आंगन में स्विमिंग पूल
स्त्री जगत की इच्छा, मन, मंतव्य को ईश्वर भी नहीं समझ सकते। पता ही नहीं चलता है कि वह कब क्या और क्यों चाह रही है। कभी किसी फटे हाल शराबी के साथ भी गुजारा कर लेती है। तो कभी दुनिया के सबसे सुंदर पुरुष को भी छोड़ देती है। इसी तरह इच्छा के मामले में पुरुष एक पूरी करने की सोचता है और उसे पूरा करता है। तब तक एक दूसरी नई डिमांड उसके सामने रख दी जाती है। बेचारा पहले डिमांड के नीचे ही दबा हुआ अभी उबरने की सोचता रहता है। तब तक उस पर एक और प्रहार कर दिया जाता है। और उसके प्राण ले लिए जाते हैं। लेकिन पुरुष नामक जीवट प्राणी फिर भी बेचारा मुस्कुराता रहता है। स्त्रियां पुरुषों से अपनी तारीफ करने की डिमांड करती थी। सोने, चांदी, हीरे, जवाहरात की डिमांड करती थी। पुरुष स्त्री के प्रेम का पात्र बने रहने के लिए कहीं ना कहीं से जुगाड़ करके उनके प्रेम भावना का पात्र बना रहने का प्रयास करता पर कहां तक प्रयास करेगा।
पुरुष के जीवन का सबसे बड़ा अबूझ समस्या यह है कि वह समझ नहीं पाता है। कि स्त्री माता-बहन के रूप में इतनी मधुर कैसे रहती है। और पत्नी के रुप में इतनी निर्मम कैसे हो जाती है। वह जिंदगी रूपी बीजगणित के इस सवाल को न समझ पाता है ना हल कर पता है। और ना ही नज़रअंदाज कर पाता है। स्त्री के प्रेम भावना का पात्र बने रहने की कीमत बेचारा पुरुष एक जान नहीं देता। बाकी अपनी धन- संपत्ति, मान-मर्यादा सबकुछ त्याग कर भी देता है। लेकिन फिर भी कुछ ना कुछ स्त्री के नज़र में कमी बनी ही रह जाती है। लेकिन फिर भी जगत में जीना है। तो स्त्री के प्रेम से कैसे विमुख हुआ जाए और उसका प्रेम चाहिए तो माया का त्याग तो करना ही पड़ता है।
लल्लू लाल जी भी अपनी पत्नी की डिमांड पूरी करने का हमेशा प्रयास करते कि उसके प्रिय बने रहे लेकिन वह स्त्री ही क्या जो आसानी से प्रसन्न हो जाये। आजकल उनकी पत्नी ने एक नई डिमांड उनके सामने रख दी है कि आंगन में एक स्विमिंग पूल तो रहना ही चाहिए। लल्लू लाल जी को यह समझ में नहीं आ रहा है कि स्विमिंग पूल की क्या ज़रूरत है? पता नहीं खुद डूबेगी उसमें या मेरे कुल खानदान की मर्यादा को डूबा कर रील बनायेगी। पर प्रेम का पात्र बने रहना है तो कुछ तो करना ही पड़ेगा। लल्लू जी का मन तो कर रहा है कहीं में जाकर डूब जाये। -बलिया (यूपी)