बांग्लादेश के साथ बदलते संबंध

चार महीने गुज़र गये जब बांग्लादेश में शेख हसीना का तख्तापलट हुआ था। वह भारत के लिए असुखद स्थिति बताई गई थी। कुछ-कुछ पाकिस्तान जैसा जहां मजहब आधारित सरकारें जनता पर थोप दी जाती हैं। इन चार महीनों में हुआ क्या? क्या भारत बांग्लादेश संबंध टूटने के कगार पर हैं? इसके कुछ कारण बताये जा रहे हैं। एक तो राजनयिक मिशन निशाने पर है, राजनयिकों को तलब किया जा रहा है। राष्ट्रीय ध्वज का अपमान हो रहा है। 
हन्दू उपासकों को परेशान किया जा रहा है। मज़हब परस्तों कट्टरपंथियों के आगे आम नागरिक की परेशानी कहीं दर्ज नहीं हो रही। भारत से व्यापारिक रिश्तों में बाधा उपस्थित की जा रही है। व्यापार में रोक-टोक और उसके बहिष्कार की घटनाएं सामने आ रही हैं। इस सब की वजह समझना चाहें तो आसानी से बताया जा सकता है। वह है मोहम्मद युनूस और उनकी बेरंगी राजनीति। सभी जानते हैं कि उन्हें पब्लिक ने चुना नहीं है। कार्यवाहक के रूप में कमान सम्भाले हुए हैं। कायदे के अनुसार उनका पहला काम है व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करना और देश हित में चुनाव करवाना था, लेकिन यह सब कुछ ठीक से नहीं करके वह सुधारों की तरफ जा रहे हैं, जिसके लिए उनके पास कोई उचित जन-सन्देश नहीं है। इसीलिए वर्तमान दौड़ की अराजकता से निपटने की जगह अतीत की गलतियों को ही अपना रहे हैं।
 युनूस और उनके साथी बांग्लादेश के संस्थापकों से कुछ समझने की जगह विरासत को ही खत्म करने को तैयार नज़र आते हैं। क्योंकि एक साक्षात्कार में वह कहते नज़र आये कि चुनाव करवाने में चार साल का समय लग सकता है। 
गोया चार साल तक पत्रकार उनसे चुनाव करवाने में समय लगने का सवाल न पूछें। सड़कों पर जो दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं घट रही हैं, वे उसी तरह चलती रहें। आप सभी देख रहे हैं सड़कों पर कट्टरपंथियों का राज चल रहा है। शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग चित्र में कहीं नहीं। जबकि दो अन्य पार्टियां सत्ता का खेल खेलने को उत्सुक हैं। खालिदा ज़िया की बी.एन.पी. और जमायत-ए-इस्लामी। कभी वे सहयोगी की भूमिका में थी लेकिन अब सत्ता के लिए कमर कस रही है। चीन की दखलंदाज़ी को समझना होगा। वह जमातियों और बी.एन.पी. की मेजबानी कर रहा है। जबकि जमात का पिछला इतिहास चमकदार नहीं है। उसकी राजनीति भी चरमपंथी बताई जाती है, लेकिन यह चीन को दिखाई नहीं देता न ही वह देखना चाहता है। बी.एन.पी. ने बांग्लादेश का राज काज चलाया था, चीन फायदेमंद की स्थिति में था। उन्हें सैन्य सौदे और निवेश के अवसर मिले तब बांग्लादेश को भारत से दूर कर दिया गया था।
जमात एक कट्टरपंथी संगठन है। वह आधार रूप से भारत विरोधी है, उससे भारत का रिश्ता नहीं बन पायेगा। बी.एन.पी. से सम्पर्क साधा जा सकता है। हालात को देखते हुए भारत के पास काफी सीमित विकल्प ही बचते हैं और वे भी आश्वस्त नहीं करते। कारण, यूनुस का रवैय्या हालात को पेचीदा बना रहा है। अपनी समस्याओं को देखने-समझने की जगह वह भारत के मीडिया को कसूरवार ठहरा रहा है। यहां तक कि बांग्लादेश के उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर रखी है, जिसमें सभी भारतीय चैनलों पर प्रतिबन्ध लगाने की मांग रखी गई है। कहा यह गया है कि भारतीय मीडिया का रवैया भड़काऊ है। कुछ ही दिन पहले एक बैठक बुलाई गई। इसमें शेख हसीना की अवामी लीग को छोड़ कर बाकी सभी थे। बैठक में बांग्लादेश पर सांस्कृतिक अधिपत्य स्थापित करने के भारत के प्रयासों की निंदा की गई। ये आरोप काफी कठोर और निराधार है।

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