आग से नष्ट होती जाती वन सम्पदा
गर्मियों के विभिन्न जंगलों के दहन की खबरों को सुनने को मिलती हैं तो बहुत आश्चर्य तथा दुख होता है कि मनुष्य ने अंतरिक्ष में तो बड़ी-बड़ी उपलब्धिं हासिल कर ली हैं, परन्तु वह अपनी पृथ्वी पर जैव विविधता के अभिन्न अंग जंगलों को बचाने में असमर्थ क्यों है? देश के पहाड़ी तथा मैदानी इलाकों के जंगलों में विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे, औषधियां व जीव-जंतु निवास करते हैं, जो देश को जैव विविधता की दृष्टि से समृद्ध बनाते हैं तथा देश की आर्थिकता को मज़बूती प्रदान करते हैं। अन्य राज्यों के लोग जैव विविधता से परिपूर्ण क्षेत्रों में सुंदर पहाड़ों, जो की विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधों तथा जीव जंतुओं से भरे होते हैं, की मनोहर झलक देखने के लिए आते हैं। देश के जंगल लोगों को शुद्ध वायु, भोजन, फल, दवाईयां, लकड़ी तथा पशुओं के लिए चारा उपलब्ध करवाते हैं। अत: कहा जा सकता है कि इन जंगलों में जो जैव विविधता पाई जाती है, वह पृथ्वी के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। स्पष्ट रूप में कहा जाए तो जंगलों के बिना मानव जीवन संभव नहीं है, क्योंकि यही मनुष्य को ऑक्सीजन देते हैं। पेड़-पौधे पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखते हैं। पेड़-पौधे ही ग्लोबल वार्मिंग को कम करते हैं और बारिश का कारण बनते हैं। पेड़-पौधों की जड़ें मिट्टी को पूर्ण रूप से जकड़े रखती है। यह आमतौर पर देखा गया है कि जिन इलाकों में पेड़ पौधों की मात्रा पर्याप्त होती है, वहां पर बाढ़ या अन्य प्राकृतिक आपदाओं की सम्भावना भी बहुत कम होती है।
दुख की बात है कि गर्मियों के मौसम में जंगलों का काफी हिस्सा आग लगने से जलकर राख हो जाता है। इन जंगलों में आग लगने से अनेक अमूल्य पेड़ पौधों के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु भी नष्ट हो जाते हैं। यही कारण है कि आज पेड़-पौधों तथा जीव-जंतुओं की विभिन्न प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं। जंगलों को आग से बचाने के लिए आम जनता को वन विभाग के साथ सहयोग करना चाहिए। जैसे कि जंगलों में चीड़ तथा अन्य वृक्षों की सूखे पत्तों को गर्मियों से पहले हटा देना चाहिए ताकि यह सूखे पत्ते आग न पकड़े। जंगलों के नज़दीक कभी भी आग नहीं जलानी चाहिए। जंगलों में आग लगने पर तुरंत वन विभाग को सूचना देनी चाहिए।
चीड़ के जंगलों में विभिन्न प्रकार की मिश्रित प्रजातियों के पेड़-पौधे लगाने चाहिए ताकि इन चीड़ की पत्तियों के ज्वलनशील प्रभाव को कम किया जा सके। चीड़ के सूखे पत्तों से जो विभिन्न प्रकार की वस्तुएं बनाने के लिए लघु तथा मध्यम उद्योगों की इकाइयां लगाई जानी चाहिएं ताकि जंगलों से चीड़ के सूखे पत्तों को इकट्ठा किया जा सके।जंगलों को आग से बचाने के लिए हर संभव कदम उठाना होगा, तभी भावी पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित हो सकेगा। अगर जंगल सुरक्षित होंगे तो मनुष्य भी सुरक्षित रहेगा।
जिला बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश।