राहुल के आरोप : विदेशी धरती पुराने बोल
हमारे देश की सियासत गजब की है। देश में जहां प्रियंका गांधी की स्वीकार्यता बढ़ने की चर्चा हो रही है, वहीं भाई राहुल गांधी विदेशी धरती पर अपने विवादग्रस्त बयानों से घिरते नज़र आ रहे है। खैर आज चर्चा हो रही है राहुल गांधी की गतिविधियों की। कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी एक बार फिर अपने विदेश दौरों पर दिए गए बयानों के कारण विवादों में हैं। राहुल गांधी अपनी नई विदेश यात्रा में भी अपने पुराने बोल को बरकरार रखे हुए हैं।
राहुल विदेश दौरे पर जर्मनी में हैं जहां से उन्होंने अपनी पुरानी परिपाटी को कायम रखते हुए एक बार फिर देश की संवैधानिक संस्थाओं पर भाजपा के कब्जे का आरोप लगाया है। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि देश के संस्थागत ढांचों पर भाजपा का कब्जा हो चुका है और जांच एजेंसियों का राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। ईडी-सीबीआई जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। राहुल ने चुनाव प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए और ‘इंडिया गठबंधन’ की एकजुटता पर बात की।
इस पर पलटवार करते हुए भाजपा ने कहा कि भारत की संस्थाओं को बदनाम करना और भारतीय संस्कृति व सनातन के खिलाफ बोलना राहुल गांधी की आदत बन चुकी है। ऐसा लगता है कि राहुल गांधी ने विदेशी आकाओं से भारत, भारतीय संस्कृति और सम्मान के खिलाफ बोलने की सुपारी ले रखी है।
कांग्रेसी नेता राहुल गांधी एक बार फिर अपने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बहाने देश के लोकतंत्र और संवैधानिक संस्थाओं पर हमला बोलते तनिक भी नहीं हिचकिचाएं। उन्होंने पूर्व की भांति अपनी जर्मनी यात्रा में मोदी पर ताबड़-तोड़ हमला करते हुए विदेशी धरती पर विवादस्पद बयानबाज़ी कर देश को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। मगर वे यह भूल गए देश की जनता ने नेहरू, इंदिरा और राजीव गांधी की भांति मोदी को भी बहुमत के साथ देश का ताज पहनाया है। गौरतलब है राहुल ने देश की संवैधानिक संस्थाओं यथा चुनाव आयोग, न्यायालय और प्रेस पर भी समय-समय पर हमला बोला है।
राहुल हमेशा मोहब्बत की बात करते है मगर मोदी और आरएसएस के बारे में अपनी नफरत छुपा नहीं पाते। हालांकि वे कहते है मैं मोदी से नफरत नहीं करता। मगर विदेशी धरती पर जाकर मोदी और संवैधानिक संस्थाओं पर बेसिरपैर के आरोप लगाना देशवासियों के गले नहीं उतरता। राहुल के बयानों पर भाजपा आग बबूला हो रही है वहां इंडिया गठबंधन की सहयोगी पार्टियां राहुल के बयानों का समर्थन कर अपनी एकजुटता प्रदर्शित कर रही है।
राहुल देश की अर्थव्यवस्था और रोज़गार पर अपनी बात कहे और इन मुद्दों पर मोदी और सरकार की जमकर आलोचना करें यह समझ में आने वाली है मगर देश के बाहर जाकर संवैधानिक संस्थाओं पर हमला कर क्या हासिल करना चाहते है, यह समझ से परे है।
कांग्रेस पार्टी के लोकसभा में 52 से 99 पर पहुंचने के बाद जो गंभीरता पार्टी में आनी चाहिए थी वह कमोवेश देखने को नहीं मिली है। नेता विपक्ष बनने के बाद राहुल गांधी के गुस्से में बढ़ोतरी देखी जा रही है। राहुल गांधी को बहुत गुस्सा आता है जब लोग उन्हें तरह-तरह की उपमाओं से नवाजते है। राहुल कई बार यात्राएं निकालकर लोगों के बीच गए। हर तबके के लोगों से मिले। उनका प्यार भी उन्हें मिला। राहुल गांधी की एक दशक की राजनीतिक यात्रा पर दृष्टिपात करें तो पाएंगे कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने मोदी पर तरह-तरह के आरोप लगाए।
इससे पूर्व जब दुनिया भर के दिग्गज नेता दिल्ली में आयोजित जी-20 में शामिल होकर जहां भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ग्लोबल लीडर के रूप में खुलकर सराहना कर रहे थे तो वहीं कांग्रेस के नेता राहुल गांधी विदेशी धरती पर जाकर देश और मोदी के खिलाफ जहर उगल रहे थे। यह वह वक्त था जब पूरी दुनिया की नज़र भारत पर थी। ऐसे समय में भी राहुल गांधी भारत को कोसने से बाज नहीं आये। गौरतलब है राहुल ने देश की संवैधानिक संस्थाओं यथा चुनाव आयोग, न्यायालय और प्रेस पर भी समय-समय पर हमला बोला है।



