हर रसोई में स्वाद का बादशाह है तेजपत्ता
उत्तर हो या दक्षिण, पूरब हो या पश्चिम, शहर हो या गांव, घर हो या होटल। हर रसोई में है इसकी सत्ता। जी, हां आपने सही समझा, ये है गरम मसाले का राजा, तेजपत्ता। भारत में तेज पत्ते का इस्तेमाल स्वाद बढ़ाने वाले मसाले के रूप में ही नहीं बल्कि लोक औषधि और आयुर्वेदिक जड़ीबूटी के रूप में भी सदियों से होता रहा है। यही वजह है कि इसकी देश में बहुत ज्यादा डिमांड है और देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मसाले के रूप में जो तेजपत्ता इस्तेमाल किया जाता है, उसमें करीब 70 प्रतिशत तेजपत्ता भारत से ही जाता है। इसलिए किसान भाई इससे अपनी आर्थिक स्थिति भी बेहतर बना सकते हैं। क्योंकि यह एक ऐसा मसाला है, जिसकी पूरी दुनिया में हमेशा डिमांड रहती है। एक अच्छी बात यह भी है कि किसान कम समय में और कम जगह पर भी इसकी खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। वैसे भी इन दिनों बहुत सारे किसान गेहूं-धान और गन्ना जैसी मुख्य फसलों को उगाने की बजाय ऐसी औषधीय पौधों वाली खेती को तरजीह दे रहे हैं, जो कम जोखिमभरी और ज्यादा उत्पादक हो। ऐसे में किसानों के लिए तेजपत्ते के पेड़ उगाना और इससे भरपूर लाभ कमाना बहुत आसान है। तेजपत्ता के पेड़ उगाकर किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। इसकी खेती को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड की ओर से किसानों को 30 प्रतिशत तक का अनुदान भी मिलता है।
एक तेजपत्ता के पेड़ से किसान हर साल कम से कम 3000 से 5000 रुपए तक कमा सकते हैं। अगर किसी किसान के पास तेजपत्ता के 20 पेड़ भी हों तो वह हर साल 60,000 से 1,00,000 बहुत आसानी से कम से कम कमा सकता है। जबकि एक एकड़ खेत में तेजपत्ता के 200 से 250 पेड़ आसानी से लग जाते हैं। तेजपत्ता लॉरेसी परिवार का पेड़ है। हिंदुस्तान में इसके कई नाम हैं मसलन-सिन्नामोमम तमाला, मालाबार पत्ता, भारतीय छाल, भारतीय कैसिया या मालाबाथ्रम के नाम से इसे भी जानते हैं। तेजपत्ता का पेड़ भारत के अलावा बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, चीन, फ्रांस और इटली के साथ-साथ रूस, मध्य अमरीका, उत्तरी अमरीका तथा बेल्जियम में भी पाया जाता है। तेजपत्ता के पेड़ की खेती भारत के कई राज्यों में की जाती है, जैसे- उत्तर प्रदेश, बिहार, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और पूर्वोत्तर के राज्यों में भी। तेजपत्ता के पेड़ के पत्तों में, लांग जैसी सुंगध होती है, इसलिए इसका इस्तेमाल जहां मसालों के तौर पर खाना पकाने में किया जाता है, वहीं इसके तेल का इस्तेमाल सिरदर्द, जोड़ों के दर्द, ऑथराइटिस, सूजन आदि में रामबाण सरीखी राहत पाने के लिए किया जाता है। साथ ही तेजपत्ता के पेड़ के पत्तियों का इस्तेमाल हर्बल चाय बनाने आदि में भी किया जाता है।
तेजपत्ते का मसाले के रूप में सबसे ज्यादा उत्पादन भारत में ही होता है। इसलिए भारत से तेजपत्ते के निर्यात की भरपूर डिमांड रहती है। अत: किसानों के लिए तेजपत्ते के पेड़ की खेती करना काफी लाभ का सौदा है। पर सवाल है तेजपत्ता के पेड़ की खेती करने के लिए किस तरह की ज़रूरतें पड़ती हैं। आइये इन्हें सिलसिलेवार ढंग से जानते हैं।
ऐसी हो मिट्टी
