ज़रूरी हो गया है बढ़ती जनसंख्या पर अंकुश लगाना
आज विश्व जनसंख्या दिवस
जनसंख्या प्रत्येक राष्ट् की बहुमूल्य संपत्ति होती है। इसी से श्रम शक्ति उत्पन्न होती है और देश का विकास होता है। जब तक प्राकृतिक संसाधनों के अनुपात में जनसंख्या का विस्तार होता है। प्रकृति सभी का पालन पोषण करती है। संतुलन के रहते प्रकृति पर दबाव नहीं होता परन्तु जब जनसंख्या में वृद्धि की स्थिति विस्फोटक हो जाती है तो इसके दुष्परिणाम सामने आने लगते हैं। आज वैश्विक स्तर पर जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा भोजन, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि बहुत-सी आधारभूत आवश्यकताओं से वंचित है। इसका मूल कारण अनियंत्रित जनसंख्या है। विश्व में सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश अब चीन नहीं, भारत है जबकि भारत और चीन के क्षेत्रफल में बहुत अंतर है, संसाधनों में अंतर है।
यदि तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या को नहीं रोका गया तो इसके बहुत गम्भीर परिणाम होंगे। प्रकृति के पास सीमित मात्रा में भूमि, जल, वायु, खनिज पदार्थ हैं, परन्तु तीव्र गति से बढ़ती हुई जनसंख्या इन संसाधनों का अनियंत्रित दोहन कर रही है। परिणामस्वरूप जो प्राकृतिक संसाधन सहजता से हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति कर रहे थे, आज क्षीण होते जा रहे हैं। इससे प्राकृतिक परिवेश विषैला हो रहा है। अधिक जनसंख्या के लिए अधिक खाद्यान्न चाहिए, परन्तु रासायनिक उर्वरकों के अधिकाधिक उपयोग से पृथ्वी की उर्वरता शक्ति कम हो रही है। प्रकृति का वातावरण दूषित होने से मनुष्य अनेक प्रकार के शारीरिक व मानसिक रोगों से ग्रसत होता जा रहा है।
इस जनसंख्या विस्फोट को नियंत्रित किये बिना सामाजिक न्याय, समानता व बेहतर जीवन स्तर प्राप्त नहीं हो सकता। बेतहाशा जनसंख्या वृद्धि गरीबी, बेरोज़गारी, भुखमरी, कुपोषण, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, अशिक्षा, पर्यावरण प्रदूषण तथा जनसंख्याकीय असंतुलन जैसी समस्याओं को जन्म देती है और विकास कार्यों को निष्फल कर देती है। जनसंख्या को संतुलित रख कर ही प्रकृति में विद्यमान सीमित संसाधनों के द्वारा दरिद्रता, बेरोज़गारी, भुखमरी, निरक्षरता जैसी समस्याओं को दूर किया जा सकता है। जनसंख्या की अनियंत्रित वृद्धि बेशक अंतर्राष्ट्रीय समस्या है, लेकिन हमें अपनी समस्याओं का समाधान स्वयं करना है। इसलिए जाति, धर्म, राजनीति से ऊपर उठ कर एक प्रभावी कार्ययोजना बनानी चाहिए अन्यथा परिणाम भयावह हो सकते हैं। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री माल्थस का विचार, ‘यदि मनुष्य कृत्रिम उपायों से इस पर नियंत्रण नहीं रखता है तो प्रकृति स्वयं संतुलन स्थापित करती है। जो प्राकृतिक आपदाओं के रूप में विनाशकारी होता है।’ आज हमारे चारों ओर जो प्राकृतिक आपदाओं में भारी जन-धन की हानि होती है, वे माल्थस के उक्त कथन को सही सिद्ध करती है, क्योंकि इन घटनाओं के मूल में जनसंख्या का बढ़ता हुआ दबाव ही है। बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए केवल भोजन ही नहीं, आवास, रोज़गार, यातायात सहित अनेक प्रकार की सुविधा भी चाहिएं।
बढ़ती हुई जनसंख्या से उत्पन् समस्याओं पर ध्यान केन्द्रित करने व समाधान करने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र ने 11 जुलाई, 1989 को प्रतिवर्ष जनसंख्या दिवस मनाना प्रारम्भ किया था। इस दिन संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की शासकीय परिषद द्वारा विश्व स्तर पर जनसंख्या सम्बन्धी समस्याओं के प्रति लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जाता है। अशिक्षा, महिलाओं में शिक्षा का अभाव, भाग्यवादिता, जागरूकता का अभाव, कम उम्र में विवाह अतिशय जनसंख्या वृद्धि के कारक माने जाते हैं। जनसंख्या नियंत्रण का संबंध किसी एक सम्प्रदाय, समुदाय अथवा जाति से नहीं हो सकता, क्योंकि जनसंख्या वृद्धि का प्रभाव सभी पर समान रूप से पड़ता है। कुछ संप्रदाय एकाधिक विवाह और अधिक से अधिक संतान के पक्षधर है। उनसे जब भी परिवार को छोटा रखने की चर्चा की जाती है तो वे इसे ऊपर वाले की देन बताकर पल्ला झाड़ लेते हैं।
जनसंख्या को संतुलित करने के लिए सबसे पहले अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर जनचेतना कार्यक्रम चलाकर लोगों को छोटा परिवार रखने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। समाज का विशिष्ट वर्ग विद्वान, शिक्षक, धर्मप्रचारक, राजनेता आदि अपना परिवार सीमित रखकर इस संदर्भ में महती भूमिका निभा सकते है। यदि कुछ लोग अथवा संप्रदाय इसके बावजूद भी बढ़ती हुई जनसंख्या को स्वीकार करने को तैयार न हो तो जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाना ही एकमात्र समाधान है। जनसंख्या वृद्धि रोकने के लिए जहां कानून बनाना, उसे सख्ती से लागू करना ज़रूरी है, वहीं घुसपैठियों को रोकने पर भी विशेष ध्यान देना होगा। बंगाल से पूर्वोत्तर के अनेक राज्यों में जनसंख्या असंतुलन का मुख्य कारण घुसपैठ है। यह भी जांच का विषय है कि इतने बड़े पैमाने पर घुसपैठ का कारण कहीं अपने ही देश के कुछ लोग तो नही? व्यवस्था में ऐसी क्या खामियां है कि जिसका लाभ उठाकर ये लोग यहां आसानी से आधार कार्ड, वोटर कार्ड प्राप्त कर लेते है। देश भर की पुलिस रिपोर्टों के अनुसार ये लोग अक्सर अपराधिक वारदातों में भी शामिल रहते हैं।। (युवराज)