अब डराने लगी हैं विमान दुर्घटनाएं

हालांकि इस साल पूरी दुनिया में हुई रेल दुर्घटनाओं का अभी तक कोई समग्र आंकड़ा नहीं आ सका, लेकिन अगर अकेले हिंदुस्तान में ही सितम्बर 2024 तक हुई रेल दुर्घटनाओं को देखें तो उनकी संख्या 40 थी और इन दुर्घटनाओं में 313 यात्रियों और 4 रेलवे कर्मचारियों की मौत हुई थी। इस लिहाज से 1 जनवरी, 2024 से 30 दिसम्बर, 2024 तक पूरी दुनिया में 15 हवाई दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें 435 लोगों की मौत हुई है। इसमें भी सबसे दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि अकेले दिसम्बर 2024 में ही 6 हवाई दुर्घटनाएं हुईं और इस साल पूरी दुनिया में हुई विमान दुर्घटनाओं में जितने लोग मारे गये हैं, उनमें आधे से ज्यादा ने इसी महीने हुई दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवाई है। इस लिहाज से सोचें तो हवाई यात्रा अभी भी बाकी किसी भी यातायात साधन के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित है, शायद यही कारण है कि दुनिया में हवाई यातायात लगातार बढ़ रहा है। पूरी दुनिया में हवाई यातायात किस तरह बढ़ रहा है, इसका अनुमान भारत में बढ़ रही हवाई यात्राओं से भी लगाया जा सकता है। साल 2023 में जहां 26 करोड़ 90 लाख भारतीयों ने देश के अंदर विमान यात्राएं की थीं, वहीं अंतर्राष्ट्रीय विमान यात्राएं करने वाले देशवासियों की संख्या 5.7 करोड़ थी। इस तरह 2023 में भारतीयों द्वारा देश के भीतर की गयी विमान यात्राओं में 48.8 फीसदी का उछाल आया था यानी 2022 के मुकाबले 2023 में 8 करोड़ 80 लाख भारतीयों ने देश के भीतर ज्यादा उड़ान भरी थी, जबकि देश के बाहर हवाई यात्रा  करने वाले लोगों की संख्या साल 2023 में 125 फीसदी बढ़ी थी।
अगर 2022-23 के इन आंकड़ों को 2024 के आईने में देखें तो और ज्यादा स्पष्ट हो जाता है कितने बड़े पैमाने पर भारतीय अब सफर के लिए विमान से यात्रा करने को प्राथमिकता देते हैं। गौरतलब है कि साल 2024 में 30 करोड़ 60 लाख लोगों ने देश के भीतर विमान के जरिये यात्राएं की, जो कि 2023 के मुकाबले 14 फीसदी ज्यादा थीं जबकि देश से बाहर विमान के द्वारा जाने वाले भारतीयों की संख्या 6 करोड़ 96 लाख से ज्यादा थी, जो कि 2023 के मुकाबले 22.3 फीसदी अधिक थी। इस तरह देखें तो न सिर्फ देश में बल्कि पूरी दुनिया में हवाई यातायात तेज़ी से बढ़ रहा है। 
क्योंकि सभी लोग हवाई यात्राएं नहीं कर सकते, आज भी भारत में रेलवे से सफर करने वाले लोगों की तादाद विमान से सफर करने वाले लोगों के मुकाबले लगभग 2000 फीसदी ज्यादा है। क्योंकि 2024 में जहां 30 करोड़ 60 लाख भारतीयों ने घरेलू हवाई यात्राएं की थीं, वहीं ठीक इसी दौरान 596 करोड़ से ज्यादा लोगों ने रेलगाड़ी के द्वारा सफर किया था। हालांकि हवाई दुर्घटनाएं रेल दुर्घटनाओं या सड़क हादसों के मुकाबले तो बहुत कम हैं, लेकिन अगर हवाई दुर्घटनाएं सबसे ज्यादा ध्यान खींचती हैं तो उसकी दो बड़ी वजहें हैं। पहली वजह यह है कि हवाई दुर्घटनाओं में आमतौर पर बड़े लोग मारे जाते हैं, जो बड़े होने के साथ-साथ समाज में आम लोगों के मुकाबले ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं। साथ ही यह यातायात का विशेष साधन है, जिस पर सबसे ज्यादा लोगों की नज़र जाती है, लेकिन साल 2024 इस लिहाज से ज्यादा डराने वाला रहा, क्योंकि इस साल पूरी दुनिया में जो 15 विमान दुर्घटनाएं हुईं, उनमें 435 लोग मारे गये, लेकिन डराने वाली बात यह है कि इन 15 विमान दुर्घटनाओं में से अकेले 6 विमान दुर्घटनाएं सिर्फ दिसम्बर माह में हुईं। यह बेचैन करने वाला तथ्य है, क्योंकि इन छहों विमान दुर्घटनाओं में प्राकृतिक कारणों से ज्यादा इन्सानी चूक थी।
गत 25 दिसम्बर, 2024 को कज़ाकिस्तान में जो विमान दुर्घटना हुई और उसमें 62 में से 38 यात्री मारे गये, उस विमान दुर्घटना का कारण कहा जा रहा है कि रूस द्वारा मिसाइल से किये गये हमले के कारण हुई है। हालांकि रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने इससे इन्कार किया है, मगर उन्होंने इस दुर्घटना के लिए अफसोस जताया था क्योंकि यह दुर्घटना उनके हवाई क्षेत्र के भीतर हुई थी। इसी तरह दिसम्बर महीने में जो मौतों के लिहाज से सबसे बड़ी हवाई दुर्घटना हुई, वह दक्षिण कोरिया के मुआन एयरपोर्ट पर हुई, जहां विमान में सवार 175 यात्रियों और 6 चालक दल के सदस्यों में से 179 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, सिर्फ दो लोगों को बचाया जा सका। यह विमान एयरपोर्ट पर लैंड करते समय लैंडिंग गियर में आने वाली खराबी की वजह से विमान के पहिये नहीं खुले और वह सीधे ज़मीन से टकरा गया।
दिसम्बर, 2024 की 22 तारीख को दक्षिण ब्राज़ील के ग्रामाडो शहर में तब 10 लोगों की मौत हो गई, जब एक बिजनेस मैन का पूरा परिवार विमान से बहुत नीचे उड़ान भरने के दौरान एक बिल्डिंग की चिमनी से टकरा गया था। पापुआ न्यूगिनी और अर्जेंटीना के सेनफर्नाडो एयरपोर्ट के पास इसी महीने दो विमान दुर्घटनाएं हुईं, जिनकी वजह मानवीय चूक थी और होनोलूलू एयरपोर्ट के पास भी इसी दिसम्बर में जो विमान एक इमारत से टकरा कर दुर्घटनाग्रस्त हो गया, उसकी वजह भी पायलट की गलती ही थी। इसका मतलब साफ है कि अगर हवाई यातायात को और ज्यादा सजगता से संचालित किया जाए और सुरक्षा के मानदंडों को और ज्यादा कड़ाई से लागू किया जाए तो विमान दुर्घटनाओं की संख्या में काफी कमी आ सकती है। 
ऐसा हर हाल में करना ही होगा, क्योंकि जिस तरह से हवाई यातायात बढ़ रहा है, उसमें अगर यह कुशलता और निपुणता न बरती गई तो हवाई यात्रा ज्यादा डरावनी और ज्यादा जानलेवा हो सकती है।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर

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