सम्पूर्ण ब्रह्मांड को अपनाने का आह्वान 

ब्रह्मांड का विशाल और अनंत विस्तार सदियों से मानवता को आकर्षित करता आया है। जबसे हमने पहली बार तारों की ओर देखा, तब से लेकर आज तक अंतरिक्ष अन्वेषण में हमने जो अद्भुत प्रगति की है, वह हमारी जिज्ञासा और सीमाओं को आगे बढ़ाने की दृढ़ इच्छा-शक्ति का परिणाम है। हाल के दशकों में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अथक प्रयासों के कारण भारत अंतरिक्ष विज्ञान में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरा है।इस राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस पर, इसरो की उन उपलब्धियों पर विचार करना आवश्यक है, जो न केवल नवाचार की भावना को दर्शाती हैं, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की क्षमता का प्रमाण भी हैं।
इसरो की यात्रा :
 विनम्र शुरुआत से लेकर वैश्विक नेतृत्व तक
इसरो की कहानी महत्त्वाकांक्षा, दृढ़ता और प्रतिभा की कहानी है। 1969 में डा. विक्रम साराभाई द्वारा स्थापित इसरो ने भारत के राष्ट्रीय विकास और चुनौतियों का समाधान करने के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करने का लक्ष्य रखा। इसरो की पहली बड़ी उपलब्धियों में से एक 1975 में भारत के पहले उपग्रह, आर्य भट्ट का प्रक्षेपण था।
भले ही आज की तुलना में यह उपग्रह साधारण था, लेकिन आर्य भट्ट ने भारत के अतंरिक्ष में प्रवेश की नींव रखी। इसरो ने अपनी क्षमताओं को विस्तार और परिष्कृत किया, और अंतत: उन प्रमुख उपलब्धियों को हासिल किया जिन्होंने भारत को वैश्विक अंतरिक्ष मानचित्र पर स्थापित कर दिया।
इसरो की प्रमुख उपलब्धियां
1. चंद्रयान मिशन : भारत का चन्द्र अन्वेषण
चंद्रयान मिशन भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण की दृढ़ता और हमारे आसमानी पड़ोसियों को समझने की इच्छा का प्रतीक है। 2008 में लान्च हुए चंद्रयान-1 ने चंद्रमा की सतह पर पानी के अणुओं की उपस्थिति की खोज की—एक उपलब्धि जिसने चंद्र विज्ञान को क्रांतिकारी रूप से बदल दिया। चंद्रयान-3 की सफलता के साथ, इसरो ने चंद्र अन्वेषण में अपनी जगह मजबूत की है और राष्ट्र को सितारों तक पहुंचने की प्रेरणा दी है।
2. मंगलयान—भारत का मंगल, ऑर्बिटर मिशन
2014 में भारत ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की जब वह पहली ही कोशिश में मंगल ग्रह तक पहुंचने वाला पहला देश बना। मंगलयान मिशन ने भारत को अन्तरग्रहीय अन्वेषण में प्रमुख देशों की सूची में शामिल किया। इस मिशन ने न केवल मंगल की शानदार तस्वीरें लीं, बल्कि यह भी दिखाया कि भारत कम लागत पर भी अंतरिक्षण अन्वेषण में अग्रणी हो सकता है।
3. पी.एस.एल.वी. : इसरो का यान
इसरो की सबसे उल्लेखनीय उपलब्धियों में से एक ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पी.एस.एल.वी.) का विकास है। 2017 में इसरो ने पी.एस.एल.वी.-सी. 37 के साथ एक ही मिशन में 104 उपग्रहों का प्रक्षेपण करके विश्व रिकार्ड बनाया। पी.एस.एल.वी. की सफलता ने इसरो को घरेलू और अन्तर्राष्ट्रीय दोनों ग्राहकों के लिए एक विश्वसनीय प्रक्षेपण सेवा प्रदाता के रूप में स्थापित किया।
4. गगनयान : भारत का मानव अंतरिक्ष यान 
इसरो का भविष्य गगनयान मिशन से जुड़ा है, जो भारत का पहला मानव अंतरिक्ष यान कार्यक्रम है। इस मिशन का उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजना है, और यह भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण में एक महत्त्वपूर्ण कदम होगा।
5. अंतरिक्ष अनुप्रयोग : भारत को सशक्त बनाना
अंतरिक्ष अन्वेषण से परे, इसरो ने संचार, कृषि, आपदा प्रबन्धन और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसी चुनौतियों का समाधान करने के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग किया है। इन्सैट और आई.आर.एन.एस.एस. जैसी प्रणालियां भारत के संचार और नेविगेशन ढांचे को सुदृढ़ कर रही हैं।
एक खगोल विज्ञानी के रूप में, अंतरिक्ष विज्ञान में बेहद विशाल सम्भावनाएं हैं। इसरो की उपलब्धियां भारत को अंतरिक्ष अन्वेषण में अग्रणी बनाती हैं, लेकिन भविष्य उन युवा दिमागों का है जो इस विरासत को आगे बढ़ाएंगे। भारत के युवाओं को अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में करियर बनाने हेतु आगे आना चाहिए। ब्रह्मांड विशाल है, और अभी बहुत कुछ खोजा जाना बाकी है। अंतरिक्ष अन्वेषण केवल नई सीमाओं को पार करने के बारे में नहीं है, बल्कि यह मानव ज्ञान और क्षमताओं की सीमाओं को आगे बढ़ाने के बारे में भी है। राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस पर, इसरो की अद्वितीय उपलब्धियों का जश्न मनाया जाना बनता है। उन दूरदर्शी लोगों को सम्मानित किया जाना चाहिए जिन्होंने यह सम्भव बनाया है। ब्रह्मांड हमारा इंतजार कर रहा है। क्या हम इसे अपनाने के लिए तैयार हैं?
एस.एल.आई.ई.टी. लौंगोवाल में निदेशक पद पर प्रोफैसर मणिकांत पासवान के मार्गदर्शन में विगात 17 अगस्त को भारतीय अंतरिक्ष दिवस मनाया है। 


(लेखक पिछले 25 से अधिक वर्षों से एस.एल.आई.ई.टी. में एक खगोल शास्त्री के रूप में सेवा-रत हैं।)