जांच के दायरे में केरल सरकार के द़ागी पुलिस अधिकारी

तिरुवनंतपुरम: विपक्ष के सरकारी निष्क्रियता के आरोप और दुष्प्रचार की हवा निकालते हुए केरल के मुख्यमंत्री पिनाराईविजयन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पथनमथिट्टा के पूर्व ज़िला पुलिस प्रमुख पुलिस अधीक्षक सुजीत दास को जांच लंबित रहने तक सेवा से निलंबित कर दिया है। मुख्यमंत्री ने राज्य के पुलिस प्रमुख दरवेश साहिब के नेतृत्व में एक जांच टीम भी गठित की है जो कानून व्यवस्था के प्रभारी अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) एम.आर. अजीत कुमार के खिलाफ गंभीर आरोपों की जांच करेगी। यह कार्रवाई वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) समर्थित निर्दलीय विधायक पी.वी. अनवर द्वारा दास व अजीत कुमार के खिलाफ आरोप लगाये जाने के बाद की गयी है। अनवर ने दास पर हत्या, गिरफ्तारी के बाद गुमशुदगी, तस्करी के लिए सादी वर्दी में दस्तों का इस्तेमाल कर सोना जब्त करने और मलप्पुरम में डीपीसी के पद पर रहते हुए अपने सरकारी आवास से अवैध रूप से पेड़ों की कटाई करवाने समेत कई गंभीर गलत काम करने का आरोप लगाया है।
दास के अलावा अनवर ने अजीत कुमार के खिलाफ भी आपराधिकता और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाये हैं, जिनके खिलाफ भी जल्द ही कार्रवाई होने की संभावना है। दास के खिलाफ एक और आरोप यह है कि उन्होंने मलप्पुरम में अपने प्रति वफादार ज़िला एंटी-नारकोटिक्स स्पेशल एक्शन फोर्स के अधिकारियों के साथ मिलकर अपने अपराध के सुबूत मिटाने का काम किया। श्री अनवर ने दास के साथ अपनी बातचीत की मोबाइल फोन रिकॉर्डिंग भी जारी की है। पुलिस उप महानिरीक्षक एस. अजीता बेगम द्वारा दी गयी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के बाद दास को निलंबित कर दिया गया है। मोबाइल पर हुई बातचीत में दास ने मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव पी. शशि पर अजीत कुमार को खुली छूट देने का आरोप लगाया। उन्होंने कुमार के खिलाफ कठोर टिप्पणी भी की है, जिन पर शशि का पिटठू होने का आरोप है। दास ने बताया कि अधिकारी अपने रिश्तेदारों को व्यापार में मदद करने के लिए भाई-भतीजावाद में लिप्त थे। 
सरकार का यह काम करने का तरीका इस बात से स्पष्ट है कि कोट्टयम में केरल पुलिस एसोसिएशन के राज्य सम्मेलन में अजीत कुमार की मौजूदगी में मुख्यमंत्री ने पुलिस के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच की घोषणा की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर कोई सोचता है कि वह दंड से बचकर और अनुशासन की अवहेलना करके काम कर सकता है, तो इसका परिणाम भयानक होगा। पिनाराई ने कहा कि पुलिस बल को लोगों के अनुकूल बनाने के सरकार के प्रयासों को केवल कुछ अधिकारियों ने ही धूमिल किया है। उन्होंने कहा, ‘ये लोग पुलिस बल के लिए अपमान हैं और हमारे पास उनके लिए कोई जगह नहीं है।’ 
एलडीएफ समर्थित एक अन्य निर्दलीय विधायक के टी. जलील ने अनवर की राय से खुद को जोड़ा, जिन्होंने तब से मुख्यमंत्री और सीपीआई (एम) के राज्य सचिव एमवीगोविंदन दोनों से मुलाकात की है। जलील ने कहा कि कुछ आईपीएस अधिकारी आम लोगों की परेशानियों से दूर आलीशान जीवन जी रहे हैं। एक अन्य महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, केरल पुलिस अधिकारी संघ ने अनवर के बयान का समर्थन किया है। अनवर ने दो पुलिस अधिकारियों पर अपने आरोपों को आगे बढ़ाने के इरादे का संकेत दिया है। उन्होंने सरकार का ध्यान उत्तरी केरल में सादे कपड़ों में पुलिसकर्मियों द्वारा दास के खिलाफ लगाये गये सोने की तस्करी और अवैध पेड़ काटने के आरोपों के सबूतों को नष्ट करने के प्रयासों की ओर भी आकर्षित किया। संयोग से, दास आईपीएस में प्रवेश करने से पहले सीमा शुल्क में थे और केंद्रीय एजेंसी के साथ उनके ‘गहरे संपर्क’ थे। इस बीच एक अन्य महत्वपूर्ण घटनाक्रम में नये एलडीएफ संयोजक टी.पी. रामकृष्णन ने आधिकारिक तौर पर कहा है कि शशि के खिलाफ आरोप गंभीर थे और उनकी जांच की जायेगी। हालांकि रामकृष्णन ने अप्रत्यक्ष रूप से कहा, जो सही है कि अगर अनवर ने मीडिया के सामने इसे प्रसारित करने से पहले एलडीएफ के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की होती तो यह अच्छा होता। शशि पर आरोप है कि उन्होंने अजीत कुमार की कथित आपराधिक गतिविधियों को नजरअंदाज किया, जिसमें सोने की तस्करी में उनकी संलिप्तता भी शामिल है। आखिर में, अनवर ने शशि पर चेतावनियों और चेतावनी रिपोर्टों को नज़रअंदाज करने का आरोप लगाया, जिससे सरकार को कानून लागू करने वाले विभाग के शीर्ष पर बैठे लोगों के ‘गलत कामों’ के बारे में पता चल जाना चाहिए था। अनवर ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री को जो कुछ भी बताया था, वह गोविंदन को भी बता दिया गया था। शशि ने मुख्यमंत्री को अंधेरे में रखा। अनवर ने कहा कि मुख्यमंत्री ने उन लोगों पर भरोसा किया जिन्होंने उनका विश्वास तोड़ा, उन्होंने सरकार और पार्टी के साथ विश्वासघात किया।अंत मेंए यह सुरक्षित रूप से कहा जा सकता है कि अनवर ने पुलिस बल में असंतुष्टों और उनके अपराधों को बढ़ावा देने वाले राजनीतिक गॉडफादरों के काले कारनामों को उजागर करने में अच्छा काम किया है। मुख्यमंत्री ने भी सुजीत दास को निलंबित करने का आदेश देकर अच्छा काम किया है। अजीत कुमार के खिलाफ भी कार्रवाई करके मामले को तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचाया जाना चाहिए। अगर शशि के खिलाफ आरोप सही साबित होते हैं, तो मुख्यमंत्री के शक्तिशाली राजनीतिक सचिव को भी नहीं बख्शा जाना चाहिए, यह आम धारणा है। यह स्पष्ट है कि अनवर का यह बयान पुलिस में गलत तत्वों के खिलाफ महज एक व्यक्तिगत आक्रोश नहीं था। वह सीपीआई(एम) के भीतर एक बड़े वर्ग की राय को व्यक्त कर रहे थे। केरल पुलिस में पूरी तरह से सफाई अभियान के लिए मंच तैयार है। (संवाद)