भाखड़ा बांध जिसके दम से है घरों में जगमग-जगमग

भाखड़ा हिमाचल प्रदेश के ज़िला बिलासपुर में एक छोटा सा गांव है जहां विश्व के सबसे अधिक ऊंचाई वाले बांधों में एक भाखड़ा डैम स्थित है। भाखड़ा डैम का निर्माण कार्य स्वतंत्रता के उपरांत 1948 में आरम्भ हुआ और 1963 तक चलता रहा। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने नंगल-भाखड़ा परियोजना में बेहद दिलचस्पी ली और वे 1948-1963 के दौरान 13 बार नंगल आये। पंडित नेहरू ने भाखड़ा डैम को ‘आधुनिक भारत का नवीन मन्दिर’ कहा था। दिल्ली के कुतुब मीनार से तीन गुणा ऊंचे इस बांध की ऊंचाई 225.55 मीटर (740 फीट) है। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, राजस्थान, दिल्ली और चंडीगढ़ में रोशनी फैलाने वाली नंगल-भाखड़ा परियोजना पर 245.48 करोड़ की लागत आई है। भाखड़ा बांध की बदौलत पंजाब, हरियाणा, राजस्थान की बंजर भूमि की तृप्ति हुई और देश में हरित क्रांति आई। अमरीकी इंजीनियर एम.एच. सलोकम के निरीक्षण में 30 विदेशी विशेषज्ञों, 300 इंजीनियरों और 13000 मज़दूरों ने (1948-63) दिन रात काम करके भाखड़ा बांध का निर्माण किया। 
भाखड़ा बांध के निर्माण के समय उपयोग की गई कंक्रीट की मात्रा इतनी ज्यादा है कि इतनी मात्रा से सम्पूर्ण विश्व के इर्द गिर्द 2.44 मीटर (8 फीट चौड़ी) सड़क बनाई जा सकती है। भाखड़ा बांध का निर्माण करते समय 300 मज़दूर शहीद हुये जिनको प्रत्येक वर्ष 22 अक्तूबर को भाखड़ा डैम के स्थापना दिवस के अवसर पर श्रद्धांजलि दी जाती है। 
नंगल से भाखड़ा बांध तक चलने वाली अनोखी रेल में यात्रा करने का अपना ही अलग मज़ा है। इस रेल की कोई टिकट नहीं है। यह पर्यटकों में बहुत मकबूल है। इस रेल में कई वर्षों तक कीर्तन भी होता रहा। भाखड़ा बांध के निर्माण के समय मज़दूर भगवान का जाप करते ही जाया करते क्योंकि काम जोखिम भरा था और सुरक्षा साधन भी वर्तमान जैसे नहीं थे। ठेकेदारी सिस्टम के कारण अब कर्मचारी घट गये हैं और कई अपने वाहनों का उपयोग करने लग गये हैं। इस कारण आज रेल में पहले जैसी रौनक नहीं होती। भाखडा बांध की झील ‘गोबिंद सागर’ 168.35 वर्ग कि.मी. (65 वर्ग मील) क्षेत्र में फैली है और इस में 7.8 मिलियन एकड़ फीट पानी का भंडारण करने की सामर्थ्य है। भाखड़ा बांध में बिजली उत्पन्न करने वाले दो पॉवर हाऊस हैं। पांच-पांच यूनिटों पर आधारित उक्त पॉवर हाऊस भाखड़ा बांध के दायें तथा बायें ओर स्थित हैं। साधारण बोलचाल की भाषा में इनको जापानी तथा रूसी पॉवर हाऊस कहा जाता है जबकि तकनीकी भाषा में पी.पी. वन तथा पी.पी.टू कहा जाता है। पी.पी.वन (जापानी पॉवर हाऊस) की प्रत्येक मशीन (कुल 5) 126 मैगावॉट बिजली उत्पादन की क्षमता रखती है। पी.पी.टू (रशियन पॉवर हाऊस) की प्रत्येक मशीन की बिजली उत्पादन सामर्थ्य 157 मैगावाट है। भाखड़ा बांध की कुल उत्पादन क्षमता 1325 मैगवाट से बढ़कर 1415 मैगावाट हो गई है। 
भाखड़ा बांध से 13 कि.मी. दूर नंगल बांध है। 95 फीट ऊंचे नंगल डैम के कुल 26 गेट हैं। प्रत्येक गेट की चौड़ाई 30 फीट है। नंगल बांध 3,50,000 क्यूसिक पानी का निकास करने की सामर्थ्य रखता है। भाखड़ा बांध की आयु 400 आंकी गई थी पर सिल्ट की गम्भीर समस्या के कारण यह निरंतर घट रही है। गोबिन्द सागर का क्षेत्र सिल्ट के आने से निरंतर घट रहा है। सरकारी प्रयासों के बावजूद न केवल वृक्षों को काटा जा रहा है बल्कि निरंतर हो रहे निर्माण कार्यों का मलबा भी झील में फेंका जा रहा है। पर्यटन की आड़ में निरंतर हो रहे निर्माण झील की सुदंरता और स्वास्थ्य के लिए खतरे की घंटी हैं। 
झील से सिल्ट निकालना भी आसान काम नहीं है क्योंकि सवाल यह भी है कि इतनें वर्षों से जमा हुई सिल्ट को निकाल कर रखना कहां है। वास्तव में हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य में भी पंजाब के समान निर्माण हो रहे हैं। इस कारण पर्यावरण का संतुलन खराब हो गया है। सरकारी नियम होते तो सख्त हैं पर सख्ती से लागू नहीं होते। भाखड़ा ब्यास प्रबंध बोर्ड के पूर्व चेयरमैन श्री संजय श्री वास्तवा की यह टिप्पणी भी विचारणीय है  कि ‘प्राजैक्ट तो बन गये पर इसके उपरांत कुछ खास हुआ नहीं’। बहुत महत्वपूर्ण ‘स्पिल वे कार्य’ बीते 6 वर्षों से बंद है। वास्तव में यह कार्य करने के लिए 150 व्यक्तियों की टीम की ज़रूरत होती है जबकि सरकार नये कर्मचारी नियुक्त नहीं कर रही है। प्रोजैक्ट में आउटसोर्सिंग का बोलबाला है जो सुरक्षा पक्ष से भी ठीक नहीं। ‘स्पिल वे’ कार्य बहुत ज़रूरी है इस लिये सरकार को तुरंत इस ओर कदम उठाने चाहियें।

-भाखड़ा रोड़, नंगल -140124
मो. 98156-24927