चुनाव क्षेत्र में ‘आप’ की स्थिति रही मज़बूत
अनेक चुनौतियों से जूझता रहा पंजाब
प्रत्येक बीतने वाला वर्ष बहुत सारी खट्टी-मिट्ठी घटनाएं और यादें हमें देकर ऱुख्सत हो जाता है। इसी क्रम में साल 2025 भी खत्म होने वाला है। इस मौके पर स्वाभाविक रूप से सभी के मन में यह सवाल आता है कि ज़रा इस वर्ष के घटनाक्रम पर नज़र डाल कर देखें कि यह वर्ष पंजाब और पंजाबियों के लिए किस तरह का रहा है?
जब इस सवाल को ज़ेहन में रखकर इस साल के घटनाक्रम को देखा जाए तो यह बात उभर कर सामने आती है कि इससे पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी पंजाब और पंजाबियों को अलग-अलग तरह की अणगिणत चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इन चुनौतियों में गैंगस्टरों, नशीले पदार्थों की तस्करी, अमन कानून की स्थिति, गम्भीर कृषि संकट और रोटी-रोज़ी की तलाश में पंजाबी नौजवानों का जायज़-नाजायज़ ढंग के साथ विदेशों को हो रहा पलायन आदि शामिल हैं।
पंजाब किसी समय भारत का सबसे खुशहाल राज्य माना जाता था पन्तु पिछले कुछ वर्षों से कृषि संकट के कारण और राज्य में ज्यादातर उद्योगों के न लगने के कारण नौजवानों के लिए रोज़गार के मौके लगातार घटते गये हैं। अब सरकार औद्योगिक क्षेत्र में पूंजी निवेश बढ़ाने के लिए यत्नशील है। बेरोज़गारी के कारण बड़े स्तर पर ज़ायज-नाजायज़ ढंग से पंजाब से नौजवान विदेशों को जा रहे हैं। अब विदेशों में भी वहां के स्थानीय कारणों के दृष्टिगत पंजाब के नौजवानों के लिए रोज़गार की संभावनाएं कम होती जा रही हैं। अमरीका, कनाडा, आस्ट्रेलिया और ब्रिटेन आदि देशों द्वारा अपने इमीग्रेशन संबंधी कानून सख्त किए जा रहे हैं। शिक्षा प्राप्त करने के नाम पर विदेश जाने वाले नौजवानों को भी सख्त किए गये इन कानूनों के कारण बहुत सारी मुश्किलें आ रही हैं। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने तो अमरीका में नाजायज़ तरीके से गये भारत सहित अन्य देशों के लोगों के जहाज़ भर-भर कर वापिस भेजे हैं। 6 फरवरी को एक ऐसा ही जहाज़ वापिस भेजे गये नौजवानों को लेकर अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरा और यह भी समाचार आए कि अमरीका का यह जहाज़ मालवाहक था और नौजवानों को हथकड़ियां लगाकर और ज़मीन पर बिठाकर वापिस लाया गया था। इसमें कई अन्य प्रदेशों के साथ-साथ पंजाब के नौजवान भी ज्यादा गिनती में शामिल थे जिससे पंजाब के लोगों की भावनाओं को गहरी ठेस पहुंची।
कृषि से संबंधित अपनी मांगों को लेकर किसान इस वर्ष भी संघर्ष करते नज़र आए। संयुक्त किसान मोर्चा के एक संगठन द्वारा फसलों के लाभकारी भाव लेने और अन्य किसानी मांगें मनवाने के लिए दिल्ली जाने का निमंत्रण दिया गया था, परन्तु हरियाणा और केन्द्र सरकार ने मिलकर किसानों को आगे न जाने दिया और किसान शंभू और खनौरी बार्डरों पर धरना देने के लिए बैठ गये। इससे पंजाब से दिल्ली की तरफ आने-जाने वाले लोगों को एक वर्ष तक बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। पंजाब सरकार ने पुलिस कार्रवाई करके शंभू और खनौरी बार्डरों से किसानों के धरने उठवा दिए। किसान संगठनों द्वारा आरोप लगाया गया कि पुलिस ने उनके साथ बहुत धक्कामुक्की की और उनका सामान भी चोरी कर लिया गया। इसी दौरान किसान संगठनों और केन्द्रीय मंत्रियों के बीच किसानी मांगों के लिए चंडीगढ़ में कई बैठकें हुईं, परन्तु इनका भी कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका।
