आपके रक्त का एक-एक कतरा अमूल्य

विश्व रक्तदाता दिवस हर साल 14 जून को मनाया जाता है। यह दिन स्वैच्छिक और नि:स्वार्थ रक्तदाताओं को सम्मानित करने और रक्तदान के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। रक्तदान जीवन रक्षक है और इससे कई मरीज़ों की जान बचाई जा सकती है। इस वर्ष की थीम दान का जश्न मनाने के 20 साल : धन्यवाद रक्तदाता है। आज पूरा विश्व खून की कमी के कारण जूझ रहा है, जिससे जीवन पर खतरा उत्पन्न हो रहा है। रक्तदान जीवनदान है क्योंकि रक्त का कोई विकल्प नहीं है। रक्तदान कई ज़िंदगियों को बचाता है। इससे उन लोगों को जीने की उम्मीद मिलती है,जो उम्मीद खो चुके होते हैं। रक्तदान का कार्य समाज की एक बड़ी सेवा है। रक्तदान एक ऐसा दान है जो न सिर्फ  आपको जरूरतमंद की दुआएं दिलाता है बल्कि आपके शरीर के लिए भी फायदेमंद होता है। आपके खून की चंद बूंदों से किसी घर का चिराग बुझने से बच सकता है।
भारत में कुल रक्तदान का केवल 59 फीसदी रक्तदान स्वेच्छिक होता है। तीन महीनों की समय अवधि के बाद रक्तदान कर सकते हैं। रक्तदान करने की अधिकतम आयु सीमा 65 वर्ष है। हालांकि, साठ वर्ष से ज्यादा आयु के लोगों द्वारा चिकित्सक के मार्गदर्शन में पहली बार अथवा नियमित रूप से रक्तदान किया जा सकता है। रक्त की मात्रा 350 मिलीलीटर से 450 मिलीलीटर के अंतर पर लिया जा सकता है। रक्त की मात्रा को प्रतिस्थापित करने में सामान्य रूप से 24 घंटे लगते हैं। यदि आप सामान्य रूप से स्वस्थ हैं, तो चिंता की कोई कोई बात नहीं है। यदि प्रयोगशाला मोबाइल वैन उचित निवारक कार्रवाई कर रही है तो संक्रमण की संभावना कम होती हैं। रक्तदान की प्रक्रिया पूरी तरह से सुरक्षित है। प्रत्येक रक्तदाता के लिए नई सुई का उपयोग किया जाना चाहिए तथा उस सुई को उपयोग के बाद फेंक दिया जाना चाहिए।
 रक्तदान सामान्यत चार चरणों में संपन्न होने वाली प्रक्रिया है। पंजीकरण, रक्त दानकर्ता की चिकित्सीय पृष्ठभूमि रक्तदान और अल्पाहार या जलपान। स्वस्थ इन्सान के शरीर में 5 से 7 लीटर रक्त हमेशा मौजूद रहता है। शरीर में एक यूनिट रक्त अतिरिक्त होता है जो दिया जा सकता है। हमारे शरीर में रक्त बनने की क्रिया भी काफी रोचक है। रक्त, श्वेत रक्त कण, लाल रक्त कण, प्लाज़्मा और प्लेटलेट्स से मिलकर बने रक्त में लाल रक्त कण शरीर के हर भाग में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करते हैं, श्वेत रक्त कण रोग प्रतिरोधक होते हैं तो प्लेटलेट्स का काम होता है बहते रक्त को रोकना। कभी चोट लगने पर खून बहता है और प्लेटलेट्स ही उसे बहने से रोकने का काम करते हैं। हर दिन हमारे शरीर के बोन मैरो (अस्थिमज्जा) में रक्त कोशिकाओं का निर्माण होता रहता है। रक्तदान कर अपने रक्त की मुफ्त जांच का लाभ भी मिल जाता है। 
रक्त से आपका जीवन चलता है पर इसके दान से कितने ही जीवन बचाए जा सकते हैं। रक्तदान को लेकर आज भी लोग भ्रम के शिकार हैं। कुछ  लोग आज भी मानते हैं कि रक्तदान से शरीर में कमज़ोरी आती है। इसी भ्रान्ति  का नतीजा है कि लोग अपने मां, बाप, भाई और बहन तक के लिए रक्त देने से आना कानी हैं। वे ब्लड बैंकों के चक्कर काटते हैं और पैसे से रक्त की व्यवस्था करना चाहते हैं। वे भूल जाते हैं कि ब्लड बैंकों में भी रक्त तभी उपलब्ध हो पाता है जब लोग स्वेच्छा से रक्तदान करें। आम तौर पर ब्लड बैंक ज़रूरतमंदों को उनकी ज़रूरत वाले रक्त समूह का रक्त बदले में ही दे पाते हैं। रक्त मानव शरीर का एक प्रकार का तरल पदार्थ है एजो शरीर का कोशिकाओं को अवाश्यक पोषक तत्व और प्राणवायु पहुचाने का कार्य करता है और कोशिकाओं से खराब खराब पदार्थ को निकालने का कार्य करता है। रक्त की कमी के कारण देश भर में हर वर्ष हज़ारों लोगों की मृत्यु हो जाती है। हर दो सेकेंड में किसी ना किसी को रक्त की ज़रूरत होती। एक नियमित रक्तदाता,  तीन महीने बाद ही अगला रक्तदान कर सकता है। उन्हें आयरन, विटामिन बी व सी युक्त आहार करना चाहिए। इसके लिए उन्हें नियमित आहार में पालक, संतरे का जूस, फलियां व डेयरी उत्पाद आहार में लेने चाहिए। रक्तदान से दो-तीन घंटे पहले पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं व भरपेट भोजन करें। इससे खून में शुगर की मात्रा स्थिर रहती है। 
यह हम सबकी  ज़िम्मेदारी और कर्त्तव्य है कि अपने जीवन को सार्थकता प्रदान करें। रक्तदान के यज्ञ में अपनी आहुति देकर लाखों लोगों का  जीवन बचाएं, क्योंकि रक्तदान तो जीवन दान है। इससे बड़ा पुण्य का कोई काम नहीं है। हमारे देश में अनादि काल से मानव जीवन बचाने का कार्य चल रहा है। भारतवासी यह मानते है की किसी का जीवन बचाने से बड़ा कोई धर्म नहीं है। अपने पूर्वजों द्वारा बताएं मार्ग पर चल कर जीवन बचाने के इस महा यज्ञ में अपनी भागीदारी देनी चाहिए।
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