मालदीव संबंधी भारत की ज़िम्मेदारी

मालदीव हिन्द महासागर में भारत का निकटतम पड़ोसी है। इसकी राजधानी माले भारत के समुद्र तट से 1917 किलोमीटर की दूरी पर है। इस छोटे-से देश का कुल क्षेत्रफल 297.8 वर्ग किलोमीटर है। इस द्वीप समूह की आय का बड़ा स्रोत पर्यटन तथा मछली व्यापार ही है। प्रत्येक वर्ष इन द्वीपों पर लाखों ही लोग विश्व भर से पर्यटकों के रूप में आते हैं। इनमें से सबसे अधिक पर्यटक भारत से, दूसरे स्थान पर रूस तथा तीसरे स्थान पर चीन से आते हैं। यह द्वीप समूह बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी वाला है। चाहे यह बहुत छोटा है परन्तु 1965 में अंग्रेज़ों के शासन से आज़ादी मिलने के बाद भी इसकी आंतरिक राजनीति बड़ी सीमा तक हलचलपूर्ण तथा गड़बड़ वाली ही रही है।
वर्ष 1988 में जब मौमून अब्दुल गयूम यहां के राष्ट्रपति थे तो इस निर्वाचित सरकार के विरुद्ध ब़गावत हुई थी। सरकार द्वारा निकटतम पड़ोसी देश भारत को सहायता के लिए कहे जाने के बाद भारतीय सेना ने जाकर इस ब़गावत को दबा दिया था। इसके बाद भारत की ओर से दिये गये विमानों तथा अन्य हथियारों की देखभाल तथा मुरम्मत के लिए 88 के लगभग भारतीय सैनिक मालदीव में रहते हैं। मालदीव सामाजिक एवं आर्थिक पक्ष से आज भी बड़ी सीमा तक भारत पर निर्भर है। विगत वर्ष 17 नवम्बर को हुये चुनावों में मोहम्मद मुईज़ू जोकि पीपल्ज़ नैशनल कांग्रेस पार्टी के नेता हैं, नव-निर्वाचित राष्ट्रपति चुने गये। उन्हें पहले से ही चीन-पक्षीय माना जाता रहा है। विगत वर्ष हुये चुनावों के दौरान भी मोईज़ू तथा उनकी पार्टी ने मालदीव से भारतीय सैनिकों की वापिसी को अपने चुनावी एजेंडे में शामिल किया था। पद ग्रहण करने के बाद उन्होंने यह कहा था कि भारत अपने सैनिक तुरंत वापिस बुलाये। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा मोईज़ू दुबई में हुई पर्यावरण संबंधी बैठक में मिले थे, तथा उन्होंने दोनों देशों के आपसी मामलों के हल के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति भी बनाई थी, परन्तु इसके बाद भी मोईज़ू का मालदीव में रह रहे भारतीय सैनिकों की वापिसी के संबंध में व्यवहार पहले वाला ही रहा था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो जनवरी को अरब सागर में स्थित भारत के लक्षद्वीप द्वीपों का दौरा किया था। उन्होंने वहां की सुन्दरता की प्रशंसा की थी। वहां पर्यटकों के लिए हर तरह की मूलभूत सुविधाओं की घोषणा के उपरांत भारतीयों को पर्यटकों के रूप में इन द्वीपों पर आने के लिए प्रेरित किया था। इसकी प्रतिक्रिया-स्वरूप मालदीव के तीन उप-मंत्रियों द्वारा प्रधानमंत्री मोदी तथा भारतीयों के विरुद्ध कड़ी शब्दावली का उपयोग किया गया था, जिसकी भारत में भी कई पक्षों से प्रतिक्रिया देखी गई थी। इसी समय में मालदीव के राष्ट्रपति मोईज़ू ने पांच दिवसीय चीन का दौरा किया था। वापिस लौटते ही उन्होंने कहा था कि चाहे मालदीव एक छोटा देश है परन्तु वह अपने स्वतंत्र अस्तित्व तथा प्रभुसत्ता पर पहरा देगा। 
हम समझते हैं कि भारत ने शुरू से ही इस छोटे पड़ोसी देश की ओर कभी भी आक्रामक रवैया नहीं अपनाया, अपितु हर समय तथा हर ढंग-तरीके से इसकी सहायता ही की है। बड़ा देश होने के कारण भारत को भविष्य में भी इसके प्रति नर्म एवं सहायता वाला रवैया ही  धारण करना है। इसके साथ ही भारत को स्वयं आगे बढ़ कर दोनों देशों में पैदा हुये भ्रमों को भी दूर करना चाहिए तथा दोनों देशों की दशकों की साझ को और भी मज़बूत करने हेतु भारत को यत्नशील रहना चाहिए।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द