अमेठी से भी लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं राहुल गांधी !

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव को दो विचारधाराओं, जिनमें एक ओर संविधान के लिए लड़ने वाला ‘इंडिया’ गठबंधन तथा दूसरी ओर भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) जो संविधान एवं लोकतंत्र को खत्म करना चाहता है, के बीच लड़ाई के रूप में श्रेणीबद्ध किया। उत्तर प्रदेश की ‘हाई-प्रोफाइल’ अमेठी सीट पर भेद बरकरार रखते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि यह पार्टी की केन्द्रीय चयन कमेटी (ईसीसी) का अधिकार क्षेत्र है और वह उसके फैसले का पालन करेंगे जबकि भाजपा की स्मृति ईरानी को अमेठी सीट से पुन: उम्मीदवार बनाया गया है, जो कभी राहुल गांधी का गढ़ रही थी। कांग्रेस ने अभी तक अपने उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं किया है। 
अनुमान लगाए जा रहे हैं कि राहुल गांधी, जो पहले ही वायनाड से अपना नामांकन-पत्र दाखिल कर चुके हैं, अमेठी से भी चुनाव लड़ेंगे। राहुल गांधी ने लगातार तीन बार 2004, 2009 तथा 2014 में अमेठी सीट जीती थी। हालांकि ईरानी ने 2019 में 55 हज़ार मतों से सीट पर जीत प्राप्त की और स्वयं को बड़े नेता के रूप में पेश किया। 
रायबरेली से चुनाव लड़ सकती हैं प्रियंका
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में अपने पहले रोड शो में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने किसानों के ऋण, चुनावी बॉन्ड, बेरोज़गारी तथा नोटबंदी को लेकर मोदी सरकार पर तीव्र हमला बोला। एक बड़े जनसमूह को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देश पर शासन करने वाले लोग ‘सच’ या ‘मां शक्ति’ के उपासक नहीं हैं, अपितु सिर्फ ‘सत्ता’ (शक्ति) के उपासक हैं। रोड शो में भारी संख्या में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने अपनी पार्टी के ध्वज तथा बैनर लहराते हुए कांग्रेसी सदस्यों के साथ मार्च करते हुए अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। प्रियंका गांधी लोकसभा चुनाव में व्यापक स्तर पर प्रचार कर रही हैं और अब यदि पार्टी उन्हें इजाज़त देती है तो वह रायबरेली से चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। वह रायबरेली से चुनाव लड़ने वाली नेहरू-गांधी परिवार की तीसरी पीढ़ी होगी। 
बिहार को विशेष दर्जा देने की बात
भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के चल रहे चुनाव अभियान में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग गायब है। हालांकि विपक्षी महागठबंधन अपने अभियान के दौरान एक उदाहरण पेश करने के इकलौते उद्देश्य से कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक दशक पहले बिहार के लोगों से किये वायदे को पूरा करने में कैसे विफल रहे हैं, इस मांग को बार-बार उठा रहा है। सात चरणों में चल रहे लोकसभा चुनावों के लिए प्रचार अभियान तेज़ होने से मुख्यमंत्री नितीश कुमार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की अपनी चिरकाल पुरानी मांग पर पूरी तरह चुप हैं। दूसरी ओर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने राज्य में भाजपा की चुनाव रैलियों में नितीश कुमार की अनुपस्थिति पर सवाल उठाए हैं। तेजस्वी ने पूछा कि नितीश कुमार जी कहां हैं? भाजपा उन्हें अपनी रैलियों में क्यों नहीं बुला रही है? मंगलवार को प्रधानमंत्री की किसी भी भाजपा रैली में वह दिखाई नहीं दिये। मेरे मन में अभी भी मुख्यमंत्री के लिए सम्मान है, भाजपा जो उनकी मौजूदा सहयोगी है, को इस मामले पर सफाई देने की ज़रूरत है। 
अखिलेश द्वारा अन्य पिछड़े वर्गों को साथ लेने की कोशिश
समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनावों के लिए उम्मीदवार के चयन के लिए एक रणनीतिक बदलाव किया है, जिसे मुस्लिम-पक्षीय तथा यादव-पक्षीय के रूप में देखने की बजाय उनकी पार्टी की छवि को पुन: तैयार करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। पार्टी ने गैर-यादव अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को लुभाने के लिए अपने उम्मीदवारों का चयन करते समय स्थानीय जाति समीकरणों तथा अपने ‘पीडीए’ (पिछड़े, दलित तथा अल्पसंख्यक) नारे को ध्यान में रखा है, जो आबादी का लगभग 35 प्रतिशत भाग है। सपा की ओर से अब तक घोषित 57 उम्मीदवारों में से सिर्फ चार मुस्लिम हैं और चार यादव समुदाय से हैं। अधिकतर उम्मीदवार सामान्य वर्ग, अनुसूचित जाति (एससी) तथा गैर-यादव अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) पृष्ठभूमि से हैं। पार्टी ने रामपुर, कैराना, संभल तथा गाज़ीपुर से मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं जबकि आज़मगढ़, बदायूं, फिरोज़ाबाद तथा मैनपुरी से यादव समुदाय के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। उसने सामान्य वर्ग के 9, अनुसूचित जाति के 15 तथा ओबीसी के 29 उम्मीदवारों को भी मैदान में उतारा है, जिनमें जाट, गुज्जर तथा निशाद समुदाय के उम्मीदवारों को भी शामिल किया गया है। अखिलेश की पत्नी डिम्पल यादव मैनपुरी से चुनाव लड़ रही हैं जबकि उनके तीन चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव, अशोक यादव तथा आदित्य यादव क्रमश: आज़मगढ़, फिरोज़ाबाद तथा बदायूं लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं। समाजवादी पार्टी 62 सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि कांग्रेस के लिए 17 तथा टीएमसी के लिए एक सीट छोड़ी जाएगी। (आई.पी.ए.)