गज़ल--दरिया पार कैसे हो टूटी पतवार के सहारे

दरिया पार कैसे हो टूटी पतवार के सहारे
दिन गुजर ही रहे हैं इक इतवार के सहारे 

दाना-पानी में ही मुल्क मगन है यारो 
काट रहा है जिंदगी सरकार  के सहारे 

मल्लाह के पास तो बल्लियां ही नहीं,
लगा लेगा नाव पार राम दरबार के सहारे 

मत दीजियेगा मत, अपना फर्क नहीं है 
सरकारें चल रही हैं अखबार के सहारे 

मुझसे दिल न लगाया करो ‘प्रभात’
एतबार उठ चुका है एतबार के सहारे

-राजकुमार बघेल प्रभात 
-श्री गणेश इंटर कॉलेज कासगंज
 -जनपद कासगंज, उत्तर प्रदेश पिन .207123
-मो-739895 3335