कैनेडियन ‘फूड बैंकों’ की बरकतें

सर्दियों के मौसम में पंजाबी परिवारों में विदेशों में रहते मेहमानों का आना सामान्य बात है। गत रविवार मेरे घर मेरी बहन हरभजन ढिल्लों तथा मेरी मौसी का बेटा महिन्दर ढिल्लों एक साथ आ गए। हवाई जहाज़ों के सफर की बात हुई तो नकदी की कीमत भी पड़ने लगी। वर्तमान में 63 रुपये का एक डालर बनता है। यह भी कि कनाडा में सिर्फ पैसों के बैंक ही नहीं, अपितु खाद्य पदार्थों के बैंक भी हैं, जिन्हें फूड बैंक कहते हैं। हरभजन का घर चीफ खालसा दीवान सोसायटी वाले गुरुद्वारा साहिब के पास है, जहां स्थानीय अंग्रेज़ लोग लंगर ग्रहण करके बर्तन भी साफ करते हैं और लंगर की सेवा भी। ज़रूरतमंद बच्चों के लिए खाने के पैकेट हर समय तैयार मिलते हैं और बच्चे स्कूल जाते समय वहां से दोपहर का खाना उठा कर ले जाते हैं।
महिन्दर सिंह का घर गुरु नानक फूड बैंक के निकट है, जो दुख निवारण गुरुद्वारा साहिब परिसर में स्थित है। सरी क्षेत्र में। इसकी प्रशंसा का भी अंत नहीं। यहां ज़रूरतमंदों के खाने-पीने तथा राशन-पानी के पैकेटों के अतिरिक्त गद्दे तथा कम्बल भी दिये जाते हैं। खूबी यह है कि इस फूड बैंक को दान करने वाले भी संबंधित वस्तुओं के ट्रक भर कर लाते हैं और उनकी तब तक संतुष्टि नहीं होती, जब तक इन वस्तुओं को फूड बैंक के परिसर में नहीं पहुंचा देते। यह सुन कर हैरान न होना कि इस बार के श्री गुरु नानक देव जी के पर्व पर नकद चढ़ावा 3.5 लाख डालर था। इंडिया का दो करोड़ 20 लाख तथा 50 हज़ार (2,20,50,000) रुपये थे।
एक कोख से जन्म लेने वालों से भेदभाव
शुरू से ही मानवीय नस्ल अशरफ-उल-मखलूदात, (सबसे उत्तम नस्ल) मानी जाती है, परन्तु यह मानव का बेटा एक ही कोख से जन्म लेने वालों को टेढ़ी आंख से देखता है। विशेषकर लिंग भेद के रूप में त्रुटिपूर्ण रह गई नस्लों को। इसमें मानवीय अस्तित्व की वे सभी विभिन्नताएं आ जाती हैं, जिन्हें सदियों तक या तो स्वीकार नहीं किया जाता रहा या तिरस्कार भाव से देखा जाता रहा है। इसी प्रकार अलग प्रकार की सैक्सुयल ओरिएंटेशन को भी अप्राकृतिक मानते हुए उसे अपराध में शामिल कर लिया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय फोरमों पर इन अलग तरह के जीवों की ओर  सामाजिक दृष्टिकोण को भी जाति, नस्ल, धर्म और लिंग-भेद के आधार पर भेदभाव की भांति मानवाधिकारों के मामले के रूप में देखा जाता है। गत एक सदी के दौरान पश्चिमी देशों में यह सोच बदली है, जिसके अनुसार ट्रांसज़ैंडर जीवों से समलिंगियों को भी एक प्राकृतिक घटनाक्रम के रूप में स्वीकृति दी जाने लगी है। 
अधिकतर विकसित देशों में मनुष्य के भौतिक तथा मनोवैज्ञानिक ढांचे की आधारभूत जानकारी स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम का हिस्सा बन चुकी है। कनाडा में तथा इसके प्रांत ब्रिटिश कोलम्बिया में भी गत कुछ माह में ब्रिटिश कोलम्बिया प्रांत में कंजर्वेटिव सोच वाले कुछ व्यक्ति स्कूली शिक्षा की इस नीति के विरुद्ध रोष व्यक्त कर रहे थे। चाहे यह नीति कई वर्षों से चली आ रही है, परन्तु विरोध करने वालों ने प्रांत की वर्तमान शिक्षा मंत्री रचना सिंह को निशाना बनाते हुए विधानसभा की उसकी सदस्यता के खिलाफ याचिका दायर कर दी थी। यहां की विधानसभा में किसी भी सदस्य को वापस बुला लेने की व्यवस्था है। इस व्यवस्था के अनुसार याचिका दायर करने वालों को दो माह तक हस्ताक्षर अभियान चलाने का अवसर दिया जाता है। शर्त यह है कि वे निश्चित तिथि तक हस्ताक्षरों की अपेक्षित संख्या पूरी करें। इस केस में कटु धारणा वालों ने 29 जनवरी तक ज़रूरी हस्ताक्षर करवाने थे। हुआ यह कि वे बड़ी मुश्किल से एक चौथाई हस्ताक्षर ही करवा सके। 
परिणामस्वरूप 29 जनवरी को बी.सी. के चुनाव आयोग ने रचना सिंह के खिलाफ दायर याचिका के रद्द होने की घोषणा कर दी। अपने कामकाज के कारण बहुत लोकप्रिय रचना सिंह तो इस पूरे घटनाक्रम को बहुत सहजता से ले रही हैं, परन्तु उनके प्रशंसक तथा समर्थक निश्चित ही बहुत खुश हैं। याद रहे कि रचना हमारे मित्र रघबीर सिंह सिरजना की बेटी हैं जो ब्रिटिश कोलम्बिया की शिक्षा मंत्री हैं। निश्चय ही विपक्ष की याचिका का खारिज होना हम सभी के लिए खुशी की बात है।
अंतिका
—लोक बोली—
सहुं खाण नूं बड़ा चित्त करदा,
एक वीर देईं वे रब्बा।