पिता की कुर्बानियों ने नितीश रेड्डी को बनाया स्टार

कोच कुमार स्वामी आल राउंडर नितीश कुमार रेड्डी को उस समय से जानते हैं, जब वह मात्र छह साल के थे। रेड्डी को जो इस समय ऑस्ट्रेलिया में सफलता मिली है, उसका श्रेय स्वामी जितना रेड्डी की कड़ी मेहनत को देना चाहते हैं, उतना ही उनके पिता मुत्यालू रेड्डी को देना चाहते हैं। स्वामी के अनुसार, ‘अपनी फिल्म में हर कोई हीरो बनना चाहता है, लेकिन नितीश की कहानी में उनके पिता मुत्यालू हीरो हैं। पिता की कड़ी मेहनत ही बेटे को ईंधन उपलब्ध कराती है। जो कुछ उनके पिता पर गुज़री है उस सबको उन्होंने देखा है, विशेषकर यह कि मुत्यालू के पास कोई जॉब नहीं था और उनका परिवार ही उनकी कड़ी आलोचना करता था कि वह समय बर्बाद करते रहते हैं। लेकिन मुत्यालू ने हिम्मत नहीं हारी और नितीश को नियमित प्रैक्टिस कराते रहे।’ बॉक्सिंग डे टेस्ट में हालांकि भारत हार गया, लेकिन इसके पहले नितीश कुमार रेड्डी अपनी मेहनत से नतीजे इसके अलग करने के भरपूर प्रयास किये थे। नितीश ने मुश्किल स्थिति में भारत के लिए शानदार शतक लगाया था। यही नहीं वह इससे पहले भी सीरीज़ में अपने बल्ले से सबको प्रभावित कर रहे थे। इसलिए यह कहना एकदम दुरुस्त होगा कि नितीश ऑस्ट्रेलिया दौरे की उपलब्धि हैं। 
गौरतलब है कि 21 वर्षीय नितीश कुमार रेड्डी ने अक्तूबर 2024 में बांग्लादेश के विरुद्ध अपना अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू किया था और फिर पर्थ में उन्होंने अपना पहला टेस्ट खेला। मुत्यालू बताते हैं, ‘जब उसने मुझे बताया कि वह भारत के लिए टेस्ट खेलने जा रहा है तो मुझे यह मालूम ही नहीं था कि मेरी प्रतिक्रिया क्या होनी चाहिए। दस मिनट तक मैं शॉक में रहा।’ नितीश का कहना है, ‘मेरे पिता ने मेरे लिए अपना जॉब छोड़ा। मेरी कहानी में बहुत कुर्बानियां हैं। एक दिन मैंने अपने पिता को रोते हुए देखा क्योंकि वह आर्थिक तंगी का सामना कर रहे थे। तब मैं गंभीर हो गया। मैंने उन्हें अपनी पहली जर्सी उन्हें भेंट की और उनके चेहरे पर खुशी देखी।’ भारत के लिए खेलकर नितीश की ख्याति में निश्चित रूप से इज़ाफा हुआ है। आईपीएल फ्रैंचाइज़ी सनराइज़र हैदराबाद ने भी उन्हें 6 करोड़ रूपये में रिटेन किया है। लेकिन इसके बावजूद उनका परिवार विशाखापत्तनम के बाहरी क्षेत्र मदुरावाडा में एक किराये के मकान में रहता है। मुत्यालू का कहना है, ‘कुछ फ्रैंचाइज़ी 15 करोड़ रूपये से अधिक ऑफर कर रही थीं। मैंने जब नितीश से इन ऑफर के बारे में बताया तो उसने मुझसे सवाल किया- ‘हमें जीवन किसने दिया, मुझे नाम कहां से मिला?’ मैंने कहा, सनराइजर। फिर उसने कहा- ‘तो फिर मैं उन्हें क्यों छोड़ूं? अगर मैं अधिक पैसे के लालच में दूसरी जगह चला जाऊंगा तो मुझे फिर से ख़ुद को साबित करना होगा। वहां एक बार भी फेल हो गया तो वह मुझे बेंच पर बैठा देंगे। सनराइजर में अगर मैं कुछ मैचों में स्कोर न भी कर सका तो भी वह मेरा साथ देंगे।’ यह सुनकर मैंने उससे कहा कि वह अपनी विचार प्रक्रिया के साथ ही आगे बढ़े।’
नितीश शरारती बच्चा था। लेकिन एक बार जब उसने अपना फोकस पा लिया तो फिर उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह स्कूल से लौटने के बाद दोपहर 3 बजे जिंक ग्राउंड पहुंचता, हर रोज़, चाहे कितनी ही गर्मी क्यों न हो। वह मैच देखता, प्रैक्टिस करता और फिर मैच देखता। स्वामी के अनुसार, वीडीसीए समर कैंप में उसने स्टांस व ग्रिप को बहुत जल्दी पकड़ा और इसलिए उसे अवसर दिया गया। स्वामी बताते हैं, ‘मुझे याद है कि 2013 में डिस्ट्रिक में उसका पहला साल था, उसका प्रदर्शन थोड़ा ऊपर नीचे था। उसके पिता को बुलाया गया और बताया गया कि उनका बेटा क्रिकेट खेलने योग्य नहीं है और वह उसकी शिक्षा पर ध्यान दें।’ मुत्यालू ने इस पर हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने सुनिश्चित किया कि नितीश की तीव्रता व प्रैक्टिस के स्तर में वृद्धि की जाये। मुत्यालू नितीश को जिंक ग्राउंड से विशाखापत्तनम के म्युनिसिपल स्टेडियम में प्रैक्टिस के लिए ले जाने लगे जोकि गाजुवाका से 15 किमी के फासले पर है। वह उसे पोथिनमल्लया पालम भी ले जाने लगे जो 30 किमी की दूरी पर है। यह सब इसलिए कि नितीश बेहतर गेंदबाज़ों का सामना कर सके। इन मैदानों में टफ विकेट उपलब्ध हैं, इसलिए गेंदों में अधिक तेज़ी व स्पिन रहती है। इस तरह प्रैक्टिस अच्छी होती है। 
इसका परिणाम ये हुआ कि मात्र 13 वर्ष की आयु में नितीश का चयन डिस्ट्रिक के लिए हो गया। पहले गेम से चार दिन पहले नितीश के टखने में सूजन आ गई थी, लेकिन स्वामी ने चयनकर्ताओं व पैरेंट्स पर ज़ोर दिया कि उन्हें मैच व प्रतियोगिता के लिए नितीश की ज़रूरत है। स्वामी के अनुसार, ‘मुझे उस पर विश्वास था और दूसरे मैच में उसने 99 रन स्कोर करके मेरे यकीन पर मोहर लगा दी। एक अन्य मैच में उसने 140 रन का स्कोर किया और फलस्वरूप उसका अंडर-14 में चयन हो गया।’ मात्र 16 साल की आयु में नितीश ने विजय मर्चेंट ट्राफी में कुल 1237 रन बनाये। स्वामी ने बैट पर नितीश का ऑटोग्राफ लिया। अब नितीश भारत के लिए खेलने का सपना देखने लगे थे। वह अपने परिवार की आर्थिक स्थिति भी सुधारना चाहते थे। वह फिट रहने के लिए अपनी डाइट पर ध्यान देने लगे। भारत को एक ऐसे क्रिकेटर की तलाश थी जो अच्छी बल्लेबाज़ी के साथ गेंदबाज़ी भी कर सके। नितीश उस सपने को पूरा करते हुए नज़र आ रहे हैं।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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