बाल गीत-सूरज

रोज़ शाम छिप जाता सूरज।
सुबह लौट कर आता सूरज।
रात सुलाता सुबह जगाता।
अज़ब खेल दिखलाता सूरज।
सर्दी में अति प्यारा लगता।
गर्मी में झुलसाता सूरज।
कपड़े जब मम्मी धोती हैं।
उनको रोज़ सुखाता सूरज।
खेतों में खलिहानों में भी।
फसलें सभी उगाता सूरज।
सच पूछो तो हर प्राणी के।
काम बहुत है आता सूरज। 

-महेन्द्र जैन