तेजपत्ता की खेती करने के लिए सबसे मुफीद जमीन पथरीली और उसर वाली होती है। हालांकि यह तब की बात थी, जब प्राकृतिक रूप से तेजपत्ता के पेड़ उगाये जाते थे, अब वैज्ञानिकों की मदद से हर तरह की मिट्टी में तेजपत्ता का पेड़ आसानी से उगाया जाने लगा है। लेकिन जिस जमीन में तेजपत्ता को उगाया जाए या उसका पेड़ लगाया जाए, उसका पीएच मान 6 से 8 के मध्य होना चाहिए। तेजपत्ता के पेड़ की जहां अच्छी खेती होती है, वहां की मिट्टी आमतौर पर सूखी तथा कार्बनिक पदार्थों से युक्त होनी चाहिए, बाकी फसलों की तरह तेजपत्ता के पेड़ को उगाने या लगाने के पहले जमीन तैयार की जाती है। इसके लिए मिट्टी को कम से कम दो से तीन बार जुताई की जानी चाहिए और फिर पौधों की रोपाई करनी चाहिए। तेजपत्ता के नये पौधों को लेयरिंग या कलम के द्वारा लगाना चाहिए। क्योंकि इसे बीज से उगाने में एक तो मुश्किल होती है, साथ ही बीज से उगे पेड़ उतने स्वस्थ नहीं होते, जितने कलम करके तैयार किये गये पेड़ होते हैं। तेजपत्ता के पेड़ को रोपण करते समय हर पौधे की दूरी कम से कम 4 मीटर रखनी चाहिए और हां, इस बात को भी ध्यान रखें कि तेजपत्ता की खेती जहां करनी हो, वहां पानी की समूचित व्यवस्था हो। तेजपत्ता के शुरुआती दो से ढाई साल तक के पौधों को पाले से बचाना चाहिए। कम से कम पहले एक साल में तो ऐसा करना ही चाहिए वर्ना ये पौधे बड़े होकर कम उत्पादक साबित होंगे। वैज्ञानिकों के अनुसार तेजपत्ता के पौधे के समूचित विकास के लिए उसे खाद और उर्वरक देना चाहिए। 20 किलो गोबर की खाद, 20 ग्राम नाइट्रोजन, 18 ग्राम फास्फोरस तथा 25 ग्राम पोटाश, हर एक पौधे को देना चाहिए, जब वह कम से कम एक साल का हो जाए। उर्वरक आमतौर पर सितम्बर-अक्तूबर माह में देनी चाहिए, जबकि गोबर की खाद मई-जून में दें तो उससे ज्यादा फायदा होता है और जैसे जैसे पेड़ बड़ा हो रहा हो, उसे दिये जाने वाले खाद और उर्वरकों की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए।
ऐसे करें देखभाल
एक बार तेजपत्ता का पेड़ लगा लेने के बाद नियमित रूप से उसकी देखभाल भी बहुत ज़रूरी होती है। तेजपत्ता के पेड़ की कटाई, छंटाई और पत्तों की तुड़ाई नियमित समय के अंतराल पर होनी चाहिए। अगर समय समय पर तेजपत्ता के पेड़ की प्रॉपर देखभाल होती है तो जल्द ही यह भरपूर विकास कर लेता है। तेज़पत्ता का पौधा एक सदाबहार पौधा है, जिस कारण इससे पूरे साल पत्ते निकलते रहते हैं। पत्तों की तुड़ाई करने के बाद इन्हें हल्की धूप या छांव में सुखाना चाहिए, जिससे इसमें खुशबू बरकरार रहती है। अगर कड़ी धूप में सुखाया गया तो इनमें खुशबू कम रहती है। तेजपत्ता के बीजों से तेल भी निकलता है और यह बाजार में बहुत महंगी दर पर बिकता है। तेजपत्ते का तेल निकलवाकर भी उससे अच्छी कमाई की जा सकती है। तेजपत्ते के पेड़ की पत्तियां लंबी, हरी और चमकीली होती हैं। आमतौर पर ये 7 से 12 सेंटीमीटर तक लंबी होती हैं, जब ये पेड़ में होती हैं तो हरी होती हैं और जब इन्हें तोड़कर सुखाया जाता है तो यह गहरी भूरी या कई बार हल्की काले रंग की हो जाती हैं। क्योंकि तेजपत्ते का पेड़ एक विशेष पैटर्न में बढ़ता है, इसलिए इसके फल छोटे छोटे और काले होते हैं। घर में तेजपत्ता बरतने के लिए जब खरीदें तो याद रखें यह पूरी तरह से सूखा हुआ हो और इसमें दाग या कीड़ा न लगा हो। तेजपत्ता का पौधा अब करीब-करीब सभी शहरी नर्सरियों में भी मिल जाता है, जो बड़े स्तर की नर्सरियां होती हैं। कृषि मेलों में खास तौर पर तेजपत्ता के पौधे की बिक्री होती है। लेकिन सबसे अच्छा तरीका ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से बेचना सही होता है। देश के कुछ इलाकों में आयुर्वेदिक दुकानों से भी पैक तेजपत्ते मिल जाते हैं। जब भी तेजपत्ता का पौधा खरीदें तो सुनिश्चित करें कि वह स्वस्थ हो और उसमें किसी भी प्रकार का कीट, पतंग या कोई दूसरा रोग न हो।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर