गम्भीर हो सकती है धान के भंडारण की समस्या

पंजाब सरकार की त्रुटिपूर्ण नीतियों और गलत फैसलों के कारण देश को खाद्यान्न के धरातल पर आत्म-निर्भर बनाने वाले पंजाब के चावल मिल-मालिक, आढ़ती और किसान निकट भविष्य में एक और गम्भीर समस्या से घिरने वाले हैं। पंजाब में धान की बुआई का रकबा दिनो-दिन बढ़ते जाने से बेशक प्रदेश भूमिगत पानी के संकट को दरपेश हुआ हो, किन्तु पंजाब के किसानों ने इस बीच इतना धान पैदा कर दिया कि पूरे देश की एक बड़ी आबादी को उपलब्ध कराया जा सकता है, किन्तु धान उत्पादन की यही अधिकता आज प्रदेश के किसान वर्ग, शैलर-मालिकों एवं मंडियों में आढ़तियों आदि के लिए परेशानी का सबब बनने लगी है।  इसके साथ ही प्रदेश भर के लाखों श्रमिकों एवं मज़दूरों की रोटी-रोज़ी की उपलब्धता की एक नई समस्या पैदा हो जाने की भी प्रबल आशंका बन गई दिखाई देने लगी है। 
पंजाब में धान की कटाई और छंटाई का मौसम अक्तूबर मास से शुरू हो जाता है। बहुत स्वाभाविक है कि इस दौरान प्रदेश में मौसम सुखद एवं सम्भावना-पूर्ण रहने से धान की फसल का रिकार्ड उत्पादन होने की बड़ी उम्मीद है। धान की फसल को चावल में परिवर्तित करने हेतु इस उत्पादन को मंडियों से सीधे चावल मिलों अर्थात शैलरों में भिजवाना होता है, किन्तु यहां समस्या यह है कि प्रदेश की प्राय: सभी चावल-मिलें  और उनके गोदाम पहले ही, पिछले वर्ष के बचे उत्पादन से आकण्ठ भरे पड़े हैं। ऐसे में, नये उत्पादन को यथाशीघ्र शैलर-मालिकों द्वारा न उठाये जाने पर प्रदेश की मंडियों में इसके रख-रखाव और सार-सम्भाल की बड़ी समस्या पैदा हो जाएगी। पंजाब शैलर-मालिक एसोसिएशन के प्रधान तरसेम सैनी के अनुसार मिल-भंडारों में अभी भी पिछले वर्ष के उत्पादन का लगभग 7 लाख टन चावल में पड़ा है, और प्रदेश सरकार द्वारा इसके उठान की व्यवस्था न किये जाने से शैलर मालिकों को 3000 करोड़ रुपये से अधिक रुपये नुक्सान भी सहन करना पड़ा है।
यहां समस्या यह भी है कि प्रदेश सरकार की केन्द्र सरकार और खासकर उसके खाद्य-आपूर्ति विभाग के साथ पता नहीं, कैसी खट-पट है कि प्रदेश से चावल के केन्द्रीय उठान की गति बहुत धीमी है। इसके अतिरिक्त केन्द्र सरकार द्वारा ़गैर-बासमती चावल की बाज़ार कीमत अधिक तय किये जाने से भी इसकी बिक्री में कमी आई है। इस बीच किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल और आढ़ती एसोसिएशन पंजाब के प्रधान विजय कालड़ा ने भी प्रदेश सरकार का ध्यान इस ओर दिलाया है।  इस दौरान कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इस वर्ष भी, विगत की भांति प्रदेश में 186 लाख मीट्रिक टन धान का उत्पादन होने की सम्भावना है जिससे लगभग 122 लाख मीट्रिक टन चावल उत्पादित हो सकेगा। आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान विजय कालड़ा ने भी इसी अन्दाज़ में प्रदेश की भगवंत मान सरकार को चेतावनी दी है कि यदि उसने केन्द्र सरकार के साथ वार्तालाप कर धान का भण्डार उठाये जाने की समस्या का कोई तत्काल समाधान न किया तो न शैलर मालिक मंडियों से धान उठाएंगे और न आढ़ती धान का मंडीकरण करवा सकेंगे। नि:संदेह इससे श्रमिक समस्या भी उत्पन्न होगी। मिल-मालिकों द्वारा धान न उठाये जाने से पंजाब के लाखों श्रमिकों का रोज़गार छिन जाने भी बड़ी आशंका उत्पन्न हो सकती है।
नि:संदेह, पंजाब सरकार की त्रुटिपूर्ण नीतियों के कारण प्रदेश में चावल मिल मालिक एसोसिएशन की ओर से सरकार को दिये गये ज्ञापन में वर्णित अन्य मांगें भी प्रदेश सरकार की सिरदर्दी को ही बढ़ाएंगी। उन्होंने मिलिंग शुल्क और गुप्त वसूली बंद किये जाने की मांग की है। बारदाने की उचित समय पर सप्लाई भी चावल के भण्डारण के लिए आवश्यक होती है। इसकी कमी की समस्या प्रत्येक वर्ष दरपेश आती है, परन्तु सरकारें हैं कि उनके कानों पर जूं तक नहीं रेंगती। हर वर्ष रख-रखाव को लेकर गेहूं तथा धान के मौसम में जितना अनाज नष्ट होता है, उतने से तो प्रदेश में मौजूदा व्यवस्था जितने और गोदाम बनाये जा सकते हैं, परन्तु किसी भी सरकार ने इस ओर कभी कोई पहल नहीं की। हम समझते हैं कि मौजूदा भगवंत मान सरकार को धान की खरीद पर छंटाई के लिए ठोस कदम उठाने चाहिएं, ताकि आने वाले खरीद मौसम में कोई मुश्किल पेश न आये।