग-थलग कर दिया, जिससे दलित राजनीति हाशिये पर आ गई है। आनन्द के लिए उन नौजवान दलितों को वापस अपने पाले में लाना एक चुनौती है, जो अन्य राजनीतिक विकल्प तलाश रहे हैं। बता दें कि 2022 के विधानसभा चुनाव में 403 सीटों वाली विधानसभा में बसपा को सिर्फ एक सीट मिली थी। 
राहुल गांधी की भारत न्याय यात्रा
2024 में लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी 14 जनवरी को मणिपुर से ‘भारत न्याय यात्रा’ शुरू करेंगे। ‘भारत न्याय यात्रा’ लोगों के लिए सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक न्याय पर केन्द्रित होगी। यात्रा 20 मार्च को मुम्बई में सम्पन्न होगी। पूर्व-पश्चिम यात्रा मणिपुर, नागालैंड, असम, मेघालय, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओड़िशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात तथा महाराष्ट्र से होते हुए 14 राज्यों में लगभग 6200 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। इस यात्रा को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे 14 जनवरी को इम्फाल से हरी झंडी दिखाएंगे। कांग्रेस इस यात्रा को अधिकतर बस के साथ-साथ पैदल चल कर कम समय में लम्बी दूरी तय करने की इच्छा रखती है। 
‘भारत न्याय यात्रा’ जिन राज्यों को पार करेगी, उनमें 335 लोकसभा सीटें होंगी और कांग्रेस अपनी सीटें बढ़ाने की उम्मीद कर रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इनमें से 236 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस को सिर्फ 14 सीटें मिलीं।
 शर्मिला की कांग्रेस अंध-भक्ति
2024 के लोकसभा चुनाव के निकट आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगनमोहन रैड्डी की बहन वाई.एस. शर्मिला, जिन्होंने दो वर्ष पहले अपनी पार्टी यूवजन श्रमिक रायथू तेलंगाना बनाई थी, अपनी पार्टी के विलय के लिए कांग्रेस से बातचीत कर रही है। शर्मिला ने कर्नाटक के उप-मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार से लगातार दो बार मुलाकात की। शर्मिला आंध्र प्रदेश की राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाना चाहती है। 
कांग्रेस नेता शर्मिला का समर्थन कर रहे हैं और राहुल गांधी को इससे कोई दिक्कत नहीं है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तथा राहुल गांधी उन सभी नेताओं का स्वागत करने के पक्ष में हैं, जिन्होंने पार्टी छोड़ दी और वापसी की कामना की। आगामी दिनों में इस बात के साफ होने की उम्मीद है कि क्या कांग्रेस की रणनीति काम आएगी या नहीं? (आई.पी.ए.)