अगस्त-सितम्बर के माह में पंजाब में भयानक बाढ़ आई, जिसमें 50 के लगभग लोग मारे गये। गुरदासपुर, अमृतसर, कपूरथला, पठानकोट, होशियारपुर, फाज़िल्का और तरनतारन के ज़िले विशेष तौर पर प्रभावित हुए। इस बाढ़ से 30 हज़ार घरों को नुकसान पहुंचा। 4.5 लाख एकड़ क्षेत्र में फसलें बर्बाद हो गईं। इसके अलावा सड़कों और अन्य बुनियादी ढांचे का भी भारी नुकसान हुआ। राज्य सरकार ने इस नुकसान का अंदाज़ा 13 हज़ार 500 करोड़ लगाया था। इस नुकसान का ज़ायजा लेने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य का दौरा किया और बाढ़ राहत के लिए 1600 करोड़ का पैकेज पंजाब को देने का ऐलान भी किया। इस संबंधी राज्य सरकार का आरोप यह है कि केन्द्र द्वारा यह राशि पंजाब को आज तक नहीं दी गई। दूसरी तरफ केन्द्र सरकार का पक्ष यह है कि अलग-अलग योजनाओं के अधीन इस में से 800 करोड़ की राशि पंजाब को दे दी गई है परन्तु पंजाब सरकार इसका लगातार खंडन करती आ रही है।
यह सारा वर्ष पंजाब को गैंगस्टरों, नशीले पदार्थों, हथियारों के तस्करों और पाकिस्तानी शह पर राज्य को अस्थिर करने वाली शक्तियों की कार्रवाइयों का भी निरंतर सामना करना पड़ा। पंजाब पुलिस के डी.जी.पी. गौरव यादव ने दावा किया है कि इस वर्ष दौरान पंजाब पुलिस सख्त मेहनत करके राज्य में अमन कानून की स्थिति को काफी हद तक बनाए रखने में सफल रही है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आई.एस.आई. की शह प्राप्त तत्वों के विरुद्ध कार्रवाई करके 12 आतंकी घटनाओं को आगामी तौर पर असफल बनाना गया है। ऐसे 50 तत्वों को गिरफ्तार किया गया है, जिनसे भारी मात्रा में ग्रेनेड और अन्य हथियार पकड़े गये हैं। नशे के विरुद्ध पंजाब पुलिस द्वारा पिछले तीन वर्षों से चलाई गई मुहिम ‘युद्ध नशों विरुद्ध’ का पिछले दिनों ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में अब तक 41881 नशा तस्करों को पकड़ा गया है। उनसे 2021 किलो हैरोइन, 698 किलो अफीम, 26 किलो आईस और 55.78 लाख नशीली गोलियां पकड़ी गई हैं। 508 तस्करों से 283 करोड़ की नकदी भी पकड़ी गई है। उन्होंने दावा किया कि नशीले पदार्थों के तस्करों के विरुद्ध दर्ज किये गये केसों में 88 प्रतिशत आरोपियों को सज़ाएं भी हुई हैं।
परन्तु गैंगस्टरों, नशा तस्करों और अन्य अपराधियों के विरुद्ध पंजाब सरकार द्वारा चलाई गई मुहिम की कुछ क्षेत्रों द्वारा इस पक्ष से आलोचना भी हुई है कि पुलिस आरोपियों को पकड़ कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के स्थान पर उनके घर गिरा कर या फज़र्ी पुलिस मुकाबले बनाकर उनके साथ निपटने की कोशिश कर रही है। इस वर्ष पुलिस कुछ गलत तरह की कार्रवाइयां करके भी चर्चा में रही। पटियाला में कर्नल बाठ और उसके पुत्र के साथ एक ढाबे के बाहर पार्किंग को लेकर पैदा हुए विवाद से पुलिस के कुछ अधिकारियों द्वारा उन पर हमला किया गया जिसका मामला हाईकोर्ट में पहुंचा और अब इस केस में सी.बी.आई. द्वारा 4 पुलिस अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। इसके साथ ही एक डी.आई.जी. पर सी.बी.आई. द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप में मारे गये छापे के दौरान उसके घर और बैंक लॉकरों में से 7.5 करोड़ रुपये नकद, सोने के गहने और अन्य कीमती सामान बरामद हुआ। इसके कारण भी पुलिस की छवि को भारी नुकसान पहुंचा।
इस वर्ष पंजाब विजीलैंस ब्यूरो द्वारा प्रसिद्ध अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ आय से अधिक जायदाद बनाने के आरोप में केस दर्ज करके उनको गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने अलग-अलग अदालतों में ज़मानत करवाने के यत्न किए परन्तु सफलता न मिल सकी। बिक्रम सिंह मजीठिया और अकाली दल का आरोप है कि उनके खिलाफ बदला लेने की भावना के साथ कार्रवाई की जा रही है। सरकार का पक्ष यह है कि उन्होंने नशा तस्करी और जायज़-नाजायज़ ढंग से अधिक जायदाद बनाई है। इस कारण उनके खिलाफ विजीलैंस विभाग कार्रवाई कर रही है।
