गुणवत्ता तथा विश्वसनीयता का सुमेल थे रतन टाटा

देश के प्रसिद्ध कारोबारी रतन टाटा के निधन से सभी वर्गों में बड़ी शोक की लहर पैदा हुई है। नि:संदेह उन्होंने अपने जीवन काल में बड़ा नाम कमाया था। लोगों के मन में उनका प्यार इस कद्र गहरा था कि यह अहसास उनके जाने के बाद और भी अधिक हुआ है। नि:संदेह उन्हें जीवन में बड़े मान-सम्मान मिले, ‘पदम भूषण’ एवं ‘पदम विभूषण’ जैसे सम्मान उनके हिस्से में आये, परन्तु वह देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रतन’ के भी हकदार थे। पुरानी एवं नई पीढ़ियां टाटा कम्पनी को बाखूबी जानती हैं। यह कम्पनी स्टील और वाहनों से लेकर जीवन के प्रत्येक क्षेत्र के लिए ज़रूरी वस्तुओं का निर्माण करती है तथा विश्व के लगभग 100 देशों में इस कम्पनी का कारोबार फैला हुआ है तथा कम्पनी की पूंजी खरबों रुपए की है। इन बातों का विस्तारपूर्वक ज़िक्र अक्सर होता रहता है। इस कम्पनी ने निर्माण में भी ऐसे मार्ग प्रशस्त किए, जिनकी उदाहरण दी जा सकती है। कम्पनी की इस उपलब्धि में रतन टाटा का बड़ा योगदान रहा है।
निर्माण के क्षेत्र में दो बातों को उत्तम माना जाता है। पहली है गुणवत्ता एवं दूसरी है विश्वसनीयता। विश्व भर में इन बातों का बड़ा महत्त्व है। इस संबंध में जापान की उदाहरण दी जा सकती है। यह देश दूसरे महायुद्ध से हुए विनाश के बाद इस कारण आज विश्व के बड़े देशों में शामिल है, क्योंकि इसने प्रत्येक निर्माण में गुणवत्ता को प्राथमिकता दी है। इसीलिए आज भी जापान की किसी भी निर्मित वस्तु पर कभी कोई किन्तु-परन्तु नहीं किया जाता। इसी मापदंड को शुरू से ही टाटा सन्स ने अपनाया हुआ है। आज बाज़ार में टाटा सन्स की बनाईं सैकड़ों ही अलग-अलग वस्तुएं बिक रही हैं परन्तु उनकी गुणवत्ता पर किसी को कभी कम ही सन्देह हुआ है। इसी कारण इस कम्पनी ने लगातार लोगों के मन में विश्वसनीयता बना कर रखी हुई है। आज भारतीय उद्योग जगत में एक दूसरे से आगे निकलने की अंधी दौड़ लगी हुई दिखाई देती है परन्तु इस संबंध में ‘टाटा सन्स’ की प्रशंसा करनी बनती है कि उसने कभी भी ऐसी अंधी दौड़ दौड़ने का यत्न नहीं किया। वह लगातार अपनी धुन में तथा अपने काम में व्यस्त रही है।
कम्पनी की ऐसी शख्सियत बनाने में रतन टाटा का बड़ा योगदान कहा जा सकता है। वह बड़े फैसले लेने में सामर्थ भी थे तथा दूरदर्शी भी थे। उन्होंने ईमानदारी से अपने कदम आगे बढ़ाये। लगातार जीवन को बदलने वाली वस्तुओं का निर्माण किया, जिसने किसी न किसी रूप में देश एवं विदेश के करोड़ों लोगों को प्रभावित किया।
तत्कालीन केन्द्र सरकार की राष्ट्रीयकरण की नीतियों के कारण दशकों पहले एयर इंडिया उनके हाथ से निकल गई थी, परन्तु देश की बदली आर्थिक नीतियों के इस दौर में कम्पनी अपनी कार्यशैली के दम पर इसे पुन: वापिस लेने में सफल रही। इसीलिए रतन टाटा को सिर्फ उद्योगपति ही नहीं माना जाता, अपितु इस क्षेत्र में नई योजना बनाने वाला तथा गौरवमय ढंग से जीने वाला व्यक्ति माना जाता है। उन्होंने लगातार अपने समाज की सेवा के लिए भी बड़े यत्न किए परन्तु उन्होंने इन्हें प्रचारित करने की कभी भी इच्छा नहीं दिखाई।
चाहे वह सामर्थ्यवान व्यक्ति थे परन्तु उन्होंने अपनी जीवन शैली को इस ढंग से बनाया कि उनके व्यक्तित्व के प्रति लोगों के मन में सम्मान पैदा होता रहा। इतने विशाल कारोबार का महत्त्वपूर्ण हिस्सा होते हुए भी वह चमक-दमक की दुनिया से दूर रहने का ही यत्न करते रहे। आज जो प्यार तथा सम्मान उन्हें मिला है, वह उनकी अपनी कमाई थी। उनकी दुनियावी कमाई तो यहीं रह गई है परन्तु उनके व्यक्तित्व के शानदार एवं अच्छे प्रभाव की चर्चा  ज़रूर होती रहेगी।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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