उज्जैन में लगी दुनिया की पहली वैदिक घड़ी

बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन प्राचीनकाल से ही कालगणना का महत्वपूर्ण केंद्र रही है। क्योंकि यहां से कर्क रेखा गुजरती है और अगर ज्योतिषीय मान्यताओं के तहत देखें तो मंगलग्रह का जन्म स्थान भी यही उज्जैन नगरी मानी जाती है। यहीं से विक्रम संवत् की शुरुआत होती है और अब यहीं दुनिया की पहली ऐसी वैदिक घड़ी, जमीन से 80 फीट ऊपर टावर में लगायी गई है, जिसमें बेहद अनूठी खूबियां हैं। जीवाजीराव वेधशाला में लगायी गई विश्व की इस पहली वैदिक घड़ी को प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरे 1 मार्च 2024 को रिमोट के जरिये विश्व को लोकार्पित किया। इस घड़ी की जो सबसे बड़ी खूबी है, वह यह है कि इसमें 24 घंटे की बजाय 30 घंटे का समय देखा जायेगा। वास्तव में यह घड़ी सुबह सूर्योदय के बाद अगले दिन के सूर्योदय तक के समय को व्यक्त करेगी और इस तरह इसका पूरा एक चक्र 24 नहीं 30 घंटे में पूरा होगा, जिसमें भारतीय स्टैंडर्ड टाइम 60 मिनट की बजाय 48 मिनट प्रति घंटा होगा। इस घड़ी में वैदिककाल जानने के साथ ही कालगणना और अलग-अलग शुभ मुहूर्त भी दिखेंगे।
वास्तव में भारतीय कालगणना की पुरानी पद्धति के साथ आधुनिक कैलकुलेशन के आधार पर यह घड़ी बनायी गई है। दोनों के बीच कुछ जटिलताओं को सरल रूप में समझने के लिए ही इस घड़ी में एक पूरा दिन 24 का नहीं बल्कि 30 घंटे का होता है, जिसमें एक सूर्य उदय से अगले सूर्य उदय तक के समय को समेटा गया होता है। वास्तव में इस घड़ी की कालगणना को कई सौ साल पुरानी भारतीय कालगणना की वैदिक पद्धति से आधुनिक कालगणना के साथ जोड़ा गया है। यह घड़ी क्योंकि एक मॉडर्न जमाने की है, इसलिए इसे करीब 150 फीट ऊंची क्रेन के माध्यम से वाच टावर पर स्थापित किया गया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने वर्चुअल तरीके से इसका उद्घाटन किया है। माना जाता है कि वैदिक घड़ी का संबंध सदियों पुराना है और भारत में पंचांग गणना 1906 तक इसी घड़ी के माध्यम से की जाती थी। अब यह घड़ी संस्कृत और संस्कृति को संगम के रूप में जोड़ने वाली उज्जैन नगरी का एक प्रमुख आकर्षण होगी। भारत के कोने-कोने से नहीं, दुनिया के कोने-कोने से न केवल लोग इस घड़ी को यहां देखने आएंगे बल्कि इससे उज्जैन की नई पहचान और पर्यटन में जोरदार भागीदारी बनेगी।
यह घड़ी जिसमें एक घंटा, 48 मिनट का है, वह वैदिक समय तो दिखायेगी ही, साथ ही यह शुभमुहूर्त भी बतायेगी और वैदिक हिंदू पंचांग की तिथियों, ग्रहों की स्थिति, ज्योतिषीय कालगणना और भविष्यवाणियां भी करेगी। यह घड़ी अपने आपमें वैदिक विज्ञान का एक नमूना भी होगी, जो प्राचीन ज्ञान और संस्कृति को आधुनिक विज्ञान के साथ तालमेल बनायेगी। जब भी सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण होते हैं तो दुनियाभर के खगोलविदों के लिए उज्जैन बहुत महत्वपूर्ण जगह बन जाती है। अब आम लोग भी इसका रोमांच महसूस किया करेंगे। यह घड़ी लोगों को सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण जैसे शुभमुहूर्तों के बारे में भी बतायेगी। इसका एक मोबाइल एप्लीकेशन भी बनाया गया है जो इंटरनेट में मौजूद है। 1906 तक भारत में ज्योतिषीय कालगणनाएं इसी घड़ी के जरिये होती थी। प्रधानमंत्री मोदी दुनिया की इस पहली वैदिक घड़ी का उद्घाटन करते हुए कहा, ‘यह वाकई में भारत की संस्कृति और साइंस को दुनिया के कोने-कोने में ले जायेगी।’ प्रधानमंत्री मोदी ने  इस घड़ी का वैश्विक लोकार्पण करते हुए यह भी कहा, ‘यह दुनियाभर के ज्योतिष आचार्यों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगी।’
प्रधानमंत्री मोदी का मनाना है कि यह वैदिक घड़ी अब उज्जैन की नई पहचान है और यह यहां के पर्यटन कारोबार को नई ऊंचाईयों पर ले जायेगी। उज्जैन के सुप्रसिद्ध जंतर मंतर वेधशाला में स्थपित की गई इस घड़ी के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उज्जैन प्राचीनकाल से ही अपनी सटीक कालगणना के लिए मशहूर रहा है। लेकिन हाल के सालों में इसे भुला दिया गया था, इसलिए संस्कृत और विज्ञान की इस नगरी में वैदिक घड़ी की नये सिरे से स्थापना की गई है। भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन को अब इस आधुनिक घड़ी के लिए भी जाना जायेगा। -इमेज

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