यदि पंजाब के राजनीतिक घटनाक्रम को देखा जाए तो यह बात उभर कर सामने आती है कि इस वर्ष सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी अपना राजनीतिक दबदबा बनाए रखने में सफल रही है। इस वर्ष पंजाब में 2 विधानसभा क्षेत्रों लुधियाना पश्चिमी और तरनतारन से उप-चुनाव हुए और एक राज्यसभा की सीट के लिए चुनाव हुआ। यह तीनों सीटें जीतने में आम आदमी पार्टी सफल रही है। लुधियाना पश्चिमी की सीट से पूर्व राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा 10637 वोटों के फर्क से अपने विरोधी कांग्रेसी नेता भारत भूषण आशू को हराने में सफल रहे। भाजपा और शिरोमणि अकाली दल आदि पार्टियां इस सीट पर कोई ज्यादा मत प्राप्त नहीं कर सकीं। इसी तरह तरनतारन के उप-चुनाव में भी आम आदमी पार्टी के नेता हरमीत सिंह संधू 12000 से अधिक वोट के फर्क से शिरोमणि अकाली दल (बादल) की उम्मीदवार सुखविन्दर कौर को हरा कर विजयी रहे। यहां अकाली दल दूसरे नम्बर पर रहा। कांग्रेस आपसी फूट और नेताओं के वाद-विवाद वाले बयानों के कारण तीसरे नम्बर पर खिसक गई। राज्य से इस वर्ष राज्यसभा की एक ही सीट के चुनाव में आम आदमी पार्टी के प्रतिनिधि और प्रसिद्ध उद्योगपति रजिन्द्र गुप्ता निर्विरोध राज्यसभा के सदस्य बन गये। राज्यसभा की यह सीट संजीव गुप्ता द्वारा लुधियाना से विधानसभा उपचुनाव जीतने के कारण खाली हुई थी। इसी वर्ष पंचायत समितियों और ज़िला परिषदों के चुनाव भी हुए। इन चुनावों में से 70 प्रतिशत सीटें सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी जीतने में कामयाब हुई है। कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल इन चुनावों में सभी दावों के बावजूद कोई ज्यादा बेहतर कारगुजारी नहीं दिखा सकीं। पंचायत समिति की ‘आप’ ने 1531, कांग्रेस ने 612, अकाली दल ने 445, भाजपा ने 73, बसपा ने 28 और आज़ाद ने 144 सीटें जीतीं। ज़िला परिषद के चुनावों में ‘आप’ ने 218, कांग्रेस ने 62, अकाली दल ने 46, भाजपा ने 7, बसपा ने 3 और आज़ाद ने 10 सीटें जीतीं। इस तरह ग्रामीण क्षेत्रों में यह चुनाव जीत कर ‘आप’ ने 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए अपनी दावेदारी मज़बूत कर ली है। वैसे सभी विपक्षी पार्टियों द्वारा पंचायत समिति और ज़िला परिषद चुनावों में सत्तारूढ़ पार्टी और पुलिस तथा सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के आरोप भी लगाये गये।
इस वर्ष आम आदमी पार्टी की सरकार अपने कई फैसलों के कारण वाद-विवाद में भी फंसी रही। इसके द्वारा शहरों के विकास और ज़रूरतमंदों को घर उपलब्ध करने के नाम पर 124 गांवों की 65,553 एकड़ ज़मीन एकवायर करने का फैसला किया गया था। किसानों और लोगों के विरोध के कारण सरकार को यह फैसला वापिस लेना पड़ा।
इस वर्ष पंजाब की कुछ अहम शख्सियतों का देहांत हो गया जिनमें मैराथन दौड़ के धावक फौजा सिंह भी शामिल हैं जिनकी 114 वर्ष की आयु में एक हादसे का शिकार होने से मृत्यु हो गई। प्रसिद्ध अकाली नेता स. सुखदेव सिंह ढींडसा का भी इसी वर्ष 89 वर्ष की आयु में देहांत हो गया। पंजाब के प्रसिद्ध हास्य कलाकार जसविन्दर सिंह भल्ला का भी 65 वर्ष की आयु में देहांत हो गया। प्रमुख कलाकार और गायक राजवीर जवंदा (35) अक्तूबर में हिमाचल में हुए एक हादसे का शिकार होकर चल बसे। उनकी मौत से पंजाब और पंजाबियों को गहरा धक्का लगा।

