विभिन्नता एवं कृषि आय बढ़ाने के लिए सब्ज़ियों की काश्त करें

सर्दियों की सब्ज़ियों की बिजाई के लिए यह उचित समय है। गाजर, मूली, शलगम, पालक, मेथी, ब्रोकली, चीनी सरसों, बंदगोभी, लहसुन आदि सब्ज़ियो की सितम्बर-अक्तूबर के दौरान बिजाई की जा सकती है। आलू, प्याज़, बैंगन, टमाटर अक्तूबर से नवम्बर तक किसी भी समय लगाए जा सकते हैं। धनिया, लैटस सितम्बर से नवम्बर तक किसी भी समय बीजे जा सकते हैं। आई.सी.ए.आर.-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने कुछ ऐसी ‘स्पैशलिटी’ किस्में विकसित की हैं जिनकी बिजाई करने से किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं। इनमें से पूसा चैरी टमाटर-1 ग्रीन हाऊस पर्यावरण तथा सुरक्षित बिजाई के लिए अनुकूल किस्म है। इस किस्म के टमाटर लगाने के बाद 70-75 दिनों में तैयार हो जाते हैं और इसका फल 9-10 महीने तक लिया जा सकता है। उत्पादन 8 से 10 टन प्रति वर्ग 1000 मीटर है। इसकी नर्सरी आजकल सितम्बर में ही तैयार की जाती है। सीडलैस पूसा खीरा-6 किस्म, जिसका गहरा हरा रंग तथा स्वादिष्ट होने के कारण उपभोक्तओं की पसंदीदा किस्म बन गई है, अगेती लगाई जा सकती है। इसका फल नवम्बर से मार्च तक मिलता है जबकि सर्दी के कारण खीरे की मंडी में आमद बहुत कम हो जाती है। इस किस्म को पॉली हाऊस में लगाया जा सकता है। मूली पूसा मरीदुला छोटे आकार वाली तथा लाल रंग वाली किस्म है। इसकी बिजाई सितम्बर से लेकर मध्य नबम्बर तक हो सकती है। यह 28 से 32 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। वैसे मूली आजकल प्रत्येक मौसम में ही लगाई जा रही है। हरा प्याज़ पूसा सउमिया की बिजाई रबी के प्याज़ की भांति अक्तूबर के अंत तथा नबम्बर में की जाती है। वैसे यह किस्म पूरा वर्ष ही लगाई जा सकती है। करेला-पूसा रसदार काफी अगेती किस्म है और सुरक्षित काश्त के लिए है। इसका फल पूरा वर्ष  लिया जा सकता है। इसमें नर तथा मादा पौधे दोनों ही फल देते हैं। फल पक कर 40 से 45 दिन में तैयार हो जाता है। 
पीएयू ने भी शीत ऋतु की सभी सब्ज़ियों की किस्में विकसित की हैं, परन्तु आई.सी.ए.आर.-आई.ए.आर.आई. (पूसा) ने पंजाब में बिजाई के लिए बैंगन की किस्म पूसा शियामला, पूसा पर्पल कलस्टर, पूसा उत्तम, डी.बी.एल. 02, डी.बी.एच.एल.-20 विकसित की हैं। इसके अतिरिक्त घीया की पूसा हाइब्रिड-3 किस्म तथा पेठे की पूसा उज्ज्वल, पूसा शरियाली तथा गोभी की पूसा मेघना, पूसा शरद, पूसा कार्तिक शंकर तथा पूसा हाइब्रिड-2 किस्में रिलीज़ की हैं। बंदगोभी की पूसा मुक्ता तथा गोल्डन एक्रे किस्में रिलीज़ की हैं। प्याज़ की आम इस्तेमाल की जा रही किस्म पूसा रैड तथा सिलैक्शन 126 किस्में भी आई.सी.ए.आर.-आई.ए.आर.आई. ने ही विकसित की हैं। मूली की लोकप्रिय पूसा चेतकी किस्म भी इसी संस्थान द्वारा किसानों को दी गई है। शलगम की पूसा चन्द्रमा तथा पूसा स्वर्णिमा किस्में भी इसी संस्थान ने विकसित करके रिलीज़ की हैं। सरसों साग की पूसा-1 किस्म तथा भिंडी की ए-4 किस्म भी इसी संस्थान ने विकसित की हैं। 
उपभोक्ताओं को अपनी रसोई बगीची तथा किसानों को अपने ट्यूबवैलों तथा घर की खपत के लिए सब्ज़ियां लगानी चाहिएं। इससे उन्हें मंडी से महंगी सब्ज़ियां खरीदने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। सब्ज़ियों की खपत प्रत्येक इन्सान के लिए ज़रूरी है। बागवानी के विशेषज्ञ एवं बागवानी विभाग से सेवामुक्त डिप्टी डायरैक्टर डा. स्वर्ण सिंह मान कहते हैं कि सब्ज़ियों से फल लेने के लिए उपभोक्ताओं तथा किसानों को एक मरला रकबे में बिजाई से पहले 400 किलोग्राम गली-सड़ी रूड़ी की खाद या 100 किलोग्राम वर्मी कम्पोस्ट डाल कर मिश्रण बना लेना चाहिए। सब्ज़ियों के बीज विश्वसनीय संस्थान से लेने चाहिएं। बागवानी विभा, पीएयू तथा पूसा आई.ए.आर.आई. भी उपभोक्ताओं को सब्ज़ियों की किस्में उपलब्ध करवाते हैं। प्रत्येक सब्ज़ी प्रत्यक्ष रूप में बीज बीजने से नहीं होती। बहुत-सी सब्ज़ियों की पौध लगानी पड़ती है। अच्छी गुणवत्ता वाली सब्ज़ियों की पौध सैंटर ऑफ एक्सेलैंस (सब्ज़ियां) करतारपुर से प्राप्त की जा सकती हैं। डा. मान सलाह देते हैं कि गाजर, मूली, शलगम, धनिया, पालक, मेथी आदि खाने के लिए लगातार प्राप्त करने के लिए 15-15 दिन के अंतराल से बिजाई करना चाहिए। कम ऊंचाई वाली सब्ज़ियों की आगे तथा ऊंची जाने वाली सब्ज़ियों की पीछे बिजाई करनी चाहिए, ताकि सब को समान धूप मिल सके। घरेलू बगीची घर के आगे होनी चाहिए। सब्ज़ियों को अधिक पानी की ज़रूरत नहीं होती, क्योंकि इससे बीमारियां तथा कीड़े अधिक आते हैं। फिर पौध मर भी जाती है। इसलिए थोड़ी-थोड़ी सिंचाई ही करना चाहिए जिससे नमी बनी रहे।  सब्ज़ियां किसानों की आय बढ़ाने तथा फसली-विभिन्नता लाने में अहम भूमिका अदा करती हैं। सब्ज़ियां रोज़गार का भी बड़ा साधन हैं।